Move to Jagran APP

JKCA Scam: जेकेसीए के दो पूर्व पदाधिकारियों की 2.6 करोड़ रूपये की सपंत्ति अटैच

अटैच संपत्ति में तीन एफडीआर और पंद्रेठन श्रीनगर स्थित 11 कनाल जमीन है। प्रवर्तन निदेशालय ने जेकेसीए मे हुए घाटोले में इन दोनों आरोपियों के खिलाफ पीएमएलए का मामला दर्ज कर रखा है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 29 Feb 2020 03:52 PM (IST)Updated: Sat, 29 Feb 2020 05:35 PM (IST)
JKCA Scam: जेकेसीए के दो पूर्व पदाधिकारियों की 2.6 करोड़ रूपये की सपंत्ति अटैच
JKCA Scam: जेकेसीए के दो पूर्व पदाधिकारियों की 2.6 करोड़ रूपये की सपंत्ति अटैच

जम्मू, राज्य ब्यूरो। जम्मू कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (जेकेसीए) में हुए कथित वित्तीय घोटाले में लिप्त दो प्रमुख आरोपितों अहसान अहमद मिर्जा और मीर मंसूर गजनफर की 2.6 करोड़ रुपये मूल्य की चल-अचल संपत्ति को शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अटैच कर लिया। ईडी ने यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत की है। अहसान अहमद मिर्जा जेकेसीए के पूर्व कोषाधिकारी रह चुके हैं जबकि मंसूर गजनफर जेकेसीए की वित्तीय समिति के अध्यक्ष थे।

loksabha election banner

जेकेसीए में हुए इसी घोटाले के सिलसिले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय दोनों ही पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ फारुक अब्दुल्ला से भी पूछताछ कर चुके हैं। इस घोटाले में जेकेसीए के पूर्व महासचिव मोहम्मद सलीम खान भी आरोपित हैं। सीबीआई ने इस मामले की जांच का जिम्मा जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार वर्ष 2015 में संभाला था। सीबीआई ने डाॅ अब्दुल्ला के अलावा माेहम्मद सलीम खान, अहसान अहमद मिर्जा, मीर मंसूर गजनफर अली, बशीर अहमद मिसगर और गुलजार अहमद बेग को आरोपित बनाते हुए अदालत में एक आरोपपत्र भी दायर किया है। सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में बताया कि बोर्ड ऑफ कंट्रोल फार क्रिकेट इन इंडिया (बीसीसीआई) ने जम्मू कश्मीर में क्रिकेट गतिविधियें के विस्तार के लिए वर्ष 2002-11 के दौरान करोड़ों रुपये की धनराशि का अनुदान जेकेसीए को प्रदान किया। इसी अनुदान राशि में से 43.69 करोड़ रुपये की घपलेबाजी की गई है।

जम्मू कश्मीर के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके डाॅ फारुक अब्दुल्ला को पांच अगस्त 2019 को संबधित प्रशासन ने जम्मू कश्मीर अधिनियम 2019 को लागू किए जाने के मद्देनजर एहतियात के तौर पर हिरासत में लिया था। इसके बाद उन्हें सितंबर 2019 में पीएसए के तहत बंदी बनाया गया है। इस मामले में नाम आने पर नेशनल कांफ्रेंस ने डाॅ फारुक अब्दुल्ला की तरफ से एक स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा था कि किन्हीं खास कारणों से डाॅ फारुक अब्दुल्ला को इसमें आरोपित बनाया गया है। वह पूरी तरह निर्दाेष हैं। उनके ही हस्ताक्षेप के बाद इस मामले में पुलिस में एक शिकायत दर्ज करायी गई थी। जांच पूरी होने पर वह पूरी तरह निर्दाेष साबित होंगे।

अहसान अहमद मिर्जा के अलावा सलीम खान और जेके बैंक अधिकारी बशीर मिसगर ने बीते साल ईडी कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए अदालत में एक याचिका दायर की थी। इस याचिका को 17 अक्तूबर 2019 को जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया थ।

