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आदमखोर होकर इंसानों को नोचने लगे कुत्ते, घरों से बाहर निकलने से कतरा रहे लोग

रामगढ़ के गांव चक-बागला स्थित गुज्जर बस्ती में आवारा कुत्तों ने एक चार वर्षीया मासूम बच्ची अहु पुत्री मांशु को नोच कर मौत के घाट उतार दिया।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 17 Oct 2018 01:54 PM (IST)Updated: Wed, 17 Oct 2018 01:54 PM (IST)
आदमखोर होकर इंसानों को नोचने लगे कुत्ते, घरों से बाहर निकलने से कतरा रहे लोग
आदमखोर होकर इंसानों को नोचने लगे कुत्ते, घरों से बाहर निकलने से कतरा रहे लोग

जम्मू, जेएनएन। गलियों में घूमने वाले आवारा कुत्ते आदमखोर होकर इंसानों को नोचने लगे हैं। लोग अकेले घर से बाहर निकलने से भी कतरा रहे हैं। रात के समय खेतों की रखवाली करने वाले किसानों भी इस स्थिति से चिंतित हैं। जिला प्रशासन अब इस पर सोचने की बात कर रहा है कि आखिर कुत्तों के आतंक को किस प्रकार से रोका जाए।

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सीमावर्ती क्षेत्र रामगढ़ के गांव चक-बागला स्थित गुज्जर बस्ती में आवारा कुत्तों ने एक चार वर्षीया मासूम बच्ची अहु पुत्री मांशु को नोच कर मौत के घाट उतार दिया। यह घटना ऐसी है कि इन्सान की रूह कांप जाए। आवारा कुत्तों के आतंक का ऐसा घाव है, जो शायद ही कभी भरे। यह तो एक ताजा घटना है, मगर पहले भी क्षेत्र में यह आवारा कुत्ते आतंक मचा चुके हैं। कई लोगों को अपना शिकार बना चुके हैं। शायद ही क्षेत्र का कोई ऐसा गांव होगा, जहां पर आवारा कुत्तों का आंतक न हो।

पहले भी कर चुके हैं इंसानों पर हमले

गांव पंचायत चक-सलारियां के 70 वर्षीय वृद्ध चन्ना सिंह पर गत वर्ष आवारा कुत्तों ने हमला किया था। ग्राम पंचायत चक-बलोत्रों में भी करीब 12 लोग आवारा कुत्तों का शिकार हुए हैं। दो माह पूर्व गांव पंचायत कलाह-स्वांखा में भी मासूम बच्चे को गली में खेलते हुए आवारा कुत्ते ने नोच दिया था। हालांकि लोगों की सतर्कता से मासूम बच्चे की जान बच गई। गांव पंचायत चक-बलोत्रों में अब तक आवारा कुत्तों के आतंक से दर्जनों मवेशियों को अपना शिकार बना चुके हैं। आवारा कुत्तों के आतंक से परेशान लोग कई बार प्रदर्शन कर चुके हैं, मगर प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया है। अब डीसी सांबा सुषमा चौहान ने इस पर विचार करने की बात कही है।

घर से बाहर निकलने से कतराने लगे लोग

सीमांत गांव रंगूर, बबराल, डड़ेयाल, पखडी, बरोटा, नंदपुर, दग, अबताल, नंदपुर, नंगा, केसो, कौलपुर, स्वांखा, सहजादपुर, सारवा में भी आवारा कुत्तों की संख्या काफी है। लोग अकेले घर से बाहर निकलने से भी कतराने लगे हैं। रात के समय खेतों की रखवाली करने वाले किसानों भी इस स्थिति से चिंतित हैं। रात के वक्त इन्सान को अकेला देखकर कुत्ते टूटने को तैयार हैं।

लोगों में बढ़ रहा प्रशासन के खिलाफ रोष

आवारा कुत्तों द्वारा मासूम बच्ची को मौत के घाट उतारने के बाद लोगों में प्रशासन के खिलाफ रोष व्याप्त है। आवारा कुत्तों के आतंक पर रोक लगाने की मांग करने के बाद भी कोई कदम नहीं उठाए गए। इसी कारण मासूम को अपनी जान गंवानी पड़ी। पंचायत के पूर्व सरपंच विजय चौधरी बावा ने कहा कि पिछले लंबे समय से कुत्तों ने आतंक मचा रखा है। पहले तो कुत्ते मवेशियों को अपना शिकार बनाते थे, लेकिन अब तो कुत्ते आमदखोर हो गए है। आदमखोर होते आवारा कुत्तों को मारने के लिए प्रशासन जल्द ठोस रणनीति बनाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटना न हो। पीड़ित परिवार के सदस्यों में रछीद अली, हजूर हुसैन बानिया, सैल अली, सरफराज अहमद कादरी, रहमतुल्लाह सलारिया ने कहा कि जंगलों एवं सुनसान जगहों पर डेरे बसाकर जीवन बसर करने वाले गुज्जर समुदाय लोगों के लिए कुत्ते बड़ा खतरा रहे हैं। कभी कुत्ते मवेशियों को शिकार बना रहे है तो अब इंसान के लिए भी खतरा बन गए हैं।

कुत्तों से निपटने के लिए प्रशासन बना रहा नीति

आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और आतंक को रोकने के लिए प्रशासन योजना पर विचार कर रही है। जल्द बैठक करके लिए व्यापक नीति बनाई जाएगी। उन्होंने बच्ची की मौत पर अफसोस जाहिर करते हुए इस बात का विश्वास दिलाया कि इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाएगा।

- सुषमा चौहान, डीसी सांबा


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