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... खूब दीये जलाना ताकि मां-बाबू जी को न लगे तुम्हारा दिल जल रहा है

ड्यूटी पर मुस्तैद जवान पत्नी को कह रहे हैं कि इस बार दीये खूब जलाना ताकि मां-बाबू जी को यह न लगे कि मेरे न आने से तुम्हारा दिल जल रहा है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Wed, 07 Nov 2018 08:46 AM (IST)Updated: Wed, 07 Nov 2018 03:42 PM (IST)
... खूब दीये जलाना ताकि मां-बाबू जी को न लगे तुम्हारा दिल जल रहा है
... खूब दीये जलाना ताकि मां-बाबू जी को न लगे तुम्हारा दिल जल रहा है

नवीन नवाज, जम्मू। भाई जल्दी करो, खाना ले लिया है। रुको मैं जरा बेटी से बात कर लूं। मैंने उसे बोला था कि इस बार दीपावली पर मैं आऊंगा। सुबह से मेरी राह ताक रही होगी। आगे फोन पर सिग्नल नहीं आएगा। करीब पांच मिनट में दोनों जवान, शिविर में सजे शामियाने में जमा साथियों को दीपावली की शुभकामनाएं देते हुए गश्त पर निकल गए। यह दृश्य जम्मू से कुछ ही किलोमीटर दूर स्थित नियंत्रण रेखा के पास स्थित एक सैन्य शिविर तक ही सीमित नहीं है। लगभग हर शिविर और हर बंकर में दीपावली पर यही स्थिति है। दैनिक जागरण की टीम जब नियंत्रण रेखा पर मौजूद एक शिविर में पहुंची तो उनका उल्लास देख दंग रह गई।

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परिवार से दूर यह जवान अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद डटे हैं। कोई सेल्फी लेकर अपने परिजनों को भेज रहा है, तो कोई वीडियो कॉल कर अपने बच्चों को अगली दिवाली साथ मनाने का दिलासा दे रहा है। पत्नी को कह रहे हैं कि इस बार दीये खूब जलाना ताकि मां-बाबू जी को यह न लगे कि मेरे न आने से तुम्हारा दिल जल रहा है।

अपने जवानों के गश्त के लिए निकलते ही उनके सीओ (कमांडिंग आफिसर) बताते हैं कि नियंत्रण रेखा पर हर रोज ही दीपावली की आतिशबाजी है। उन्होंने कहा कि कुछ जवान और अधिकारी ही त्योहार पर छुट्टी के मामले में खुशकिस्मत होते हैं। लेकिन जो घर नहीं जा पाते वह अपनी यूनिट, अपने शिविर में ही मिलकर त्योहार मनाते हैं और कुछ दुश्मन से लोहा लेते हुए।

सीओ दिवाली और जवानों की मनोस्थिति का जिक्र ही कर रहे थे कि एक जवान ने पास आकर कान में कुछ कहा। सुनते ही सीओ के चेहरे के भाव बदल गए। तुरंत उन्होंने साथी को बुलाया और पूछा कि क्यूआरटी (क्विक रिएक्शन टीम) को तैयार करो। देखते ही देखते वह भी शिविर से बाहर निकल गए। एक सैन्यकर्मी ने बाद में बताया कि जो पेट्रोल पार्टी करीब आधा घंटे पहले यहां से निकली थी, उस पर तीन किलोमीटर दूर घात लगाकर हमला हुआ है। शिविर में डीजे बजता रहा और भारत माता की जय के नारे भी गूंजते रहे।

चेहरे पर तनाव लिए शिविर से रवाना हुए सीओ अपने दस्ते के साथ वापस लौट आए थे। उन्होंने कहा कि उम्मीद नहीं थी कि जल्द ही काम हो जाएगा। उन्होंने कहा कि हमला करने वालों को हमने नियंत्रण रेखा के पार खदेड़ दिया है। बस यही हमारी दीपावली है।

सेना की टाइगर डिवीजन के लेफ्टिनेंट कर्नल रवींद्र राजपूत कहते हैं कि हमारे सीने में भी दिल धड़कता है। हम भी हाड़ मांस के ही बने हैं, परिवार के पास जाने की चाह रहती है, लेकिन यह सोचकर खुश होते हैं कि बेशक हमने अपने घर में दिया नहीं जलाया, लेकिन हमारे कारण बेधड़क, बेखौफ होकर पूरे देश ने अमावस्या की रात को रोशनी से सराबोर कर दिया है। दिवाली पर हर जवान और हर अधिकारी चाहता है कि वह अपने घर जाए, लेकिन सभी तो नहीं जा सकते। अगर जाएंगे तो फिर दिवाली पर खुशियों की आतिशबाजी के बजाय दुश्मन के गोलों की गूंज तबाही ला सकती है।


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