Jammu Kashmir: विदेशी राजनयिक बोले-जम्मू-कश्मीर में तेजी से सामान्य होते हालात शुभ संकेत
प्रतिनिधियों से मुलाकात करने के बाद राजनयिक जगटी टाउनशिप में रह रहे विस्थापित कश्मीरी पंडितों के बीच गए और उनका हाल जाना।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने, इसके पुनर्गठन से उपजे हालात का जायजा लेने के लिए आए विदेशी राजनयिकों ने सामान्य हो रहे हालात को शुभ संकेत बताया है। कश्मीर के बाद शुक्रवार को जम्मू में सभ्य समाज, सामाजिक संगठनों व विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधियों से भेंट के दौरान 15 सदस्यीय विदेशी राजनीतिक दल के सदस्यों को अंदाजा हुआ कि कश्मीर केंद्रित सरकारों के कार्यकाल में किस तरह से पश्चिम पाकिस्तान के रिफ्यूजियों को नागरिता से वंचित रखा गया। किस तरह से रोजगार, विकास के क्षेत्र में भेदभाव के साथ जम्मू को उसका हक नहीं दिया गया। उन्होंने कश्मीर में आतंकवाद के दौर में घर छोड़ने को मजबूर हो गए कश्मीरी पंडितों की व्यथा भी सुनी।
ऐसे में वियतनाम के राजदूत फेम साहन चाऊ ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर में हालात का सामान्य होना एक शुभ संकेत है। कश्मीर दौरे के बाद शुक्रवार को जम्मू पहुंचे विदेशी राजदूत ने कहा कि उन्होंने समाज के विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधियों से भेंट की। वे जम्मू-कश्मीर में नई व्यवस्था व मौजूदा हालात से खुश हैं। वियतनाम के राजदूत जम्मू में प्रतिनिधिमंडलों से भेंट करने के बाद मीडिया को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि लोगों ने भेंट के दौरान जम्मू-कश्मीर में बेहतर शासन, पारदर्शिता, भेदभाव को दूर करने की दिशा में हो रहे कार्यों के प्रति संतोष जताया है।
जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद प्रशासन को लोगों के दरवाजे तक पहुंचाने, विकास को तेजी देने और केंद्र प्रायोजित योजनाओं से लोगों के आर्थिक, सामाजिक स्तर को बेहतर बनाने का मुद्दा शुक्रवार सुबह विदेशी राजनयिकों की राज्य प्रशासन के उच्चाधिकारियों से हुई बैठक में उठा। इस बैठक में उपराज्यपाल जीसी मुर्मू के सलाहकार केके शर्मा, जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिदेशक दिलबाग सिंह, योजना विभाग के प्रमुख सचिव रोहित कंसल, जम्मू के डिवीजनल कमिश्नर संजीव वर्मा समेत प्रशासन के कई उच्चाधिकारियों ने हिस्सा लिया।
जम्मू में विदेशी राजनयिकों से कश्मीरी पंडितों, सभ्य सामाज, गुलाम कश्मीर के रिफ्यूजियों, वाल्मीकि समाज, पश्चिम पाकिस्तान के रिफ्यूजियों, गोरखा समाज के प्रतिनिधियों ने अलग-अलग बैठकें की। उन्होंने नई व्यवस्था से आए बदलाव के साथ-साथ अपनी मुश्किलों के बारे में भी विदेशी राजनयिकों को बताया। इस दौरान कश्मीर केंद्रित सरकारों के कार्यकाल के दौरान पश्चिम पाकिस्तान के रिफ्यूजियों को जम्मू-कश्मीर की नागरिकता से वंचित रखे जाने का मुद्दा भी उठा।
जम्मू में प्रतिनिधिमंडलों से भेंट करने के बाद विदेशी राजनयिकों ने विस्थापित कश्मीरी पंडितों के जगटी टाउनशिप का दौरा कर देखा कि वे कश्मीर से निकाले जाने के बाद किस तरह का जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इस दौरान दो कश्मीरी पंडित युवाआें ने इस्लामिक आतंकवाद से कश्मीर को मुक्त करो नारे लिखी तख्तियां दिखाकर राजनयिकों के समक्ष अपने दर्द को बयां किया। वहीं कश्मीरी पंडितों ने बातचीत के दौरान विदेशी राजनयिकों को अपनी व्यथा सुनाने के साथ पेश आ रही परेशानियों के बारे में भी बताया। उन्होंने कश्मीरी पंडितों को कश्मीर में सुरक्षित जगहों पर टाउनशिप बनाकर उन्हें फिर बसाने का मुद्दा भी उठा। कुछ पंडितों ने कश्मीर में होमलैंड बनाने की मांग भी उजागर की। इस दौरान पंडितों ने अपनी मांगों को लेकर विदेशी राजनयिकों को ज्ञापन भी सौंपा।