आवारा कुत्तों से शहर को निजात दिलाएगा जम्मू नगर निगम
------- जम्मू शहर में लोग आवारा कुत्तों, मवेशियों से परेशान हैं। कुत्ते के काटने से लोग जख्मी ह
-------
जम्मू शहर में लोग आवारा कुत्तों, मवेशियों से परेशान हैं। कुत्ते के काटने से लोग जख्मी होते ही हैं, कई बार बीच सड़क पर बैठे मवेशी भी दुर्घटना का कारण बनते हैं। नगर निगम ने कई बार प्रयास किए। अभियान चलाया लेकिन पूरी तरह से कामयाबी नहीं मिली। म्यूनिसिपल वेटनरी ऑफिसर डॉ. जफर इकबाल कुत्तों के आतंक से निजात दिलाने के प्रयास में जुटे हैं। साथ ही स्वच्छ भारत मिशन को भी आगे बढ़ा रहे हैं। इन समस्याओं पर डॉ. जफर इकबाल से दैनिक जागरण के वरिष्ठ संवाददाता अंचल ¨सह ने बात की। प्रस्तुत है मुख्य अंश।
--------
जम्मू शहर स्मार्ट सिटी की दौड़ में शामिल है। वो दिन दूर नहीं जब यहां लोग आधुनिक सुविधाओं से लैस हो जाएंगे। स्वच्छता के अलावा अन्य फील्ड में भी जम्मू देश के प्रमुख शहरों में अपनी पहचान बना लेगा। जम्मू नगर निगम इसमें प्रमुख भूमिका निभा रहा है। शहर को आवारा व खुले में घूमने वाले कुत्तों व मवेशियों से राहत दिलाने के साथ इनसे होने वाली क्रूरता को रोकने में अहम कदम उठाए जा रहे हैं। कुत्तों की नसबंदी की प्रक्रिया से आने वाले कुछ वर्षो में शहर को आवारा कुत्तों से निजात मिल जाएगी। इसके अलावा खुले में घूमने वाले मवेशी भी नजर नहीं आएगी। सड़क हादसों में कमी होगी। दो साल बाद लोगों को फर्क नजर आना शुरू हो जाएगा। शहर को स्वच्छता की दिशा में आगे बढ़ाने में आपका योगदान ?
-मैं सॉलिड लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट का एक्सपर्ट भी रहा। जम्मू जिला प्रशासन के साथ मिलकर जहां ग्रामीण हलकों में स्वच्छता की अलख जगाई तो शहर में भी लोगों को जागरूक किया। बिश्नाह के चक लाला में कचरा निस्तारण पर सरकार का एक प्रोजेक्ट शुरू हो चुका है। अखनूर में जल्द कचरा निस्तारण प्रोजेक्ट शुरू होने वाला है। इसमें अधिकतर काम खुद किया। इसके परिणाम सभी को दिख रहे हैं। जम्मू शहर के वार्ड-36 में चैरिटेबल ट्रस्ट को आगे लाते हुए स्वच्छता की दिशा में प्रभावी कदम उठाए। आज यह संस्था स्वयं कचरा घर-घर से उठा रही है। शहर में खुले में घूमने वाले कुत्तों की संख्या कितनी होगी?
-112 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले जम्मू के 71 वार्डो में करीब 60 हजार कुत्ते हैं। निगम ने वर्ष 2014 में एक सर्वे कराया था, जिसमें इनकी संख्या करीब 30 हजार पाई गई थी। अब इनकी संख्या 60 हजार के करीब है। अब नए क्षेत्र भी जम्मू नगर निगम के अधीन लाए गए हैं। यह संख्या और बढ़ गई होगी। कुत्तों की बढ़ती संख्या पर अंकुश लगाने में कितना कामयाब रहा जम्मू नगर निगम ?
