Jammu Kashmir: राजौरी के चिकरी वुड सामान का हर कोई है दीवाना, जानिए क्या है इसमें खास
Rajouri Chikri Wood Craft जिले की थन्नामंडी तहसील में दशकों पहले चिकरी की लकड़ी से कंघी बनाने का कार्य शुरू किया गया था। इस कंघी के बीच में छेद किया जाता है और इस छेद में तेल डाला जाता है।
राजौरी, गगन कोहली। चिकरी वुड से बने सामान को चिकरी की लकड़ी से बना सामान भी कहा जाता है। यह सामान जिले के थन्नामंडी, शाहदरा शरीफ व बुद्धल क्षेत्र में तैयार किया जाता है और इसकी मांग लोगों में काफी रहती है। अब सरकार ने चिकरी की लकड़ी से बने सामान को जीआइ टैग दिलवाने के लिए भी प्रस्तावित किया है, जिससे इस कार्य में जुटे लोगों को काफी लाभ मिलेगा। जो सामान पहले अपने क्षेत्र तक ही सीमित था, वह अब देश के अन्य हिस्सों के साथ-साथ विदेश में भी मिल सकेगा। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाएगी।
राजौरी के थन्नामंडी तहसील के पहाड़ों व बुद्धल क्षेत्र में चिकरी की लकड़ी पाई जाती है। यह लकड़ी काफी नरम होती है और पिछले कई दशकों से इस लकड़ी से घरों की जरूरत के सामान के साथ-साथ सजावट का सामान भी तैयार किया जाता है। बच्चों के खिलौने भी अब इस लकड़ी से कारीगर बनाने लगे हैं। चिकरी की लकड़ी से बनी कंघी की मांग सबसे अधिक रहती है। इस कंघी में तेल भरा जाता है और जैसे ही आप अपने बालों में कंघी करेंगे तो तेल आपे के बालों में बड़ी ही आसानी से लग जाएगा।
कंघी से शुरू हुआ था चिकरी वुड का काम: जिले की थन्नामंडी तहसील में दशकों पहले चिकरी की लकड़ी से कंघी बनाने का कार्य शुरू किया गया था। इस कंघी के बीच में छेद किया जाता है और इस छेद में तेल डाला जाता है। जैसे आप कंघी को अपने बालों में करेंगे तो तेल पूरे बालों की जड़ तक आसानी से लग जाता है। इसके बाद जैसे ही कंघी की मांग बढऩी शुरू हुई तो कारीगरों ने चिकरी की लकड़ी से अन्य सामान को बनाना शुरू कर दिया और इनकी मांग भी बढऩे लगी तो थन्नामंडी के शाहदरा शरीफ बाजार में चिकरी का सामान बेचा जाने लगा। आज चिकरी का सामान बेचने वालों की काफी दुकानें खुल चुकी हैं। शाहदरा शरीफ दरगाह पर जो भी माथा टेकने के लिए आते हैं, वे चिकरी का सामान लेकर ही जाते हैं।
जीआइ टैग मिला तो होगा काफी लाभ: चिकरी वुड का कार्य करने वाले जफर इकबाल, नसार अली, जावेद अहमद आदि का कहना है कि सरकार ने हमारी वर्षों पुरानी मांग को पूरा करने के लिए चिकरी के काम के लिए जीआइ टैग की मंजूरी के लिए प्रस्ताव भेजा है। अगर यह प्रस्ताव मंजूर हो जाता है तो हमारा सामान देश के अन्य हिस्सों के साथ-साथ विदेश में भी बिकेगा, जिससे इस कार्य से जुडे लोगों को काफी लाभ मिलेगा। इन लोगों का कहना है कि आमदनी कम होने के कारण लोग इस कार्य को छोड़ते जा रहे हैं। अगर जीआइ टैग मिल जाता है तो इस कार्य को करने वाले कारीगरों की संख्या भी बढ़ जाएगी और कई तरह के सामान तैयार होंगे।
- इस कार्य से जुड़े लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए समय-समय पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहा है और आगे भी किया जाते रहेगा। प्रदर्शनियों में भी चिकरी के सामान को देश के विभिन्न हिस्सों में भेजा जाता है और स्टाल भी लगवाए जाते हैं। - राजा मीर, जिला अधिकारी हैंडीक्राफ्ट विभाग, राजौरी