Jammu Kashmir: मुखर्जी के अधूरे अभियान एक विधान एक निशान की फिर शुरूआत करेगी भाजपा: डा जितेंद्र सिंह
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि उनके अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए हमें एक बार फिर प्रदेश में दो विधान दो निशान की व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष करने की जरूरत है।
कठुआ, जागरण संवाददाता। एक विधान, एक निशान का नारा देने वाले भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के जन्मदिवस पर हमें उनके अधूरे अभियान को पूरा करने का प्रण लेना है। मुखर्जी ने वर्ष 1953 में दो विधान, दो निशान के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था जो पूरा नहीं हो पाया। अब उसे पूरा करने की जिम्मेदारी हमारी है। जम्मू-कश्मीर के लिए उन्होंने बहुत कुछ किया परंतु यहां सत्ता में आने वाली सरकारों ने उन्हें वह सम्मान नहीं दिया जो उन्हें मिलना चाहिए था।
यह बात प्रधानमंत्री कार्यालय में केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कठुआ में मुखर्जी चौक में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की मूर्ति का अनावरण करने के बाद जनसभा को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि लखनपुर में परमिट प्रणाली के विरोध में जब मुखर्जी ने विशाल मार्च निकाला था तो उन्हें जम्मू में प्रवेश करने पर यहां की तत्कालीन सरकार ने रोका था। यही नहीं उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उन्हें कश्मीर में एक जगह पर कैदी बनाकर रखा गया। अगर सरकार चाहती तो उन्हें लखनपुर से वापस भी लोटाया जा सकता था। लेकिन ऐसा करने के बजाय उन पर जन सुरक्षा अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर 40 दिन तक कारागार में रखा गया। क्या ऐसे महान नेता के साथ इस तरह का व्यवहार वाजिब था। इस पर आज फिर कार्यकर्ताओं को विचार करना है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि उनके अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए हमें एक बार फिर प्रदेश में दो विधान दो निशान की व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष करने की जरूरत है। उस समय केंद्र में रही कांग्रेस सरकार पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी मौत के बाद भी समय पर उनके परिवार को सूचना नहीं दी गई। उनकी मौत सुबह कश्मीर में हुई जबकि उस समय की राज्य सरकार ने दोपहर 1:00 बजे इसकी सूचना रेडियो के माध्यम से दी। हद तो यह है कि उनका शव बंगाल पहुंचाने के लिए 7000 किराया भी नहीं दिया गया। उनका पार्थिव शरीर जब बंगाल पहुंचा तो वहां के लोगों ने यह नारे लगाना शुरू कर दिए कि जहर दिया है, जहर दिया है, शेख ने जहर दिया है। ऐसी पूर्व सरकारों को हम कैसे माफ कर दें? यह एक अहम सवाल है। उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं से कहा कि श्रद्धांजलि की कीमत अभी बाकी है। उनका संघर्ष अभी समाप्त नहीं हुआ है। उनका एजेंडा अभी भी प्रदेश में लागू नहीं हुआ है।
दो वंशों की सरकारों से भी चाहिए आजादी
डॉ सिंह ने कहा कि हमें कश्मीरी भाइयों को भी उन दो वंशों की सरकारों से आजादी दिलानी है जो मात्र 8 फीसद वोट से विधानसभा और संसद में पहुंचते हैं। हमें तब तक यह संघर्ष जारी रखना है जब तक वहां पर 40 फीसद वोट से विधायक और सांसद नहीं बनते हैं। हमें आज जहां से सिर्फ डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मूर्ति पर हार पहना कर मात्र श्रद्धांजलि देकर वापस नहीं लौट जाना है बल्कि ऐसा वातावरण तैयार करना है कि दो वंशों की सरकारों से कश्मीरियों को निजात दिलाए।
आज का दिन जम्मू-कश्मीर के लिए महत्वपूर्ण
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं राज्य प्रभारी अविनाश राय खन्ना ने कहा कि आज का दिन जम्मू-कश्मीर के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। यहां पर लगी उनकी मूर्ति से पूरे प्रदेश में एक संदेश गया है कि इस प्रदेश के लिए शहादत देने वालों को अभी तक सम्मान नहीं दिया था। इसलिए आज ऐतिहासिक दिन है। मुखर्जी के जन्मदिवस पर जम्मू-कश्मीर प्रवेश द्वार पर उनकी मूर्ति स्थापित हुई है। दो विधान दो निशान के खिलाफ अभियान चलाने के लिए वह यहां बंगाल से चलकर आए। आज हमें उनके अधूरे काम को पूरा करने का संकल्प लेना है। जब तक प्रदेश में एक विधान एक निशान नहीं हो जाता तब संघर्ष जारी रहेगा। वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना ने कहा कि आज पूरे प्रदेश भाजपा के लिए बधाई का दिन है। उन्होंने मुखर्जी के अभियान को जारी रखने का कार्यकर्ताओं के साथ संकल्प लेते हुए एलान किया कि जम्मू-कश्मीर में भाजपा का सीएम बनेगा और कश्मीर के लाल चौक मे भी डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की इसी तरह की मूर्ति स्थापित होगी। यह भाजपा का अगला मिशन है।