Maraja Hari Singh Jayanti : डोगरा सदर सभा ने सामाजिक न्याय दिवस के रूप में मनाया महाराजा हरि सिंह की जयंती
हरि सिंह की 127वीं जयंती को डोगरा सदर सभा ने सामाजिक न्याय दिवस के रूप में मनाया। महाराजा की जयंती पर सरकारी छुट्टी होने पर समारोह विशेष उत्साह के साथ मनाया गया। वक्ताओं ने इस दिन को सामाजिक न्याय दिवस नाम देने के लिए डोगरा सदर सभा की सराहना की।
जम्मू, जागरण संवाददाता : जम्मू कश्मीर और लद्दाख की तत्कालीन रियासत के महाराजा हरि सिंह की 127वीं जयंती को डोगरा सदर सभा ने सामाजिक न्याय दिवस के रूप में मनाया। महाराजा की जयंती पर सरकारी छुट्टी होने पर समारोह विशेष उत्साह के साथ मनाया गया। इस दौरान वक्ताओं ने इस शुभ दिन को सामाजिक न्याय दिवस के रूप में उपयुक्त नाम देने के लिए डोगरा सदर सभा की सराहना की।
सरकार से सर्वसम्मति से एक अपील की गई थी कि सभी शैक्षणिक संस्थानों और अन्य सरकारी विभागों को भी अपने-अपने परिसरों में दिवंगत महाराजा की इस तरह की प्रतिबद्धता के लिए ‘सामाजिक न्याय दिवस’ के रूप में मनाने के लिए कहा जाए। उन्होंने व्याख्यान, कविताओं, गीतों और फूलों की भेंट के माध्यम से दिवंगत महाराजा को अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की।
प्रसिद्ध डोगरा कलाकार रणधीर सिंह रायपुरिया और सीएस काटल द्वारा कविताएं और डोगरी गीत प्रस्तुत किए गए और समारोह में छात्राओं ने सुंदर डोगरी नृत्य प्रस्तुत किया गया। इससे पहले, अपने स्वागत भाषण में ठाकुर गुलचैन सिंह चाढ़क ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, जम्मू-कश्मीर के नागरिकों और सभी सामाजिक लोगों को बधाई देते हुए यह ऐतिहासिक अवसर प्रदान करने के लिए धन्यवाद दिया। धार्मिक, व्यवसायिक एवं राजनीतिक संगठन विशेष रूप से युवा राजपूत सभा के जोश को विशेष श्रेय दिया। उन्होंने छुट्टी के लिए प्रधानमंत्री और गृहमंत्री का आभार भी व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि सरकार के इस सांकेतिक कृत्य के माध्यम से, इस महान भारतीय राष्ट्र के निर्माण में महाराजा के योगदान, एक प्रगतिशील समाज सुधारक, शिक्षाविद और सामाजिक न्याय के समर्थक के रूप में उनकी भूमिका को विधिवत मान्यता मिली है। वह सम्मानित शासक थे।एक डोगरा आइकन के रूप में प्रतिष्ठित, जिन्होंने अपने जीवन के अंतिम 14 वर्षों को अपने ही देश में निर्वासन में बिताना पसंद किया।
कार्यक्रम में पूर्व उपमुख्यमंत्री कविन्द्र गुप्ता, सेवानिवृत्त मेजर जनरल जी एस जम्वाल, पूर्व कुलपति प्रो. आर डी शर्मा, पूर्व एमएलसी नरेश गुप्ता, सेवानिवृत्त कर्नल कर्ण सिंह, प्रेम सागर गुप्ता, गंभीर देव सिंह, सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल राकेश शर्मा, अमानत अली शाह, सेवानिवृत्त जेकेएएस अजय खजूरिया, जगमोहन शर्मा, सीएम शर्मा शामिल थे। वक्ताओं ने एक के बाद एक गर्व के साथ पूर्व महाराजा की उत्कृष्ट शैक्षिक पृष्ठभूमि, तत्कालीन आधुनिक दुनिया के संपर्क, उनकी दूरदृष्टि और व्यापक आर्थिक, कृषि, सामाजिक, कानूनी, प्रशासनिक और राजनीतिक सुधारों के अग्रदूत के रूप में वर्णन करते हुए उनकी प्रशंसा की।
महाराजा ने सार्वजनिक मामलों की हर शाखा का आधुनिकीकरण किया : वक्ताओें ने कहा कि महाराजा ने कई नए कानून पेश किए जिन्होंने सार्वजनिक मामलों की हर शाखा का आधुनिकीकरण किया। कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई। 1937 में ग्रामीण विकास, पर्यटन, जम्मू और कश्मीर बैंक 1938, मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, अमर सिंह कॉलेज, ग्रामीण विकास की योजनाओं के कार्यान्वयन के साथ पंचायतों का संघ, उपलब्ध कच्चे माल के साथ राज्य के औद्योगीकरण की दिशा में कदम राज्य में विशेष रूप से माचिस, कालीन, तंबू, लकड़ी का काम, चर्मशोधन का सामान, रेशम के धागे के माध्यम से व्यापार और उद्योग को प्रोत्साहन और कई करों के उन्मूलन पर विस्तार से चर्चा की गई।
निम्न जाति व समुदायों के हित में लिए साहसिक फैसले : महाराजा हरि सिंह को निम्न जाति समुदायों के खिलाफ आम छुआछूत की बुराइयों के खिलाफ साहसिक कदम के लिए याद किया जाता है। उन्होंने 1931 में अछूतों के लिए सभी स्कूल, कॉलेज और कुएं खोल दिए। अगले साल 1932 में सभी मंदिरों को उनके लिए खोल दिया गया और 1941 तक अस्पृश्यता को अपराध घोषित कर दिया गया।
हिंदू विधवाओं के विवाह पर महाराजा द्वारा कानूनी अक्षमताओं को हटाने को उपमहाद्वीप में एक सिद्धांत के रूप में माना जाता है। महाराजा ने नवरात्रों के दौरान हरिजन लड़कियों की पूजा करने की मिसाल कायम की। अंत में रणधीर सिंह और सीएस काटल को डोगरा संस्कृति को बढ़ावा देने में उनके योगदान के लिए शॉल भेंट कर सम्मानित किया गया।