- निगम ने नंदेड सोसायटी को शहर में कुत्तों की नसबंदी का ठेका दिया था। पिछले वर्ष फरवरी-मार्च में सोसायटी ने कुत्तों की नसबंदी का काम शुरू किया। अभी तक करीब 16 हजार कुत्तों की नसबंदी कर दी गई है। इनमें 10 हजार कुतिया और शेष कुत्ते शामिल हैं। फिलहाल नसबंदी की प्रक्रिया रोकी गई है। जल्द इसे शुरू कर दिया जाएगा। हादसों में कई मवेशी दुर्घटनाग्रस्त होते हैं, क्या किया जाता है?
-इसके लिए हमने म्यूनिसिपल रूपनगर एनिमल केयर सेंटर चौबीस घंटे खुला रखा जा रहा है। डॉक्टर के अलावा पैरावेट स्टाफ तैनात किया गया है। पहले 10 से 4 के बीच ही घायल या दुर्घटनाग्रस्त मवेशियों का इलाज दिया जाता था। निगम ने सुबह 8 से 2, 2 से 8 और रात 8 से सुबह 8 बजे तक तीन शिफ्ट में रूपनगर स्थित सेंटर में यह व्यवस्था बना दी है। सड़कों पर मवेशियों की संख्या कैसे रोकेंगे?
- हमारे पास डोगरा हॉल में एक कैटल पांड है। इसमें 80 के करीब मवेशी रखे जा सकते हैं। इस कारण खुले में घूमने वाले अधिकतर मवेशी उठाना संभव नहीं रहता। जल्द ही सरकार नगरोटा में जमीन देने जा रही है। उम्मीद है कि कुछ महीने में वहां जगह मिल जाएगी। फिर थोड़ी सुविधा रहेगी। फिलहाल हम जुर्माना कर मवेशी छोड़ देते हैं। दशकों पुराने स्लॉटर हाउस हैं, कब बदलेगी इनकी दशा?
- जल्द गुज्जर नगर व डोगरा हॉल के स्लॉटर हाउस को आधुनिक बनाया जाएगा। इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर मंजूरी के लिए भेज दिया गया है। इसके तहत स्लॉटर हाउस से निकलने वाले खून व अन्य गंदगी नालों में नहीं जाएगी। यहां खाने बनाने की प्रक्रिया भी शुरू होगी। प्रश्न : पंजबखतर मंदिर में बनाया बायोगैस की क्या प्रगति है?
-पंजबख्तर मंदिर में बायो गैस प्लांट का काम फिलहाल पैसे की कमी से रुक गया है। कमेटी के प्रयासों से शहर में यह एक बेहतरीन प्रयास रहा। अब मंदिर के फूलों, यहां गोशाला से निकलने वाले गोबर से गैस और बिजली बनेगी। थोड़ा ही काम शेष बचा है। यह प्रोजेक्ट लोगों के लिए प्रेरणादायक साबित होगा। प्रश्न: कैटल पांड में मवेशियों की दिक्कतें समझते हैं?
-मवेशियों के साथ क्रूरता न हो, इसका पूरा ख्याल रखा जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के भी आदेश हैं। हमने इस दिशा में बहुत से प्रयास किए हैं। शहर की महेशपुरा व ज्यूल सब्जी मंडी से वेस्ट सब्जियों को उठाकर इनका चारा बनाया जाता है। इसे डोगरा हॉल कैटल पांड में लाया जाता है। ऐसे ही जानीपुर व मुट्ठी सब्जी मंडी से खराब सब्जियों को रूटीन में गाड़ी भेज कर उठाया जाता है। प्रश्न : शहर के लिए कोई नए प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है?
-शहर के बाहर कैटल पांड बनाने की तैयारी है। अदालत में भी मामला चल रहा है। इसमें सेव एनिमल केयर संस्था ने काफी मदद की। सरकार नगरोटा में इसके लिए जमीन देने जा रही है। इसके अलावा पुराने स्लॉटर हाउस बदले जाएंगे। एनिमल केयर सेंटर में वर्मी कंपोस्ट बनाने का काम शुरू कर दिया गया है।