प्यार से कर रहे बच्चों में मिठास का इलाज, जवानों को भी दे रहे निशुल्क सेवाएं
इस समय करीब चालीस बच्चे अपना इलाज करवा रहे हैं। इनमें कुछ बड़े भी हो गए हैं। इन बच्चों के लिए अब भी ककड़ लगातार 28 साल से महीने के प्रथम शनिवार को कैंप आयोजित करते आ रहे हैं।
जम्मू, रोहित जंडियाल। बदली जीवनशैली के कारण जम्मू-कश्मीर में भी हजारों लोग मधुमेह से पीड़ित हैं। इनमें कई बच्चे भी हैं। इन बच्चों को दो-तीन साल की उम्र में ही इंसूलीन की जरूरत पड़ जाती है। कई बच्चे गरीब हैं जोकि अपना इलाज नहीं करवा पाते हैं और जिंदगी जीने से पहले ही दम तोड़ देते हैं। मगर एक डाक्टर ऐसे भी हैं जोकि वषों से ऐसे बच्चों की मदद कर रहे हैं और उनका निशुल्क इलाज करते हैं। पिछले 28 साल से वे ऐसे बच्चों का इलाज कर रहे हैं। यही नहीं वह सेना के जवानों और अन्य सुरक्षाबलों से भी इलाज के लिए कोई फीस नहीं लेते।
यह हैं जम्मू में मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश ककड़। डा. ककड़ जब मुंबई में साल 1991-92 में मधुमेह पर पढ़ाई कर रहे थे तो उस समय उनके गुरू एक ट्रस्ट बनाकर मधुमेह से पीडि़त गरीब बच्चों का इलाज करते थे। वह अपनी पढ़ाई पूरी करके आए तो उन्होंने जम्मू में भी इसी प्रकार एक ट्रस्ट का गठन किया। इसका नाम उन्होंने जम्मू जुबेनाइल डायबिटीज एसोसिएशन रखा। उन्होंने तय किया कि महीने के पहले शनिवार को वह इन बच्चों का निशुल्क इलाज करेंगे। इस काम में उनके साथ उनके कुछ दोस्त भी जुड़ गए जो कि बच्चों की इंसूलीन तक का खर्च उठात थे। इसके बाद उनके पास मधुमेह से पीडि़त बच्चे इलाज के लिए आने लगे और इनकी संख्या भी बढऩे लगी।
इस समय करीब चालीस बच्चे अपना इलाज करवा रहे हैं। इनमें कुछ बड़े भी हो गए हैं। इन बच्चों के लिए अब भी ककड़ लगातार 28 साल से महीने के प्रथम शनिवार को कैंप आयोजित करते आ रहे हैं। उन्होंने बच्चों के लिए एक बैंक में खाता भी खोला है। इसमें कुछ लोग अभी भी उनकी सहायता करते हैं। उन्हें रुपये देते हैं। डा. ककड़ का कहना है कि अभी तक इतने सालों में कभी भी उन्हें इलाज के लिए कोई परेशानी नहीं आई। यह बच्चे तो अब अपने ही लगते हें। कई ऐसे हें जो कि अब बड़े हो गए हैं और उनकी शादी भी हो गई है।
दूरदराज के क्षेत्रों से हैं बच्चे
डॉ. ककड़ के पास इस समय जो बच्चे निशुल्क इलाज करवाने के लिए आते हें, उनमें अधिकतर सीमांत और दूरदराज के क्षेत्रों के रहने वाले हैं। इनमें आरएस पुरा, अखनूर, ज्यौड़ियां भी शामिल हैं। यह वे बच्चे हैं जो कि अपना इलाज करवाने में सक्षम नहीं हैं। इन बच्चों को डॉ. ककड़ जांच के बाद एक महीने के लिए इंसूलीन निशुल्क देते हैं। कई बार उन्हें खाने के लिए भी देते हैं। डॉ. ककड़ का कहना है कि कई बार फार्मास्यूटिकल कंपनियां भी इन बच्चों के लिए निशुल्क इंसूलीन दे जाते हैं।
प्रतियोगिता भी करवाते हैं
डा. ककड़ इन बच्चों के लिए मधुमेह दिवस पर कई बार प्रतियोगिताएं भी करवाते हैं ताकि वे अपने आप को कम न समझ़ें। उनका कहना है कि बच्चों में कई बार मधुमेह की समस्या हो जाती है लेकिन अगर वे समय पर इंसूलीन लेते रहें तो अपनी जिंदगी सही तरीके से गुजार सकते हें। उनका कहना है तीन-चार बच्चों ने बीच में इलाज छोड़ दिया और उनकी मौत हो गई लेकिन जो भी बच्चे नियमित तौर पर आते हैं, वे सही हैं और अच्छी जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं।
सेना के जवानों का कर रहे निशुल्क इलाज
डॉ ककड़ बच्चों के साथ-साथ पिछले कई सालों से सेना के जवानों व अन्य सुरक्षाबलों का भी निशुल्क इलाज कर रहे हैं। उनका कहना है कि ये जवान मातृभूमि की सेवा में हर दम तत्पर रहते हैं। ऐसे में भारतवासी होने के नाते हमारा भी दायित्व बनता है कि हम देश के इन सच्चे सपूतों के लिए कुछ करें। इसी भावना के साथ मधुमेह से पीड़ित जवानों का वह निशुल्क इलाज करते हैं।
जम्मू-कश्मीर में बढ़ा है मधुमेह
जम्मू-क्श्मीर में कुछ वर्ष से मधुमेह के मामले बढ़े हैं। जम्मू संभाग में राजकीय मेडिकल कालेज, गांधीनगर अस्पताल सहित कई अस्पतालों में मधुमेह के रोगी आते हैं। अब सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में एंडोक्रेनालोजी विभाग भी अलग से बन गया है। डाक्टरों का कहना है कि कुछ वर्ष में लोगों की जीवन शैली में बहुत बदलाव आया है। लोग नियमित रूप से व्यायाम नहीं करते हैं। उनका खानपान बदल गया है। बच्चे व युवा फास्ट फूड का सेवन कर रहे हैं। यह सब उनके स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल रहा है। यही नहीं कुछ वर्ष में मोटापे की समस्या बहुत बड़ी है। मोटापा मधुमेह की एक बड़ी जड़ है।
यह है मधुमेह
जब शरीर में पैंक्रियाज नामक ग्रंथि इंसुलिन बनाना बंद कर देती है तब मधुमेह की समस्या होती है। इंसुलिन ब्लड में ग्लूकोज को नियंत्रित करने में मदद करता है।
मधुमेह के लक्षण
- -बहुत जल्दी थकान महसूस होना पूरी नींद के बाद भी थकान महसूस होती रहती है।
- -लगातार पेशव आना। इसमें भी मधुमेह की आशंका रहती है।
- -अधिक प्यास या बार-बार प्यास लगना
- -मधुमेह होने पर आंखों की रोशनी कम हो जाती है।
- -अचानक शरीर का वजन कम होना
- -चोट आने पर घाव का जल्दी न भरना
- -इसके अलावा अगर परिवार में किसी को मधुमेह की समस्या रही हो तब भी आपको यह रोग होने की आशंका रहती है। यह एक आनुवांशिक बीमारी है।