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जवानों के लिए पोर्टेबल विंड टरबाइन से बिजली बनाएगी पीयू

डॉ रविंद्र मलिक, चंडीगढ़ पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) देश के बॉर्डर पर रिमोट और दुर्गम एरिया में तैनात आ

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Jun 2018 08:10 AM (IST)Updated: Mon, 18 Jun 2018 08:10 AM (IST)
जवानों के लिए पोर्टेबल विंड टरबाइन से बिजली बनाएगी पीयू
जवानों के लिए पोर्टेबल विंड टरबाइन से बिजली बनाएगी पीयू

डॉ रविंद्र मलिक, चंडीगढ़ पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) देश के बॉर्डर पर रिमोट और दुर्गम एरिया में तैनात आर्मी के जवानों के लिए पोर्टेबल विंड टरबाइन से बिजली बनाएगी। प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार ने औपचारिक मंजूरी दे दी है। बॉर्डर पर रिमोट एरिया में ड्यूटी कर रहे आर्मी जवानों को बिजली की कमी से जूझना पड़ता है। कई जगह तो बिजली न पहुंचने के चलते खासी दिक्कत आती है। इसे देखते हुए पीयू के यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनिय¨रग एंड टेक्नोलॉजी (यूआइईटी) ने प्रपोजल भेजा था जिसे अब मंजूरी मिली है। बाकायदा प्रोजेक्ट की डिजाइनिंग पर काम भी शुरू हो गया है। प्रोजेक्ट के तहत इन इलाकों में हवा की गति जांची जाएगी। इसके आधार पर वहां टरबाइन लगाई जाएगी। हर रोज औसतन 500 वाट बिजली बनाने की योजना है जो 20-25 जवानों की आम जरूरतों को पूरा करेगी।

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शुरुआती बजट 10 लाख

प्रोजेक्ट को लेकर पीयू द्वारा करीब 6 महीने पहले केंद्र सरकार के संबंधित विभाग को प्रपोजल भेजा गया था। इसकी प्रेजेंटेशन दी गई थी कि कैसे बिजली बनाई जाएगी। इसके लिए प्रस्तावित बजट करीब 10 लाख है। दो स्टूडैंट संस्थान के डॉ. एपी सिंह और डॉ. वाईपी वर्मा के निर्देश में काम कर रहे हैं।

ऐसे बनेगी टरबाइन से बिजली

टरबाइन को इलाके की हाइट के हिसाब से स्थापित किया जाएगा। हवा की गति बढ़ने से यह तेजी से घुमेगी। इसके बाद इसे जेनरेटर से जोड़ा जाएगा जो कि बैटरी को चार्ज करेगी। हवा की गति का इसमें अहम योगदान होगा। इसमें विंड डाटा का अध्ययन किया जाएगा। उपरोक्त जगह पर पोर्टेबल बिजली बनाने का अपने आप में अनूठा प्रयोग होगा।

टरबाइन में लगेगा कंपोजिट मैटीरियल

टरबाइन कंपोजिट मैटीरियल से बनेगी। यह मैटीरियल बेहद हल्का और मजबूत होता है। इससे टरबाइन को कहीं भी ले जाने में कोई दिक्कत नहीं होगी। प्लेन को बनाने में भी ऐसे ही मैटीरियल का इस्तेमाल होता है।

पहले होगी हवा की टेस्टिंग

समतल एरिया में सामान्य रूप से हवा की गति 2 से 3 मीटर प्रति सेकेंड होती है जबकि पहाड़ी इलाकों में यह 8 से 10 मीटर प्रति सेकेंड हो जाती है। हवा की गति बढ़ने से बिजली का उत्पादन भी बढ़ेगा। गति के आधार पर टरबाइन घूमेगी। टरबाइन में लगे ब्लेड जितनी तेज गति से घूमेंगे उतनी ही ज्यादा बिजली बनेगी ।

यह होगा फायदा

टरबाइन से बिजली बनने से आर्मी की कई अहम जरूरतें पूरी होंगी। इसकी मदद से जवानों को वायरलेस सेट चार्ज करने में दिक्कत नहीं आएगी। मोबाइल भी चार्ज कर सकते हैं। इसके अलावा सर्दी में पहने जाने वाले सूट को बिजली की मदद से गर्म रख ठंड से बचाया जा सकेगा।


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