हमारे योद्धा : ...ये डटे हैं ताकि हमें न छू पाए कोरोना, सरहद पर सैनिक की तरह डॉक्टर चुनौतीपूर्ण माहौल में दिन-रात कर रहे काम
सरहद पर जिस तरह जवान मुस्तैदी से दुश्मन को करारा जवाब दे रहे हैं उसी तरह इस समय डॉक्टर पैरामेडिकल स्टाफ भी अस्पतालों में कोरोना के खिलाफ जंग छेड़े हुए है।
जम्मू, रोहित जंडियाल । सरहद पर जिस तरह जवान मुस्तैदी से दुश्मन को करारा जवाब दे रहे हैं, उसी तरह इस समय डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ भी अस्पतालों में कोरोना के खिलाफ जंग छेड़े हुए है। वे अपनी जान की परवाह किए बगैर दिन-रात काम में जुटे हैं। ताकि स्वस्थ समाज रहे।
राजकीय मेडिकल कॉलेज जम्मू के माइक्रोबायालोजी विभाग में इस समय कोरोना के संदिग्धों के सैंपलों की जांच हो रही है। यह जांच करने में विभाग की दो महिला डॉक्टरों की अहम भूमिका है। विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हरलीन कौर और डॉ. पायल टीम के दो अन्य सदस्यों सतवीर सिंह और नवाज के साथ कोरोना के संदिग्ध मरीजों के सैंपलों की जांच कर रही हैं। डॉ. हरलीन इंचार्ज हैं। स्टेट सर्विलांस अधिकारी डॉ. दीपक कपूर उनके पास जिनकी जांच के लिए भेजते हैं, उनकी पूरी टीम टेस्ट करती है। यह वे डॉक्टर हैं जिन्हें मरीज से संक्रमित होने की आशंका रहती है। उन्होंने पर्सनल प्रोटेक्शन किट पहनी होती है। बावजूद संक्रमण का खतरा हमेशा रहता है। उनका कहना है कि सैंपल लेते समय यह अनुमान नहीं होता कि कौन से मरीज में संक्रमण है। हमारा प्रयास रहता है कि सैंपल लेते समय और इनकी जांच करने के दौरान हर एहतियात बरती जाए। इस समय देश व समाज को उनकी जरूरत है। अपनी जान कर परवाह करते रहे तो शायद ही कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ी जा सके। इस समय पूरे देश को एकजुट होने की जरूरत है।
परिजनों के लिए समय नहीं
अस्पतालों में ड्यूटी दे रहे डॉक्टरों के पास अपने परिजनों के लिए भी समय नहीं है। उन पर यह जिम्मेदारी बनी रहती है कि अस्पताल का संक्रमण घर में न आ जाए। जब यह डॉक्टर अस्पताल से घर आती हैं तो अपना पूरा सामान अस्पताल में ही रखते हैं।
हर दिन 15 से 20 सैंपलों की जांच करनी पड़ती है। जब तक जांच पूरी न हो तब तक अस्पताल में रहते हैं। इस समय सभी को हमारी जरूरत है। हमारा लक्ष्य अपना काम पूरी इमानदारी के साथ करना है। पूरा देश ही हमारा परिवार है। अगर लोग स्वस्थ रहेंगे तभी समाज और देश भी स्वस्थ रहेगा। बस यही सोच कर हम काम कर रहे हैं।
डॉ. हरलीन कौर
मिलना चाहिए सम्मान
इस समय योद्धाओं की तरह लड़ रहे डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ को उनके इस काम के लिए सरकार सम्मान नहीं देती है। जिस तरह से सीमा पर लडऩे वालों के लिए अवार्ड हैं। इसी तर्ज पर डॉक्टरों के लिए भी अवार्ड होने चाहिए। यह डॉक्टर अपनी जान की परवाह किए बगैर समाज को स्वस्थ बनाो में लगे हुए हैं। कइयों को मौत के मुंह में जाने से रोक रहे हैं। लोगों का कहना है कि उनकी इस सेवा के लिए इन डॉक्टरों को भी अवार्ड दिया जाना चाहिए।