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रिफ्यूजियों को मुआवजा देने की प्रक्रिया बनेगी सरल : डॉ. जितेंद्र

राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा कि राज्य में पश्चिम पाकिस्तान के रिफ्यूजियों को प्रति परिवार साढ़े पांच लाख रुपये मुआवजा देने की प्रक्रिया सरल बनाई जाएगी।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 26 Sep 2018 10:40 AM (IST)Updated: Wed, 26 Sep 2018 10:44 AM (IST)
रिफ्यूजियों को मुआवजा देने की प्रक्रिया बनेगी सरल : डॉ. जितेंद्र
रिफ्यूजियों को मुआवजा देने की प्रक्रिया बनेगी सरल : डॉ. जितेंद्र

जम्‍मू,राज्य ब्यूरो। प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा है कि राज्य में पश्चिम पाकिस्तान के रिफ्यूजियों को प्रति परिवार साढ़े पांच लाख रुपये मुआवजा देने की प्रक्रिया सरल बनाई जाएगी। केंद्र सरकार ने यह मुद्दा राज्य सरकार के समक्ष उठाया है।

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दिल्ली में मिलने पहुंचे पश्चिम पाकिस्तान रिफ्यूजी एक्शन फ्रंट के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत करते हुए डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर में बसे पश्चिम पाकिस्तान के रिफ्यूजियों के मसलों को लेकर गंभीर है। वफद का नेतृत्व एक्शन फ्रंट के प्रधान लब्बा राम गांधी कर रहे थे।

डॉ. सिंह ने बताया कि अगर किसी परिवार के पास पूरे कागजात नहीं हैं तो संबंधित जिलाधीश मामले की जांच करवाएगा। इसके आधार पर रिफ्यूजी परिवार की पुष्टि होगी ताकि उसे मुआवजा दिया जा सके। उन्होंने बताया कि गुलाम कश्मीर के रिफ्यूजियों के परिवारों के लिए आए 2000 करोड़ रुपये का पैकेज वितरित करने के निर्देश दिए गए हैं।

इसके लिए एक नोडल अधिकारी भी बनाया जा रहा है। इस दौरान लब्बा राम गांधी ने रिफ्यूजियों की अन्य समस्याओं भी रखीं। अपने लोगों के सामने एक्सपोज हो रही पीडीपी, नेकां जम्मू : डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा है कि स्थानीय निकाय चुनाव का बहिष्कार करने वाली नेशनल कांफ्रेंस व पीडीपी अपने ही लोगों में एक्सपोज हो गई हैं।

कश्मीर की इन पार्टियों के नेताओं, कार्यकर्ताओं में निराशा का हवाला देते हुए सिंह ने कहा कि चुनाव बहिष्कार करने के बाद कई कार्यकर्ताओं का पार्टी छोड़ना इसका सबूत है। नेकां के प्रवक्ता जुनैद मट्टू के पार्टी छोड़ चुनाव मैदान में आने पर उन्होंने कहा कि कश्मीर में भी लोग चाहते हैं कि वे अपने अपने इलाकों में विकास के लिए आगे आएं।

दिल्ली में बातचीत में सिंह ने कहा कि यह गलत है कि लोगों को सशक्त बनाने के चुनाव का बहिष्कार किया जा रहा है। 19 जून को भाजपा के समर्थन वापस लेने से सरकार गिरने के बाद नेकां उप प्रधान उमर अब्दुल्ला व उनकी टीम ने सोशल मीडिया व ट्वीटर पर विधानसभा भंग करने की मुहिम छेड़ दी थी।

उस समय उन्होंने एक बार भी 35-ए का मुद्दा नहीं बनाया। अब जबकि स्थानीय निकाय, पंचायत चुनाव की बात आई तो उन्होंने 35-ए पर चुनाव का बहिष्कार कर दिया। 


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