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जम्मू कश्मीर में पुराने काॅलेजों पर ध्यान नहीं, नए खोलने की है जल्दबाजी

उच्च शिक्षा को घर-घर तक पहुंचाने की दिशा में आगे बढ़ती सरकार का ध्यान बुनियादी ढांचे से पीछे हटने लगा है। पूर्व पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में तेरह नए कालेज खोलने के बाद अब राज्यपाल प्रशासन ने चालीस नए कालेज खोलने पर अपनी मुहर लगा दी है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 17 Jan 2019 10:58 AM (IST)Updated: Thu, 17 Jan 2019 10:59 AM (IST)
जम्मू कश्मीर में पुराने काॅलेजों पर ध्यान नहीं, नए खोलने की है जल्दबाजी
जम्मू कश्मीर में पुराने काॅलेजों पर ध्यान नहीं, नए खोलने की है जल्दबाजी

जम्मू , राज्य ब्यूरो ।  उच्च शिक्षा को घर-घर तक पहुंचाने की दिशा में आगे बढ़ती सरकार का ध्यान बुनियादी ढांचे से पीछे हटने लगा है। पूर्व पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में तेरह नए कालेज खोलने के बाद अब राज्यपाल प्रशासन ने चालीस नए कालेज खोलने पर अपनी मुहर लगा दी है। अधिक से अधिक कालेज खोलने की होड़ में पहले खोले गए कालेजों में बुनियादी ढांचा उपलब्ध करवाने की तरफ किसी का ध्यान नहीं है।

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इन कालेजों में पर्याप्त कंबिनेशन नहीं है। इमारतें नहीं है। ये कालेज हायर सेकेंडरी स्कूलों या किराए की इमारतों में चल रहे है। तीस से अधिक कालेजों के पास बुनियादी ढांचा नहीं है। चालीस नए कॉलेजों में बीस इस अकादमिक सत्र और बीस 2020-21 में खुलेंगे। छात्र संगठनों ने इसी सत्र से सारे कॉलेज खोलने पर जोर देना शुरू किया है। राज्य में पहले से स्थापित 113 कॉलेजों में से तीस से अधिक के पास इमारतें व ढांचा नहीं। राज्य भर में मात्र बारह कालेजों के पास ही नेशनल एक्रीडेशन एंड असेसमेंट काउंसिल (नैक) की मान्यता है।

जम्मू कश्मीर के डिग्री कालेजों में कांट्रेक्ट पर एक हजार से अधिक का स्टाफ नियुक्त है। जमीनी सतह पर बुनियादी ढांचा मजबूत करने के लिए कदम नहीं उठाए गए। जब भी सरकार पर जन प्रतिनिधियों का दवाब बनता है तो नए कालेज खोलने की घोषणा कर दी जाती है। यह कहना गलत नहीं होगा कि उच्च शिक्षा को लेकर कोई नीति नहीं बनाई गई। समय समय पर बनने वाली सरकारों के बीच ही तालमेल की कमी नजर आती रही है।

पूर्व पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में शिक्षा मंत्री रहे नईम अख्तर ने विधानसभा में कहा था कि सरकार नए कालेजों नहीं खोलेगी, पहले पुराने स्थापित कालेजों में ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध करवाएगी। उसके बाद जैसे ही अल्ताफ बुखारी ने शिक्षा मंत्री का कार्यभार संभाला तो उन्होंने 17 नए कालेज खोलने की घोषणा कर दी। अब यह मांग उठनी शुरु हो गई है कि सभी चालीस कालेज इसी सत्र से शुरु किए जाए। ये कालेज भी नजदीकी हायर सेकेंडरी स्कूलों या किराए की इमारतों में ही खुलेंगे।

उच्च शिक्षा विभाग नए काेर्स शुरु करने में भी नाकाम रहा है। इतनी अधिक संख्या में कालेजों के खुल जाने के बावजूद शहर के कालेजों में विद्यार्थियों की संख्या में कमी नहीं आने का कारण यही है कि पिछले दस वर्षो के दौरान खोले गए कालेजों में पर्याप्त कंबिनेशन ही नहीं है। विद्यार्थियों को जम्मू या श्रीनगर शहरों के गिने चुने कालेजों में ही दाखिला लेना पड़ता है। ये वो कालेज है जो पचास या एक सौ वर्ष पहले स्थापित किए गए थे।


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