चुनावी उत्सव के बहाने स्कूलों का होगा कायाकल्प, चुनाव आयोग ने ढांचागत सुविधाओं के लिए दिए 30 करोड़
चुनाव के बहाने स्कूलों के बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जा रहा है। इसके लिए सरकारी स्कूलों में पानी की पाइप और बिजली के खंभे लगाने का काम युद्ध स्तर पर जारी है।
जम्मू, अवधेश चौहान। जम्मू कश्मीर में चुनावी उत्सव में स्कूलों का कायाकल्प होने जा रहा है। इस बार चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव के लिए मतदान अस्थायी शेड के बजाय सरकारी स्कूलों में कराने का फैसला लिया है। इसके लिए जिन सरकारी स्कूलों में फर्नीचर, बिजली-पानी, शौचालय आदि नहीं है, उन्हें मॉडल स्कूल की तरह पोङ्क्षलग के लिए तैयार किया जा रहा है। इसके लिए आयोग ने जम्मू कश्मीर को 30 करोड़ रुपये मुहैया कराए हैं।
चुनाव के बहाने स्कूलों के बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जा रहा है। इसके लिए सरकारी स्कूलों में पानी की पाइप और बिजली के खंभे लगाने का काम युद्ध स्तर पर जारी है। जो काम पिछली कई सरकार नहीं कर पाईं, वह विकास अब चुनावी उत्सव के चलते आयोग करा रहा है। स्कूलों में मतदाताओं के पहुंचने के लिए रैंप बनाए जा रहे हैं। अगर कोई दिव्यांग व्हीलचेयर या वाहन में आना चाहे तो उसके लिए सीधे मतदान केंद्र में पहुंचने की व्यवस्था की गई है। जिन स्कूलों में सदियों से बिजली नहीं पहुंची, वहां खंभे और तार बिछाए जा रहे हैं। जहां ग्रिड स्टेशन नहीं है, वहां पर सोलर लाइट्स का इंतजाम किया गया है। चुनाव आयोग की कोशिश है कि सरकारी स्कूलों का चुनाव के दौरान कायाकल्प हो सके। इस अनुष्ठान से कई छात्रों का मुस्तकबिल सुधर जाएगा।
11,316 मतदान केंद्रों में 10,000 केंद्र स्कूलों में बनाए :
जम्मू कश्मीर के निर्वाचन अधिकारी शैलेंद्र कुमार ने कहा कि राज्य के हर स्कूल में मतदान कर्मियों के लिए फर्नीचर दिया गया है। अच्छी बात यह होगी कि मतदान के बाद यह फर्नीचर स्कूलों को ही दे दिया जाएगा। हर स्कूल को चार टेबल और चार कुर्सियां दी जाएंगी। अगर कोई स्कूल और भी मांग करता है, तो उसे और राशि दे दी जाएगी। कोशिश है कि चुनाव स्वस्थ माहौल में हो, जिससे अधिक से अधिक लोग मताधिकार का प्रयोग कर सकें। राज्य में कुल 11,316 मतदान केंद्र हैं। इनमें से 10 हजार मतदान केंद्र स्कूलों में बनाएं गए हैं। जिन स्कूलों में टायलेट की सुविधा नहीं है, वहां शौचालय भी तैयार किए जा रहे हैं।
- 'संभाग में लगभग 4495 सरकारी स्कूल हैं। चुनाव आयोग की इस उदारवादी नीति से स्कूलों का उद्धार हो जाएगा। इसके लिए हर डिप्टी कमिश्नर की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है, जिसमें चीफ एजुकेशन आफिसर स्कूलों में फर्नीचर की मांग को पूरी करवा रहे हैं। हमारी कोशिश है कि 31 मार्च से पहले काम को निपटा लिया जाए। -अनुराधा गुप्ता, डायरेक्टर स्कूल एजुकेशन
- 'राज्य के दूरदराज इलाकों में चल रहे सरकारी स्कूल, जहां बिजली की आपूर्ति संभव नहीं थी, वहां पर लोकसभा चुनावों से पहले स्कूलों को रोशन करने का काम युद्ध स्तर पर जारी है। जिन स्कूलों में बिजली नहीं है, उनकी पहचान कर ली गई है। इनकी संख्या करीब 1270 है। अधिकतर स्कूलों में बिजली पहुंचा दी गई है। करीब 60 स्कूल ऐसे है, जहां पर सोलर लाइट्स लगाई गई हैं। सौभाग्य योजना के तहत भी हमने सोलर लाइट्स लगाई हैं। -सुधीर गुप्ता, चीफ इंजीनियर बिजली विभाग
- 'संभाग में 827 स्कूलों में पेयजल व्यवस्था की गई है। पहाड़ी जिलों के दूरदराज गांवों व पुंछ, राजौरी, किश्तवाड़ जिलों के सरकारी स्कूलों में पानी की व्यवस्था लगभग पूरी कर ली गई है। 31 मार्च से पहले पहले स्कूलों में बनाए गए मतदान केंद्रों में पानी की व्यवस्था हो जाएगी। -अशोक गंडोत्रा, चीफ इंजीनियर पीएचई विभाग