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Jammu: हृदय रोगों से निपटने के लिए पुख्ता नीति की जरूरत, ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ रही है हृदय रोगियों की संख्या

डॉ सुशील ने कहा कि कार्डियोवैस्कुलर महामारी का मुकाबला करने के लिए साक्ष्यों पर.आधारित नीति बनाने की जरूरत है। मरीजों की समय पर जांच हो अस्पतालों में पर्याप्त ढांचा हो और दोनों पारंपरिक और नवीन तकनीकों से इलाज हो।

By JagranEdited By: Vikas AbrolPublished: Mon, 26 Sep 2022 03:15 PM (IST)Updated: Mon, 26 Sep 2022 03:15 PM (IST)
Jammu: हृदय रोगों से निपटने के लिए पुख्ता नीति की जरूरत, ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ रही है हृदय रोगियों की संख्या
डॉ सुशील शर्मा ने लोअर रूप नगर जम्मू में कैंप आयोजित किया। इसमें 200 से अधिक लोगों की जांच हुई।

जम्मू, राज्य ब्यूरो। ग्रामीण क्षेत्रों में हृदय रोग के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में एचओडी कार्डियालोजी विभाग के एचओडी डॉ सुशील शर्मा ने लोअर रूप नगर जम्मू में कैंप आयोजित किया। इसमें 200 से अधिक लोगों की जांच हुई। उनकी ईसीजी, ब्लड शुगर और एचबीए सी टेस्ट किए गए और जरूरत के अनुसार दवाएं भी दी गईं।

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डॉ सुशील ने कहा कि कार्डियोवैस्कुलर महामारी का मुकाबला करने के लिए साक्ष्यों पर.आधारित नीति बनाने की जरूरत है। मरीजों की समय पर जांच हो, अस्पतालों में पर्याप्त ढांचा हो और दोनों पारंपरिक और नवीन तकनीकों से इलाज हो। अब कार्डियोवैस्कुलर बीमारियां भारत में वयस्कों में मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण हैं। तंबाकू सेवन, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, अधिक वजन और मोटापा आम हैं।यह सभी हृदय रोगों के कारण हैं। हमने ग्रामीण भारत में बुजुर्गों 60 वर्ष या अधिक आयु में हदय रोगों के कारणों की जांच की। यह सर्वविदित है कि पारंपरिक जोखिम कारक धूम्रपान, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा और अस्वसथ आहार है। यही नहीं कम शारीरिक गतिविधियां भी हृदय रोगों के लिए जिम्मेदार हें।

अब संक्रामक रोगों से अधिक गैर संक्रामक रोगों से लोगों की मौत हो रही 

भारत में अब संक्रामक रोगों से अधिक गैर संक्रामक रोगों से लोगों की मौत हो रही है। गरीब प्रदेशों और ग्रामीण क्षेत्रों में हृदय रोग बढ़े हैं। उन्होंने लोगों से हृदय रोगों से बचाव के लिए पारंपरिक जीवनशैली अपनाने को कहा। पूर्व सांसद शमशेर सिंह मन्हास, कारपोरेटर कुलदीप चिब, रेखा मन्हास, सुखदेव सिंह जम्वाल, सुरेश खजूरिया, जोगेंद्र चिब, वेद प्रकाश, दुष्यंत सिंह ने कैंप आयोजित करने के लिए डा. सुशील को सराहा। कैंप में डा. नसीर अली चौधरी, डा. दिनेश्र कपूर, डा. अनितिपाल सिंह ने भी लोगों की जांच की।


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