ईडी द्वारा अहसान अहमद मिर्जा और मंसूर गजनफर की जिस संपत्ति को एक प्रोविजनल आर्डर के तहत जब्त किया गया है, उसमें अहसान मिर्जा व उसके पिता की आपस में सांझेदारी वाली कंपनी मिर्जा सन्स के नाम पर 1.29 करोड़ रुपये की तीन एफडीआर हैं। यह एफडीआर लाजपत नगर दिल्ली स्थित जम्मू कश्मीर बैंक की शाखा से संबधित हैं। इनके अलावा पंद्रेठन श्रीनगर में 11 कनाल जमीन और उस पर बने ढांचे व एक शापिंग कांपलैक्स जिसकी कीमत 1.31 करोड़ है, को भी अटैच किया गया है। ईडी की यह कार्रवाई जेकेसीए घोटाले के सिलसिले में सीबीआई की जांच और एफआइआर के आधार पर हुईं है।

ईडी ने बताया है कि वित्तीय वर्ष 2005-2006 से लेकर 2011-2012 में दिसंबर 2011 तक जेकेसीए को बीसीसीआई से तीन खातों में 94.06 करोड़ रुपये का अनुदान मिला। जेकेसीए में वित्तीय घोटाला करने के लिए आरोपितों ने जेके बैंक के कुछ कमि्रयों के साथ मिलीभगत कर जेकेसीए के नाम पर कुछ अौर खाते खोले। फिर इन खातों में बीसीसीआई द्वारा प्रदान की गई अनुदान राशि को स्थानांतरित किया गया। इन्हीं बैंकों के जरिए जेकेसीए को प्राप्त अनुदान राशि का घोटाला किया गया। इसके अलावा अहसान अहमद मिर्जा ने इन खातों से एक बड़ी राशि अपने निजी बैंक खातों में भी स्थानांतरित की। इसके अलावा उसने एक बड़ी मात्रा में नकद राशि को भी बैंक से निकलवाया। इस राशि में से 1.31 करोड़ रुपये वर्ष 2006 से 2009 तक जेकेसीए की वित्त समिति के सदस्य रहे मीर गजनफर ने प्राप्त किया। वित्त समित का गठन जेकेसीए के तत्कालीन अध्यक्ष डाॅ फारुक अब्दुल्ला ने अपनी स्वेच्छा से किया था।

फारुक अब्दुल्ला ने साल 2004 में जेकेसीए के निर्वाचित कोषाधिकारी मुख्तार कंठ के इस्तीफ के बाद मिर्जा के कोषाधिकारी नियुक्त किया था। हालांकि जेकेसीए नियम 1957 के तहत उन्हें तुरंत नए चुनाव करा कोषाधिकारी को चुनना चाहिए था। जेकेसीए में 2006 में चुनाव हुए और गजनफर को कोषाधिकारी चुना गया, लेकिन अदालत द्वारा जारी स्टे के चलते वह कुछ समय तक कोषाधिकारी के तौर पर काम नहीं कर पाए। अदालत द्वारा स्टे समाप्त किए जाने के बाद भी कुछ समय तक गजनफर को कोष काा कार्यभार नहीं सौंपा गया और एक वित्त समिति बनायी गई। इसमें अहमद अहसान मिर्जा और गजनफर को शामिल किया गया।

इसके साथ ही दोनों को अधिकार दिया गया कि वह जेकेसीए के बैंक खातों को संयुक्त रुप से संचालित करेंगे। इसका फायदा उठाकर इन दोनों ने जम्मू कश्मीर बैंक में मिलकर एक संयुक्त खाता खोला और जेकेसीए के अनुदान की राशि को अपने संयुक्त खाते में स्थानंतरित किया। बाद यह राशि इस खाते से नकद निकलवाई गई या फिर मिर्जा की कंपनी समेत अन्य कई बैंक खातों में स्थानांतरित की गई। वर्ष 2011 में फारुक अब्दुल्ला जेकेसीए के अध्यक्ष और अहसान अहमद मिर्जा महासचिव चुने गए। जांच में पाया गया कि इसी अवधि के दौरान जेकेसीए को मिली अनुदान राशि में लगातार घपला होता रहा है। वर्ष 2004 से मार्च 2012 तक अहसान मिर्जा जेकेसीए के बैंक खातों के प्राधिकृत हस्ताक्षरी थे। मिर्जा को ईडी ने इसी मामले में गिरफ्तार करने के अलावा श्रीनगर स्थित विशेष अदालत में पीएमएलए के तहत आरोपपत्र भी दायर किया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.