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जम्मू-कश्मीर विधानसभा में भी कांग्रेस के लिए आसान नहीं राह

Jammu and Kashmir assembly. लोकसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर में खाता खोलने में विफल रही कांग्रेस के लिए विधानसभा चुनाव की भी राह आसान नहीं है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 26 May 2019 06:54 PM (IST)Updated: Sun, 26 May 2019 06:54 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में भी कांग्रेस के लिए आसान नहीं राह
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में भी कांग्रेस के लिए आसान नहीं राह

सतनाम सिंह, जम्मू। लोकसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर में खाता खोलने में विफल रही कांग्रेस के लिए विधानसभा चुनाव की भी राह आसान रहने वाली नहीं है। लगातार तीसरे चुनावी झटके से कार्यकर्ताओं का हौसला भी पस्त दिख रहा है। 2014 लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस शून्य पर सिमट गई थी। विधानसभा चुनाव में पार्टी खास नहीं कर पाई थी। अब फिर से विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, ऐसे में चुनौती है कि पार्टी क्या चार माह में अपने खोए जनाधार को वापस ला पाएगी।

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यह ऐसा सवाल है, जिसका जवाब पार्टी नेताओं के पास भी नहीं है। पार्टी के सामने अपना आधार मजबूत करने, कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने की चुनौती है। इसके अभाव में जमीनी सतह पर कैडर की कमी दिख रही है और नेताओं, कार्यकर्ताओं का अन्य पार्टियों की ओर पलायन बढ़ रहा है।

लोकसभा चुनाव में पार्टी हाईकमान ने भी राज्य इकाई को उसके हाल पर छोड़ दिया और कोई भी नेता प्रचार के लिए नहीं आया। ऐसे में कार्यकर्ताओं में साफ तौर पर उदासी देखी गई। जम्मू संभाग की दोनों सीटें तो पार्टी ने गंवाई ही, पार्टी के प्रदेश प्रधान जीए मीर भी अनंतनाग से चुनाव हार गए। वर्तमान हालात में कांग्रेस का विधानसभा चुनाव के लिए कारगर रणनीति बनाना कठिन काम है। कांग्रेस ने साल 2014 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश में 12 सीटें जीती थीं। जम्मू जिले से पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली थी।

लोकसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी हाईकमान भी उलझी है ऐसे में प्रदेश नेतृत्व की नजरें भी हाईकमान पर लगी हैं। हालांकि पार्टी नेता फिर से संगठन को मजबूत कर स्थानीय मुद्दों को जोर-शोर से उठाने का दावा कर रहे हैं लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है।

बुनियादी नीतियों में करेंगे बदलाव

पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता रङ्क्षवद्र शर्मा का कहना है कि इसमें शक नहीं है कि पार्टी के नतीजे निराशाजनक आए हैं। पार्टी अपनी बुनियादी नीतियों में बदलाव करेगी। लोगों की भावनाओं को समझेगी। जल्द ही प्रदेश कांग्रेस की कार्यकारी समिति की बैठक होगी जिसमें हार के कारणों पर मंथन किया जाएगा। पार्टी कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाया जाएगा। पूरे जोर-शोर के साथ पार्टी विधानसभा का चुनाव लड़ेगी।

नेकां-पीडीपी का समर्थन न होता तो क्या होता

लोकसभा चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के समर्थन के बूते कांग्रेस जम्मू संभाग के मुस्लिम बहुल 12 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा से बेहतर रही। जम्मू पुंछ सीट के पांच विधानसभा क्षेत्रों और ऊधमपुर डोडा संसदीय सीट की सात विधानसभा सीटों पर कांग्रेस ने बढ़त बनाई है। अगर नेशनल कांफ्रेंस या पीडीपी ने अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे होते तो कांग्रेस के लिए बढ़त बनाना आसान नहीं था। विधानसभा चुनाव में किसी पार्टी का गठबंधन होने की संभावना नहीं दिख रही, ऐसे में कांग्रेस के मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं। कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस ने तीन सीटें जीत कर अपने आप को मजबूत कर लिया है।

साल 2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सीटों का ब्योरा

जम्मू संभाग की सीटें

-गूल अरनास

-गुलाबगढ़

-इंद्रवाल

-बनिहाल

-सुरनकोट

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कश्मीर संभाग

-सोपोर

-बांडीपोरा

-देवसर

-शंगस

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लद्दाख

-लेह

-नुबरा

-कारगिल

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साल 2014 के विधानसभा चुनाव के आंकड़ें

पीडीपी - 28

भाजपा -25

नेशनल कांफ्रेंस -15

कांग्रेस - 12

माकपा -1

जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कांफ्रेंस- 2

जेके पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट -1

निर्दलीय -3

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