Move to Jagran APP

Dog Bite Cases in Kashmir: कश्मीर में कुत्तों का आंतक, दस सालों में 58869 मामले दर्ज हुए

डॉ खान ने बताया कि लोगों को जानकारी दी कि अकसर लोग सोचते हैं कि कुत्ता काटने या उसकी खरोंच के बाद उन्हें खून नहीं आया तो उन्हें एंटी रेबीज वैक्सीन की आवश्यकता नहीं है। ऐसा कतई नहीं है। खून न निकलने पर भी आपको तत्काल वैक्सीन लेनी चाहिए।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2021 09:13 AM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 09:36 AM (IST)
Dog Bite Cases in Kashmir: कश्मीर में कुत्तों का आंतक, दस सालों में 58869 मामले दर्ज हुए
अगर व्यक्ति को खून निकलता है तो उसे एंटी रेबीज वैक्सीन के साथ इम्युनोग्लोबुलिन की आवश्यकता होती है।

श्रीनगर, जेएनएन। कश्मीर घाटी में कुत्तों का आंतक बना हुआ। पिछले दस सालों की बात करें तो अभी तक घाटी के विभिन्न इलाकों से 58869 कुत्तों द्वारा लोगों को मामले दर्ज किए जा चुके हैं। यानी औसतन हर दिन 16 ऐसे मामले स्वास्थ्य केंद्रों में आते हैं। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार कश्मीर में जनवरी 2011 से जनवरी 2021 तक कुत्तों ने लगभग 58869 व्यक्तियों को काटा है।

loksabha election banner

कुत्ता काटने के अधिकतर मामले श्रीनगर में पेश आते हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार हर दिन बढ़ते इन मामलों के कारण लोगों में काफी दहशत है। एसएमएचएस सामुदायिक चिकित्सा विभाग के प्रमुख डॉ सलीम खान ने कहा कि वह हर साल इन मामलों का डॉटा एकत्र करते हैं। आपको यह जानकारी हैरानगी होगी कि हर साल सामुदायिक चिकित्सा केंद्रों में पांच से छह हजार कुत्ता काटने के केस दर्ज होते हैं।

उन्होंने बताया कि श्रीनगर में यह मामले सामने अधिक हैं। उन्होंने बताया कि श्रीनगर में कुत्तों की संख्या भी अच्छी खासी है। इसका कारण यह है कि एक तो शहर की अपनी आबादी काफी अधिक है। इसके अलावा रोजाना यहां पर्यटकों का आना, इस पर सेना-सीआरपीएफ के कैंप, यही वजह है कि यहां कुत्तों की संख्या काफी बढ़ गई है। शहर में रोजाना काफी खाना व्यर्थ में जाता है। यही इनके भरन-पोषण का मुख्य कारण है। यह कुत्ते इतने खतरनाक हो गए हैं कि वह अब न तो बूढ़ों और न ही युवाओं से डरते हैं। आक्रमक होने पर ये कुत्ते बूढ़ों, युवाओं जहां तक की बच्चों पर भी हमला कर देते हैं।

डॉ खान ने बताया कि लोगों को जानकारी दी कि अकसर लोग सोचते हैं कि कुत्ता काटने या उसकी खरोंच के बाद उन्हें खून नहीं आया तो उन्हें एंटी रेबीज वैक्सीन की आवश्यकता नहीं है। ऐसा कतई नहीं है। खून न निकलने पर भी आपको तत्काल वैक्सीन लेनी चाहिए। अगर व्यक्ति को खून निकलता है तो उसे एंटी रेबीज वैक्सीन के साथ इम्युनोग्लोबुलिन की आवश्यकता होती है। लापरवाही खतरनाक साबित हो सकती है।

एसएमसी अधिकारियों के अनुसार शहर के होटल, रेस्तरां, आवासीय घर, पोल्ट्री आउटलेट और बूचड़खाने रोजाना लगभग 450 मीट्रिक टन कचरे का उत्पादन करते हैं। इसमें से लगभग 200 मीट्रिक टन केवल मांस अपशिष्ट है। डॉ खान ने कहा कि कुत्तों के काटने की लगातार बढ़ती घटनाओं के कारण यहां लोगों में दहशत है। यही नहीं यह घटनाएं नागरिक सुरक्षा और स्वास्थ्य का मुख्य मुद्​दा बन गई है। सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। बच्चों व बूढ़ों के लिए ये कुत्ते काफी खतरनाक साबित हो रहे हैं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.