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मौसम की मार से 500 हेक्टेयर में बोए गए गेहूं पर संकट, धान की फसलों को भी हुआ नुकसान

मौसम साफ होता तो फसलें सुरक्षित रह सकती थी। लेकिन कुदरत के प्रहार ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। समूचे रोई व सैलाबी क्षेत्रों के खेत जलमग्न हो चुके हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 14 Dec 2019 11:57 AM (IST)Updated: Sat, 14 Dec 2019 11:57 AM (IST)
मौसम की मार से 500 हेक्टेयर में बोए गए गेहूं पर संकट, धान की फसलों को भी हुआ नुकसान
मौसम की मार से 500 हेक्टेयर में बोए गए गेहूं पर संकट, धान की फसलों को भी हुआ नुकसान

रामगढ़, संवाद सहयोगी। किसानों की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रहीं। मौसम की मार ने खरीफ के बाद अब रबी सीजन की फसलों पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। सीमावर्ती क्षेत्र में करीब 500 हेक्टेयर में बाए गए गेहूं पर मौसम की मार पडऩे का खतरा बन गया है। कृषि अधिकारियों ने भी खेतों का निरीक्षण कर उच्च विभाग को नुकसान का ब्योरा पेश कर दिया है।

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बीते माह नवंबर में मौसम के कहर ने धान की बासमती और 1121 वैरायटी की फसलों का काफी नुकसान कर दिया था। अब वीरवार रात को हुई बारिश ने रही-सही कसर पूरा कर दी। अभी भी करीब 20 फीसदी धान की फसल खेतों में जमे पानी के कारण कटाई के इंतजार में थी, लेकिन बीती रात को फिर से हुई भारी बारिश से उन फसलों को बचने की संभावना क्षीण कर दी। इसके अलावा सीमावर्ती क्षेत्रों में जिन रबी फसलों की बिजाई की जा चुकी है, उसके भी सुरक्षित रहने की कोई उम्मीद नहीं है।

सब सेक्टर रामगढ़ के गांव चक-सलारियां, चक बाना, कौलपुर, पखडी, बरोटा, कमोर, केसो, पलोटा, नंगा, रजवाल, रामगढ़, दग, नंदपुर, स्वांखा, झंग, राडियां, घौ-रकवालां, कलाह, सहजादपुर, सारवा, कैरांवाली आदि में किसानों ने रबी फसलों की बिजाई कर दी थी। कई जगहों पर फसलें अंकुरित भी हो चुकी थीं। मौसम साफ होता तो फसलें सुरक्षित रह सकती थी। लेकिन कुदरत के प्रहार ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। समूचे रोई व सैलाबी क्षेत्रों के खेत जलमग्न हो चुके हैं।

बीज खेतों में सड़ने की चिंता: दो दिन से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश से खेतों में पानी लबालब भर गया है। इससे उन किसानों की चिंता काफी बढ़ गई है, जिन्होंने हाल ही में गेहूं की बिजाई की थी। किसानों का कहना है कि अब गेहूं का बीज खेतों में सड़ जाएगा।किसान सरदार सिंह ने कहा कि गेहूं की फसल पर ही किसान का पूरा साल निर्भर करता है। मवेशियों के लिए के लिए चारे का इंतजाम भी होता है। जिस तरह से लगातार बारिश हो रही है, उससे किसान वर्ग काफी मायूस हो चुका है। इससे पहले धान की फसल को काफी नुकसान हुआ था।

किसान को लागत के पैसे तक भी पूरे नहीं हो पाए हैं। किसान केसर सिंह ने कहा कि दिनरात मेहनत करने के बाद जब बेरहम मौसम किये धरा पर पानी फेर देता है तो वे टूट जाते हैं। उन्होंने कहा कि कभी सूखे की मार तो कभी बारिश और बाढ़ से फसलें तबाह हो जाती हैं। बारिश के कारण ही गेहूं की बोआई भी देरी से हो सकी और अब फिर बारिश से बीज खेतों में ही सड़ेगा। सरकार से मांग की है कि किसानों को इस तरह के नुकसान से उबारने के लिए ठोस नीति बनानी चाहिए।

शीतलहर के प्रकोप से जनजीवन बेहाल: मैदानी क्षेत्रों में लगातार बारिश और पहाड़ों पर बर्फबारी होने से शीतलहर का प्रकोप बढ़ गया है। आम जनजीवन तो प्रभावित है ही मवेशियों की हालत काफी नाजुक बनी हुई है। कई किसानों के पास मवेशियों के लिए चारा तक भी नहीं है। कई लोग अपने घरों में बिस्तरों में ही दुबके रहे।

मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू करे प्रशासन: रबी फसलों को हुए नुकसान के लिए अभी से किसानों ने मुआवजा देने की मांग शुरू कर दी है। किसान आशा नंद, अनिल कुमार, सरफा राम, देवी सिंह, योगेश कुमार, अशोक कुमार, सतपाल, राम सरूप, बाबू राम, जगदीश राज, दर्शन सिंह, नानक सिंह, अवतार सिंह आदि ने कहा कि मौसम की मौजूदा मार से किसान उभर नहीं पाएंगे। लिहाजा प्रशासन रबी फसलों के नुकसान का भी आकलन कर मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू करे।

रबी फसलों का बचना मुश्किल: मौसम की मार दुर्भाग्यपूर्ण है। रामगढ़ क्षेत्र के 500 हेक्टेयर में बिजाई के लिए करीब 800 क्विंटल बीज बिक चुका था। जिन खेतों में बिजाई हो चुकी है या फसल अंकुरित हो रही थी, वह अब सुरक्षित नहीं रहेंगी। शुक्रवार की सुबह ही कृषि अधिकारियों की टीमों ने सीमांत क्षेत्र के हालात का निरीक्षण किया और मुकम्मल रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेज दी। अब तो कोई चमत्कार ही रबी फसलों को सुरक्षित रख सकता है। - अजीत सिंह, एईओ, रामगढ़


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