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डॉ. विनोद की पुस्तकें गागर में सागर समेटने का प्रयास

जागरण संवाददाता, जम्मू : वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. निर्मल विनोद कृत मौलिक और अनूदित पुस्तकों का लोकार

By JagranEdited By: Published: Fri, 06 Dec 2019 06:45 AM (IST)Updated: Fri, 06 Dec 2019 06:45 AM (IST)
डॉ. विनोद की पुस्तकें गागर में सागर समेटने का प्रयास
डॉ. विनोद की पुस्तकें गागर में सागर समेटने का प्रयास

जागरण संवाददाता, जम्मू : वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. निर्मल विनोद कृत मौलिक और अनूदित पुस्तकों का लोकार्पण डोगरी संस्था की ओर से आयोजित कार्यक्रम में किया गया। केएल सहगल हाल में आयोजित जिन पुस्तकों का विमोचन किया गया, उनमें निर्मल हजारा, अस ते आं आम लोक 'नवगीत', देहरा च अज्ज उगदे न साढे बूहटे, वितस्ता दा त्रीया कंढा, वे भी दिन थे 'अनुवाद' शामिल थे।

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डोगरी, संस्कृत की विदुषी पदमश्री प्रो. वेद कुमारी घई मुख्य अतिथि थीं। डोगरी संस्था के अध्यक्ष प्रो. ललित मगोत्रा ने अध्यक्षता की। अकादमी के पूर्व सचिव रमेश मेहता, दर्शन दर्शी, पदमश्री डॉ. जितेंद्र ऊधमपुरी, जम्मू-कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी के अतिरिक्त सचिव डॉ. अरविद्र सिंह अमन भी मौजूद थे।

जम्मू यूनिवर्सिटी के डोगरी विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. शशि पठानिया और आलोचक एवं समीक्षक प्रकाश प्रेमी ने डॉ. निर्मल विनोद के कार्यो पर पेपर पढे़, जिन्हें दर्शकों ने पसंद किया। पुस्तकों की कमियों और खूबियों पर खुल कर बात हुई। निर्मल हजारा पर प्रकाश प्रेमी ने कहा कि मन के भावों को गागर में सागर को समेटने का प्रयास है। उन्होंने दोहों के सफर पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि निर्मल हजारा के लिए डोगरी काव्य परिवार बधाई का पात्र है।

डॉ. निर्मल विनोद ने कहा कि निर्मल हजारा का प्रकाशन प्रो. वेद घई के प्रोत्साहन से ही संभव हो सका। इसके अलावा सुरेंद्र सागर का भी विशेष सहयोग रहा। उन्होंने कहा कि वह भाग्यशाली हैं कि डोगरी भाषा की पहली सतसई निर्मल सतसई और पहले हजारे का प्रकाशन कर सका। उन्होंने चिंता जताई की डोगरी का पाठक वर्ग लगभग नदारद नजर आता है लेकिन उम्मीद जताई की पाठक वर्ग बढ़ेगा।

मुख्य अतिथि प्रो. वेद घई ने कहा कि डॉ. निर्मल विनोद सिर्फ डोगरी ही नहीं, पंजाबी, हिदी के भी बहुत अच्छे लेखक हैं। डॉ. विनोद की सभी भाषाओं पर अच्छी कमांड है।

डोगरी संस्था के अध्यक्ष प्रो. ललित मगोत्रा ने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि डॉ. विनोद सृजनात्मक सोच के धनी हैं। आज जो पांच किताबें प्रकाशित हुई हैं, उनमें से चार डोगरी की हैं। उनके प्रयास से डोगरी साहित्य समृद्ध हुआ है।

डॉ. जितेंद्र ऊधमपुरी ने डॉ. विनोद के कार्यो की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा समाज में समय की प्रासंगिकता को ध्यान में रखकर लिखा है। अनुवाद में भी मूल कृति निखारने की क्षमता

डॉ. रमेश मेहता ने कहा कि डॉ. निर्मल विनोद के कार्य मील का पत्थर हैं। उनके अनुवाद की विशेषता यह है वह मूल कृति के भाव को निखारने की क्षमता रखते हैं। उनके अनुवाद को पढ़ते हुए लगता ही नहीं कोई अनूदित कृति पढ़ रहा है। दर्शन दर्शी ने उनकी डोगरी रचनाओं खासकर दोहों, नवगीत पर विचार व्यक्त किए। डॉ. अरविद्र सिंह अमन ने कहा कि डॉ. विनोद का कार्य उनका समाज के प्रति गंभीर चिंतन का परिणाम है। वह हर चीज का गंभीरता से अध्यन करते हैं। मंच संचालन एवं धन्यवाद जम्मू यूनिवर्सिटी की डीन आ‌र्ट्स प्रो. वीणा गुप्ता ने किया।


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