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डुग्गर प्रदेश में बिखरी पड़ी है अमूल्य सांस्कृतिक विरासत, अभी तक एक भी गेट संरक्षित घोषित नहीं

गुम्मट गेट के जीर्णोद्धार के प्रयास तो हुए लेकिन सरकारी औपचारिकताओं के चलते यह पूरा नहीं हो पाया। वहां स्थित थाने के विस्तार के लिए गेट से छेड़छाड़ जरूर हुई।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 22 Nov 2019 10:58 AM (IST)Updated: Fri, 22 Nov 2019 10:58 AM (IST)
डुग्गर प्रदेश में बिखरी पड़ी है अमूल्य सांस्कृतिक विरासत, अभी तक एक भी गेट संरक्षित घोषित नहीं
डुग्गर प्रदेश में बिखरी पड़ी है अमूल्य सांस्कृतिक विरासत, अभी तक एक भी गेट संरक्षित घोषित नहीं

जम्मू, अशोक शर्मा। डुग्गर प्रदेश के कोने-कोने में अमूल्य सांस्कृतिक विरासत बिखरी पड़ी है, लेकिन सरकारी तंत्र की उपेक्षा के चलते यह अपना अस्तित्व खो रही है। जम्मू कभी दीवारों से घिरा सुरक्षित शहर था। पुराने शहर की अपनी पहचान थी। उत्तर भारत में जब युद्धों का दौर था तब भी यह शहर काफी शांत था। यहां बाहरी राज्यों से लोग शरण लेने के लिए आते थे। लोगों को यह शहर इतना रास आया कि उनके मोहल्ले बस गए। उनके लिए धार्मिक स्थल बन गए।

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शहर के गुम्मट गेट, डेनिस गेट, महेशी गेट, जोगी गेट के अलावा कुछ ढक्कियां लोगों को शहर से जोड़ती थी। शहर के मुख्य गेट जम्मू की पहचान थे, लेकिन विकास की आड़ में दीवारें मिट गईं। कुछ स्थानों पर दीवार के अवशेष अभी भी दिख जाते हैं। खासकर मध्यकालीन विशाल मुबारक मंडी व हरि पैलेस की पिछली तरफ की यह दीवार देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि दीवार कैसी रही होगी। शहर के पुराने ऐतिहासिक गेट लगभग मिट चुके हैं। महेशी गेट व गुम्मट गेट का संरक्षण तो अभी भी संभव है। अब केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद इन गेटों को भारतीय पुरातत्व विभाग को सौंपा जा सकता है।

गुम्मट गेट के जीर्णोद्धार के प्रयास तो हुए, लेकिन सरकारी औपचारिकताओं के चलते यह पूरा नहीं हो पाया। वहां स्थित थाने के विस्तार के लिए गेट से छेड़छाड़ जरूर हुई। गुम्मट गेट को और नुकसान पहुंचाया जाता, इससे पहले उस समय के मंत्री गुलचैन ङ्क्षसह चाढ़क ने काम रुकवा दिया। उसके बाद कई बार गुम्मट गेट के संरक्षण के दावे हुए, लेकिन आज तक इनको राज्य की सुरक्षित धरोहर घोषित नहीं किया जा सका।

राजा मालदेव के समय जम्मू को बना दिया गया था वॉल सिटी

प्रो. सुखदेव सिंह चाढ़क की पुस्तक शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ जम्मू जिसका संपादन उनकी बेटी प्रो. अनीता बलौरिया ने किया है, उसके अनुसार राजा मालदेव के समय में जम्मू शहर को वाॅल सिटी (दीवारों से घीरा शहर) बना दिया गया। इसका जिक्र गुलाब सिंह की लड़ाई में भी होता है। अफगानों व सिखों की लड़ाई में उन्होंने गुम्मट गेट के नीचे युद्ध लड़ा था। आठ वर्ष की आयु में उनकी युद्ध कला व बहादुरी के किस्से महाराजा रंजीत ङ्क्षसह तक पहुंचे थे। वालड़ सिटी होने के कारण जिस व्यक्ति को भी शहर में प्रवेश करना होता वह इन्हीं गेटों से आता था। अंधेरा होने के बाद प्रवेश की अनुमति नहीं थी। शहर के बाहर जाने वालों का भी पूरा रिकॉर्ड रहता था।

