डीसी रामबन को पालकी की सवारी पड़ी महंगी, सोशल मीडिया पर फोटो वायरल होते ही विवादों में घिरे Ramban News
ग्रामीणों की शिकायतों का संज्ञान लेने और उनके आग्रह पर ही जिला उपायुक्त शौकत एजाज बट ने गांव में आकर उनकी हालत देखने का यकीन दिलाया था।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। रामबन के जिला उपायुक्त शौकत एजाज बट पालकी की सवारी को लेकर विवादों में घिर गए हैं। कोई उन्हें सामंतवादी प्रवृत्ति का बताते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहा है तो कई विशेषकर स्थानीय लोग उनके समर्थन में खड़े हो, कह रहे हैं कि वह खुद नहीं बैठे। वह आधे से ज्यादा रास्ता पैदल चले थे और उनकी तबीयत बिगड़ने पर ही उन्हें पालकी में बैठाया गया है।
सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रही उनकी तस्वीरों के बारे में जब छानबीन की गई तो पता चला कि वह रामबन के ऊपरी हिस्से में स्थित चक्क कुंडी करोल इलाके में जनता की समस्याओं का जायजा लेने गएथे। स्थानीय लोगों का एक प्रतिनिधिमंडल कुछ दिन पहले जिला उपायुक्त से उनके कार्यालय में आकर मिला था। उन्होंने जिला उपायुक्त काे अपने इलाके की स्थिति से अवगत कराते हुए बताया था कि सड़क,पेयजल, स्वास्थ्य,शिक्षा जैसी सुविधाओं का घोर अभावहै। केंद्रीय योजनाएं भी प्रभावीी रुप से लागू नहीं है।
ग्रामीणों की शिकायतों का संज्ञान लेने और उनके आग्रह पर ही जिला उपायुक्त शौकत एजाज बट ने गांव में आकर उनकी हालत देखने का यकीन दिलाया था। इसके बाद उन्होंने गांव में एक जनता दरबार का आयोजन किया और उसमें भाग लेने पहुंचे। इस दौरान उन्हें ग्रामीणों ने आधे रास्ते में पालकी मेंबैठााया और उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। रामबन निवासी परवेज मलिक ने कहा कि भलाई का जमाना नहीं है। पहली बार कोई बड़ा अधिकारी कुंडी कराेल में स्थानीय लोगों की मुश्िकल जानने पहुंचा। वहां सड़क नहीं है, ग्रामीणों ने खुद अपनी इच्छा से और वह भी डीसी साहब की सेहत को देखते हुए उन्हें पालकी में बैठाया। कोई यह नहीं देख रहा कि पहली बार कोई जिलाधिकारी ग्रामीणों के मसले हल करने पहुंचा है,सभी को पालकी में बैठा अफसर नजर आ रहा है।
नीरज सिंह चिब नामक एक अन्य युवक ने सोशल मीडिया पर वायरल हुई जिला उपायुक्त की फोटो को लेकर कटाक्ष कर रहे लोगों को जवाब देते हुए कहा कि भाई साहब 70 सालों में पहली बार चक कुंडी में दरबार लगाया गया है। डीसी साहब ने पांच-छह किलोमीटर लंबा पहाड़ी सफर पैदल चलकर तय किया है। जब समतल इलाका आया तो स्थानीय लोगों के आग्रह पर ही वह पालकी में बैठे हैं। बिना सच्चाई जाने टिप्पणी करना ठीक नहीं है। उनका वजन ज्यादा है,सांस फूल रहा हो या उनका स्वास्थ्य ठीक न हो।
इनाम उल रहमान नामक एक व्यक्ति ने अपने टवीटर हैंडल पर लिखा है कि जिला उपायुक्त रामबन अपने स्टाफ की ताकत का जायजा ले रहे हैं। वह चाहते हैं कि उनका वजन घटे। कश्मीर फस्र्ट ने अपने टवीटर हैंडल पर लिखा हैश्री श्री श्री डीसी रामबन जी पालकी पर एक जनपहुंच कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे हैं।
पत्रकार माजिद हैदरी ने लिखा है बा अदब बा मुलाहिजा होशियार, अफसरों के अफसर डीसियों के डीसी, डीसी रामबन अपनी पालिकी में तशरीफ ला रहे हैं। इसके आगे उन्होंने लिखा है कि राजभव यहां जम्मू कश्मीर में इस तरह से गांव की ओर अपने कार्यक्रमों का प्रबंधन करता है। मनजिंदर एस सिरसा ने अपने टवीटर हैंडल पर लिखा है कि जिला उपायुक्त रामबन शौकत एजाज बट को एक पालकी में बैठाकर ले जाया जा रहा है। एक कर्मचारी उनके सिर पर छाता किए हुए है। जिला उपायुक्त रामबन के खिलाफ अपने पद का दुरुपयोग करने के लिए कार्रवाईहोनी चाहिए।
कैसर शाह नामक एक अन्य व्यक्ति ने अपने टवीटर हैंडल पर लिखा है कि डीसी रामबन शौकत का जो वीडियो और तस्वीरें वायरल हो रही है,उसके पीछे की सच्चाई यह है कि वह करीब 10 किलोमीटर पैदल चलने के बाद पालकी में बैठे हैं। सच तो यह है कि जिस इलाके ममें वह गए थे, वहां कोई गाड़ी नहीं जाती। पैदल चलने के कारण जिला उपायुक्त रामबन के घुटनों में तेज दर्द शुरु हो गया था, उनकी सांस फूल गई थी। वह चल नहीं पा रहे थे। लेकिन उन्होने जनता दरबार में जाने को प्राथमिकता दी और लोगों ने ही पालकी का बंदोबस्त किया था। यही सच है।
हालांकि जिला उपायुक्त रामबन शौकत एजाज बट ने इस मुददे पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है। हालांकि फोन पर उनसे संपर्क हुआ,लेकिन पालकी की बात आते ही उन्होंने चुप्पी साध ली और कहा कि जिसका जो दिल कर रहा है, लिख रहा है, बोल रहा है।