Jammu : एक अक्टूबर से 24 नवंबर तक नहीं करें कोई शुभ कार्य, डूबने जा रहा तारा
एक अक्टूबर से पहले ही निपटा लें या फिर 24 नवंबर के बाद ही करें। इस बीच मुहूर्त शुभ नहीं है। तारा डूबने वाला है। इस दौरान करवा चौथ व्रत के लिए महिलाएं खरीदारी करना भी प्रारंभ नहीं करतीं।
जम्मू, जेेएनएन : यदि आप कोई शुभ कार्य करने की सोच रहे हैं या कोई मांगलिक कार्य करने की योजना है तो एक अक्टूबर से पहले ही निपटा लें या फिर 24 नवंबर के बाद ही करें। इस बीच मुहूर्त शुभ नहीं है। तारा डूबने वाला है। इस दौरान करवा चौथ व्रत के लिए महिलाएं खरीदारी करना भी प्रारंभ नहीं करतीं। इसलिए बाजार में करवाचौथ के लिए भी अभी ही खरीदारी शुरू कर दी है। तारा डूबने के बाद शादी-ब्याह के लिए कुछ लोग रिश्ता भी तय नहीं करना चाहते हैं। कुछ लोग मंगनी शुभ मुहूर्त में करते हैं।
आपको बता दें कि ज्योतिष शास्त्री के मुताबिक मांगलिक कार्यों या अन्य शुभ कार्यों के लिए तारा का उदय होना जरूरी माना जाता है। तारा उदय का अभिप्राय गुरु और शुक्र तारा के उदय से है। यदि ये दोनों तारे अस्त हो जाते हैं तो उसे तारा डूबना कहा जाता है। तारा डूबे रहने के दौरान शुभ मुहूर्त नहीं माना जाता है। एक अक्टूबर की सुबह 5:05 बजे शुक्र तारा अस्त हो जाएगा। फिर 25 नवंबर शाम को 5:21 बजे शुक्र का पश्चिम में उदय होगा। तारा उदय होने के बाद फिर शुभ कार्य कर सकते हैं।
कब-कब हैं विवाह के मुहूर्त : तारा उदय होने के बाद नवंबर में चार शुभ योग हैं। 21, 24, 25 और 27 नवंबर को मांगलिक कार्य कर सकते हैं। इसी तरह दिसंबर में छह दिन शुभ योग हैं। दिसंबर की 2, 4, 7, 8, 9 और 14 तारीख विवाह के लिए अच्छा है। इसलिए एक अक्टूबर से पहले लोग शुभ कार्य निपटा रहे हैं। नई दुकानें, शो-रूम, नया व्यापार आदि अभी ही शुरू कर रहे हैं। एक के बाद नवरात्र के दौरान भी लोग किसी कार्य का शुभारंभ नहीं करना चाहेंगे।
तारा डूबने पर क्या है वर्जित : ज्योतिष शास्त्री के मुताबिक तारा डूबने पर विवाह, मुंडन, यज्ञोपवित संस्कार, शिलान्यास, शपथ ग्रहण, गृहप्रवेश एवं अन्य मांगलिक कार्य त्याज्य है। पुराने या मरम्मत किए गए गए मकान में गृहप्रवेश के लिए तारा डूबने पर विचार नहीं किया जाता है। यात्रा करने के दौरान शुक्र का सामने और दाहिने होना भी त्याज्य है।