मुख्य गेटों को ऐतिहासिक स्मारक घोषित किया जाए : केके शाकिर

जम्मू हेरिटेज फोरम के अध्यक्ष केके शाकिर ने कहा कि शहर के मुख्य गेटों को बचाकर उन्हें ऐतिहासिक स्मारक घोषित किया जाना चाहिए। गुम्मट गेट जो शहर का मुख्य गेट रहा है, उसे तो अब भी संरक्षित किया जा सकता है। इन गेटों को जीर्णोद्धार के लिए भारतीय पुरातत्व विभाग को सौंपा जाना चाहिए।

जागरूकता का अभाव

डोगरा सदर सभा के अध्यक्ष गुलचैन सिंह चाढ़क ने कहा कि सरकार की कमजोर नीति के कारण ही महेशी गेट, डेनिस गेट, जोगी गेट को संरक्षित नहीं किए जा सके। गुम्मट गेट से खिलवाड़ जारी है। मैंने मंत्री होते हुए यहां निर्माण कार्य बंद करवा दिया था। जीर्णोद्धार को लेकर कार्रवाई शुरू ही की थी कि सरकार चली गई।

हेरिटेज बिल्डिंग

ऐसी बिल्डिंग जिसका निर्माण कार्य 75 से 100 वर्ष पुराना हो, जिससे कोई ऐतिहासिक घटना जुड़ी हो। पुराना शिल्प झलकता हो। आसपास शिल्प से जुड़ी कोई दूसरी बिल्डिंग न हो तो उस बिल्डिंग को हेरिटेज घोषित किया जा सकता है। शहर में बहुत सी ऐसी इमारतें हैं, लेकिन सरकारी उदासीनता के चलते उन्हें हेरिटेज बिल्डिंग घोषित नहीं किया जा रहा।

शहर के हेरिटेज स्मारक

अमर महल, टोपी बंगला, सतवारी हाउस, गैरिसन चर्च मोहल्ला अफगान मस्जिद, सुई सिंबली मंदिर, बुर्ज कानाचक्क, पुरानी मंडी श्री राम मंदिर, दीवान मंदिर, सत्यनारायण रानी मंदिर पंजतीर्थी, शीतली माता मंदिर धौंथली ढक्की, महेश्वरी गेट, बाहु मस्जिद, देवी गढ़, मंगला देवी फोर्ट, रणवीर लाइब्रेरी, रणवीर हायर सेकेंडरी स्कूल, जीजीएम साइंस कॉलेज व राज तिलक भवन।

राज्य की संरक्षित घोषित धरोहर

राज्य अभिलेखागार, पुरातत्व व संग्रहालय विभाग ने संभाग की 29 धरोहरों को राज्य संरक्षित घोषित किया है। उनमें राज्य के किले व कुछ मंदिर प्रमुख हैं। जम्मू जिले में बाहु फोर्ट, मुबारक मंडी, रायल बाबली नंदनी, पीरमिट्ठा टांब, शाही मस्जिद, मस्त गढ़, जाफरेचक्क मस्जिद, सांबा जिले में मानसर हवेली, माहौरगढ़ फोर्ट, ढेरगढ़ फोर्ट, भुपनेरगढ़ फोर्ट, सांबा फोर्ट, कठुआ जिले में जसरोटा फोर्ट व राजाओं के महल, ऊधमपुर में भीमगढ़ फोर्ट, सलाल फोर्ट, चराना देवता मंदिर, जोरावर सिंह हवेली रियासी, रामबन में बौद्ध स्थल घोड़ा गली, डोडा में प्राचीन अस्सर मंदिर, राजौरी जिले में चिंगस सराय, राजौरी फोर्ट, शाही मुगल मस्जिद नौशहरा, प्राचीन रघुनाथ जी मंदिर राजौरी, पंजनारा मंदिर राजौरी, पुंछ फोर्ट, सखी मैदान मंदिर पुंछ को विभाग ने राज्य संरक्षित धरोहर घोषित किया हुआ है।


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