Jammu Kashmir : लाखों खर्च, पर नहीं गया चोपड़ा नर्सिंग होम से करंट
फादर आफ इंडियन फार्माकालोजी के नाम से विख्यात जम्मू के पहले वैज्ञानिक सर कर्नल आरएन चोपड़ा के नाम पर बना सर कर्नल चोपड़ा नर्सिंग होम में कम कीमत पर मरीजों की सर्जरी होती थी।
जम्मू, रोहित जंडियाल । आपको हैरानी होगी कि ढाई साल में भी स्वास्थ्य विभाग यह पता नहीं करा पाया है कि आखिर सर कर्नल चोपड़ा नर्सिंग होम की इमारत में तकनीकी खामी कहां है। इसमें बिजली का करंट कहां से आ रहा है। इस करंट ने पिछले ढाई साल से मरीजों को सस्ते दर पर निजी सरकारी इलाज से वंचित कर रखा है। तकनीकी खामियों को दूर करने के लिए डीपीआर पर डीपीआर बन रही हैं, लेकिन नर्सिंग होम के धरातल पर अभी कुछ नहीं हुआ है। इसके दरवाजों में अभी तक ताले लटके हुए हैं। यह हाल तक है जब विभाग के आला अधिकारी पिछले कई महीनों में कई बार इसके जल्द खुलने के दावे कर चुके हैं।
फादर आफ इंडियन फार्माकालोजी के नाम से विख्यात जम्मू के पहले वैज्ञानिक सर कर्नल आरएन चोपड़ा के नाम पर बना सर कर्नल चोपड़ा नर्सिंग होम में कम कीमत पर मरीजों की सर्जरी होती थी। टेस्ट लैब भी थी। सरकारी स्तर की इस निजी सुविधा से अस्पताल को हर महीने औसतन चार लाख रुपये की कमाई होती थी। यहां रोजाना औसतन दो मरीज भर्ती कराए जाते थे। यहां एसी, नॉन एसी स्तर के कमरे किराये पर मरीजों को उपलब्ध कराए जाने की व्यवस्था है। राजकीय मेडिकल कॉलेज के साथ लगता यह नर्सिंग होम इकलौता सरकारी नर्सिंग होम है।
अगस्त 2017 से है बंद
अगस्त 2017 में इसके ग्राउंड फ्लोर पर पानी भर गया था। इससे इस नर्सिंग होम की पहली दो मंजिलों पर तकनीकी खराबी आ गई। कई जगहों पर बिजली का करंट था। इसके बाद इसे मरीजों के लिए बंद कर दिया गया। वर्तमान में इसका मुख्य दरवाजा पूरी तरह से टूट चुका है। भीतर भी हालत दयनीय है। हालांकि, इमारत की तीसरी मंजिल पर कैंसर से पीडि़त मरीजों को अभी भी भर्ती किया जाता है। वहीं चौथी और पांचवीं मंजिल पर डॉक्टरों के कार्यालय बनाए गए हैं, लेकिन पहली दो मंजिलों पर ताले लगे हुए हैं।
25 लाख की डीपीआर बनी, पर खराबी नहीं मिली
चोपड़ा नर्सिंग होम जीएमसी प्रशासन के अधीन ही आता है। जीएमसी प्रशासन ने जब इंजीनियरिंग विंग को इसकी मरम्मत करने के लिए कहा तो उन्होंने तकनीकी खराबी को दूर करने के लिए कहा। इंजीनियरिंग विंग ने 25 लाख रुपयों की डीपीआर बनाई और खराबी का पता नहीं चल पाया। इसके बाद इसकी हालत लगातार खराब होती गई। बाद में इस पूरी इमारत की मरम्मत करने का फैसला किया गया। इंजीनियरिंग विंग ने इसके लिए 17 करोड़ रुपयों की डीपीआर बनाई। इसकी पुष्टि जीएमसी की प्रिंसिपल डॉ. सुनंदा रैना ने भी की। इतनी लागत होने के कारण यह प्रोजेक्ट फिर से ठप हो गया।
कई प्रोजेक्ट बने, पर नहीं हुआ काम
सर कर्नल चोपड़ा नर्सिंग होम को बंद करके इसकी जगह कई नए प्रोजेक्ट शुरू करने के प्रस्ताव बने, लेकिन एक भी आज तक सिरे नहीं चढ़ पाया। तीन साल पहले इसकी दूसरी और तीसरी मंजिल पर स्वाइन इंजरी सेंटर बनाने का प्रस्ताव बना। इसके लिए बकायदा तौर पर डॉक्टरों को नोडल अधिकारी भी नियुक्त कर दिया गया था लेकिन यह प्रोजेक्ट कागजों तक में ही सीमित होकर रह गया।
दीवार तोड़ी फिर भी नहीं जुड़ा इमरजेंसी से
ढाई साल पहले तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री बाली भगत ने इसे जीएमसी जम्मू की इमरजेंसी के साथ जोड़ने का काम शुरू किया। इमरजेंसी से मिलाने के लिए इसकी पीछे वाली दीवार को तोड़ भी दिया, लेकिन यह प्रोजेक्ट भी बाद में बंद हो गया। इस पर हजारों रुपये खर्च भी किए गए। अब इसके स्थान पर इमरजेंसी के विस्तार के लिए अलग से इमारत बनाई जा रही है।
1989 में बना था नर्सिंग होम
सर कर्नल चोपड़ा नर्सिंग होम का उद्घाटन 21 दिसंबर 1989 को तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने किया था। इसका मकसद निजी स्तर पर इलाज करवाने वाले लोगों को सस्ती दरों में सर्जरी और अन्य लैब टेस्ट उपलब्ध करवाना था। इसके लिए अलग से स्टाफ नियुक्त किया गया था। अब इस स्टाफ को मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ही अटैच कर दिया गया है।
कर्नल चोपड़ा नर्सिंग होम को फिर से खोलने की पूरी कोशिश की जा रही है। अगले वित्त वर्ष में इसकी मरम्मत के लिए अलग से फंड रखा जाएगा। इसे जल्द ही शुरू किया जाएगा। -अटल ढुल्लू, वित्तीय आयुक्त, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग