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मुंबई पहुंचे जम्मू के हर कलाकार का सहारा बनते हैं धनेश डोगरा, कलाकारों का करते हैं मार्गदर्शन

वह जम्मू के कलाकारों को अक्सर मुंबई में आकर काम करने के लिए प्रेरित करते हैं। उनका तो कहना है कि जिस कलाकार के पास मुंबई में कोई सहारा नहीं है उसे वह अपने पास रखकर पूरा मार्गदर्शन करते हैं कि कैसे आडिशन दे कर आगे बढ़ना संभव है।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Published: Sun, 29 May 2022 04:36 PM (IST)Updated: Sun, 29 May 2022 04:36 PM (IST)
मुंबई पहुंचे जम्मू के हर कलाकार का सहारा बनते हैं धनेश डोगरा, कलाकारों का करते हैं मार्गदर्शन
धनेश कहते हैं कि जम्मू-कश्मीर की नई फिल्म नीति आने के बाद जम्मू में ही कलाकारों को काफी मौके मिलेंगे।

जम्मू, जागरण संवाददाता : जम्मू के रंगकर्मी धनेश डोगरा करीब पांच वर्ष से मुंबई में हैं। पिछले कुछ वर्षो में ही कुछ धारावाहिकों एवं फिल्मों और वेब सीरिज में अच्छा काम करने के बाद मुंबई में फ्लैट ले रखा है। वह जम्मू के कलाकारों को अक्सर मुंबई में आकर काम करने के लिए प्रेरित करते हैं। उनका तो कहना है कि जिस कलाकार के पास मुंबई में कोई सहारा नहीं है, उसे वह अपने पास रखकर पूरा मार्गदर्शन करते हैं कि कैसे आडिशन दे कर आगे बढ़ना संभव है।

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धनेश कहते हैं कि जम्मू-कश्मीर की नई फिल्म नीति आने के बाद जम्मू में ही कलाकारों को काफी मौके मिलेंगे। जो लोग जम्मू में रहते हुए कुछ फिल्में ही कर लेंगे। उन्हें भी मुंबई में आकर किसी तरह की परेशानी नहीं होगी। अक्सर मुंबई में आकर जम्मू के कलाकारों को प्रोत्साहन की कमी खलती है। अवसर की कमी के चलते उनके लिए मुंबई में काम करना थोड़ा संघर्षपूर्ण हो जाता है, लेकिन आज मुंबई में जम्मू के कई कलाकार अच्छा काम कर रहे हैं। खासकर अजयपाल सिंह ने तो 60 के करीब विज्ञापन फिल्में कर ली हैं। मोहित शर्मा, प्रेरणा मेहता, सुबह राजपूत, रोमिला, मोहत मट्टू, नीलम पठानिया, मृदुल राज आनंद आदि कई कलाकार हैं जिनके पास काफी काम है। अभी जम्मू की ही सुबीर कसाली को धारावाहिक ताड़क मेहतास का उल्टा चश्मा में पत्रकार पोपड लाल की सास की भूमिका मिली है।

60 के करीब विज्ञापन फिल्में कर चुके हैं अजय पाल सिंह : वरिष्ठ कलाकार अजय पाल सिंह जम्मू के एक मात्र ऐसे कलाकार हैं। जिनकी 60 करीब विज्ञापन फिल्में आ चुकी हैं।इसके अलावा उनकी फिल्म लाल कप्तान, यह है लालीपाप, तय मम्मी दी, अर्जुन पटियाला, राधे जैसी फिल्में आ चुकी हैं। अजय पाल कहते हैं कि मुंबई में काम करना मुश्किल नहीं है कि लेकिन जम्मू में काम करने और मुंबई में काम करने में अंतर तो है। अब जो नई फिल्म नीति आई है उसके बाद जम्मू के कलाकारों को घर में ही जब काम करने का मौका मिलेगा तो उनके लिए मुंबई में जाकर काम करना भी मुश्किल नहीं होगा।

रातों रात स्टार बनना मुश्किल : जम्मू कश्मीर के वरिष्ठ रंगकर्मी एवं नाट्य निर्देशक संगीत नाटक अकादमी सम्मान से सम्मानित मुश्ताक काक 25 के करीब फिल्मों में काम कर चुके हैं। सौ से ज्यादा नाटकों का निर्देशन कर चुके हैं। इस समय भी तीन फिल्मों में काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि आज बच्चे रातो-रात स्टार बनना चाहते हैं। उनका मानना है कि कलाकार वहीं कामयाब होता है, जो सदा सीखने में विश्वास करता है। आज तक कई स्टार कलाकारों के साथ काम करने का मौका मिला, जितना बड़ा कलाकार होगा उतना ही जमीन से जुड़ा होगा। जम्मू में नई फिल्म नीति आ चुकी है। आने वाले दिनों में इसका जम्मू के कलाकारों को काफी लाभ होगा।बस हर कलाकार अपने को स्टार समझने के बजाए काम करने में विश्वास करे।

काम करने वालों के लिए काम की कमी नहीं : अभिनय में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, उस्ताद बिस्मिल्लाह खान सम्मान से सम्मानित सुनील पलवल कटड़ा के गांव नुमांई के रहने वाले हैं और नटरंग से जुडने के बाद एफटीआईआई पुणे और अभिनय मतें स्नातकोत्तर डिप्लोमा कर लेने के बाद आज उनके पास काफी काम है। फिल्म जॉली एलएलबी, उड़ी, फिल्म शेहजर में नासिर की भूमिका में उन्हें विशेष पहचान मिली।

सरसेनापति हम्बीराव, लव हैकर्स, सनक, जब खुली किताब, चोर निकल के भागा आदि फिल्में कर चुके हैं। रंगमंच में सुनील पलवल मुगल-ए-आज़म, देवदास, बर्फ़, पायजामा पार्टी, गोल्डबर्ग, मैंने अपना पर्दा कहां छोड़ा, वेब सीरीज के अलावा कई लघु फिल्में कर चुके पलवल कहते हैं कि मार्गदर्शन सही हो तो काम की कहीं कोई कमी नहीं है। जम्मू में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, लेकिन उनका मार्गदर्शन सही नहीं हो पाता। मुंबई में आने से पहले अगर कलाकारों को जम्मू में प्रयाप्त अवसर मिल चुके हों तो आगे उनको खास परेशानी नहीं होती। आडिशन देना आना चाहिए।

सपनों को हकीकत में बदलना आना चाहिए : देश भर में राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय नाट्योत्सवों एवं 150 के करीब शो में अभिनय कर चुके संदीप वर्मा का कहना है कि सपनों को हकीकत में बदलना आना चाहिए। रंगमंच से अेलीविजन और अब फिल्मों में भी अच्छी पहचान बना लेने वाले संदीप को जम्मू-कश्मीर की फिल्म नीति से काफी उम्मीदें हैं। उनका कहना है कि अब जम्मू के कलाकारों को जम्मू में ही इतना काम मिलेगा कि जिसमें क्षमता होगी उसे जम्मू से भी मुंबई के लिए आमंत्रण मिलने लगेंगे। खासकर क्षेत्रीय फिल्मों और कलाकारों को जिस तरह से सीन की डिमांड के अनुसार मौके मिलने लगे हैं। उसका भी काफी कलाकारों को लाभ होगा। फिल्म शिकारा, नो फादर्स इन कश्मीर, राजेश खन्ना के गाेगल्स, आमंत्रण, अवरोध वेब श्रृंखला और कई अन्य फिल्मों में बालीवुड के कई प्रसिद्ध निर्देशकों के साथ काम किया। हर निर्देशक से कुछ न कुछ सीखने को मिला कलाकार को सीखने के दरबाजे कभी बंद नहीं करने चाहिए।

फिल्म द कश्मीर फाइल्स ने दी विशेष पहचान : युवा कलाकार सौरभ वर्मा फिल्म द कश्मीर फाइल्स में सहायक निर्देशक हैं। इस फिल्म में उन्होंने आतंकवादी की भूमिका निभाई है।सौरभ का इस फिल्म के साथ काफी अच्छा अनुभव रहा है। उनका कहना है कि फिल्म में मुख्य भूमिका निभाने वाल भाषा सुंबली भी जम्मू की हैं। फिल्म से काफी कुछ सीखने को मिला। आगे भी इस तरह की फिल्मों की संभावनाएं हैं। अब जम्मू-कश्मीर फिल्म नीति आने के बाद स्थानीय कलाकारों के लिए संभावनाएं बढ़ी हैं। इन दिनों वह मुंबई में हैं तो काफी निर्माता निर्देशक जम्मू-कश्मीर की फिल्म नीति के बाद वहां पर शूटिंग की योजना बना रहे हैं। बाहर से जितने ज्यादा निर्देशक आएंगे। उतने ही कलाकारों को अधिक मौके मिलेंगे।


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