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Jammu Kashmir: लॉ इंफोर्समेंट विंग जम्मू कश्मीर के निदेशक बीके चंदन ने कहा- खाद, बीज की गुणवत्ता में समझौता कदापि सहन नहीं

Jammu Kashmir जम्मू व श्रीनगर में लैब स्थापित हैं। अगर कोई सामान मापदंड में खरा नही है तो नियम अनुसार कार्रवाई की जाती है। हमारा मकसद यह कि किसानों तक पहुंचने वाली हर सामग्री की गुणवत्ता खरी होनी चाहिए।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 19 Apr 2021 12:27 PM (IST)Updated: Mon, 19 Apr 2021 12:56 PM (IST)
Jammu Kashmir: लॉ इंफोर्समेंट विंग जम्मू कश्मीर के निदेशक बीके चंदन ने कहा- खाद, बीज की गुणवत्ता में समझौता कदापि सहन नहीं
गैर लाइसेंसधारी अगर खाद, बीज बेचता है तो वह कानूनी शिकंजे में आ सकता है।

जम्मू। किसानों तक बुनियादी सुविधाएं पहुंचाना, उनको तकनीकी सलाह देकर खेती के लिए प्रेरित करना जम्मू कश्मीर कृषि उत्पादन विभाग का काम है। लेकिन इसके साथ साथ खाद, दवा पर नजर रखना भी इसी विभाग की जिम्मेदारी है। इसको लेकर कृषि उत्पादन विभाग में लॉ इंफोर्समेंट विंग अलग से काम कर रहा है। यह विभाग भी किसानों की दिक्कतें दूर कर रहा है। कैसे काम करता है, किसानों को कैसे लाभ होता है, आदि मामलों को लेकर दैनिक जागरण के वरिष्ठ संवाददाता गुलदेव राज ने लॉ इंफोर्समेंट विंग जम्मू कश्मीर के निदेशक बीके चंदन से बातचीत की। पेश हैं बातचीत के कुछ अंश:

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सवाल: इस विंग के बारे में किसान बहुत कुछ नही जानते। जरा जानकारी दें?

जवाब: खाद, बीज, दवाओं का वितरण, गुणवत्ता पर नजर रखना इसी लॉ इंफोर्समेंट विंग का काम है। खाद कंपनियां, दवा कंपनियां अपना उत्पाद पहुंचाती हैं, लेकिन क्या यह गुणवत्ता पर खरा है। इस पर हमारी नजर रहती है। विंग की टीम आए दिन खाद केंद्रों, दवा व बीज केंद्रों में पहुंच कर सेंपल एकत्र करती है और जांच के लिए लैब भेजती है। जम्मू व श्रीनगर में लैब स्थापित हैं। अगर कोई सामान मापदंड में खरा नही है तो नियम अनुसार कार्रवाई की जाती है। हमारा मकसद यह कि किसानों तक पहुंचने वाली हर सामग्री की गुणवत्ता खरी होनी चाहिए।

सवाल: जैसे आप ने खाद, बीज की बात की। क्या कोई भी दुकान खोलकर खाद, बीज बेच सकता है?

जवाब: नही। हर कोई नही बेच सकता। जिसके पास लाइसेंस होगा, वही बेच पाएगा। अब तो और सख्ती हो गई है। खाद, बीज बेचने की दुकान के लिए लाइसेंस उसी को मिलेगा जोकि एग्री ग्रेजुएट हो या उसने एग्रीकल्चर में बेसिक ट्रेनिंग ली हो या एग्री में डिप्लोमा किया हो। वहीं खाद बेचने के लिए व्यक्ति को बीएससी केमिस्ट्री होना चाहिए। गैर लाइसेंसधारी अगर खाद, बीज बेचता है तो वह कानूनी शिकंजे में आ सकता है।

सवाल: खाद बेचने में पारदर्शिता लाने के लिए क्या क्या प्रयास किए जा रहे हैं। क्योंकि अनेकों मामले आए कि खाद सेंटर में खाद होने के बाद भी किसानों को नही मिलती ?

जवाब: अब पूरा सिस्टम ही आन लाइन होने जा रहा है। खाद के एक एक दाने का हिसाब सरकार के पास होगा। खाद बेचने वालों को खाद, बीज का सारा डेटा मशीन में डालना होगा जोकि आन लाइन रूप से सरकार से कनेक्ट होगा। कितनी खाद बेची और किसको बेची गई, की जानकारी सरकार के पास रहेगी। अब किसानों को भी जमीन के हिसाब से ही खाद मिलेगी। जिसकी सब्सिडी बाद में सीधे किसान के खाते में आएगी। इसलिए खाद में हेराफेरी का दौर अपने आप खत्म हो जाएगा।

सवाल: पेस्टीसाइज, फर्टीलाइजर वितरकों को क्या कहेंगे आप ?

जवाब: यही कि गुणवत्ता में कोई हेर फेर नही होना चाहिए। अगर गुणवत्ता में कोई झोल हुआ तो सख्ती से पेश आया जाएगा। किसानों से कहना चाहता हूं कि अगर बीज,खाद या दवा के मामले में कोई ठगी होती है, तो तुरंत इसकी शिकायत विभाग को की जाए। लाॅ इंफोर्समेंट विंग को भी सूचित किया जा सकता है।

सवाल: किसानों को क्या संदेश देना चाहेंगे आप?

जवाब: यही कि किसान अंधाधुंध खाद, दवाएं फसलों पर डालने की आदत का त्याग करें। जमीन की सेहत की जांच कराएं और फिर उतनी ही खाद डाले जितनी की जमीन को जरूरत है। ज्यादा खाद डालने से कोई ज्यादा लाभ नही होता, उल्टे जमीन की सेहत बिगड़ती है। मैं किसानों से कहूंगा कि वे कृषि अधिकारियों से सलाह ले और पूछे कि उनको कितनी खाद खेत में डालनी है। उनको जवाब प्राप्त होगा। बिना जांचे ही खेत में अंधाधुंध खाद या पेस्टीसाइड दवा डालना अच्छी बात नही। मैं तो किसानों को सलाह दूंगा कि वे जैविक खेती के क्रम को अपनाएं।


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