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Public Welfare Project: जम्मू-कश्मीर में 397 जन कल्याणकारी परियोजनाओं में देरी, CAG ने जताई चिंता

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में चलाए जा रहे जन कल्याणकारी परियोजनाएं अपने निर्धारित समय से पूरा नहीं हो पाई है।CAG ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पिछले एक दशक में 1000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने के बावजूद वर्ष 2021-22 के अंत तक लगभग 400 परियोजनाएं अधूरी रहीं हैं।

By AgencyEdited By: Sonu GuptaPublished: Sat, 01 Apr 2023 05:49 PM (IST)Updated: Sat, 01 Apr 2023 05:49 PM (IST)
Public Welfare Project: जम्मू-कश्मीर में 397 जन कल्याणकारी परियोजनाओं में देरी, CAG ने जताई चिंता
जम्मू-कश्मीर में 397 जन कल्याणकारी परियोजनाओं में देरी।

जम्मू, पीटीआई। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में चलाए जा रहे जन कल्याणकारी परियोजनाएं अपने निर्धारित समय से पूरा नहीं हो पाई है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पिछले एक दशक में 1,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने के बावजूद वित्तीय वर्ष 2021-22 के अंत तक लगभग 400 जन कल्याणकारी परियोजनाएं अधूरी रहीं हैं।

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समय से पूरे नहीं हुए 397 कार्य

CAG ने 31 मार्च 2022 को समाप्त वर्ष के लिए केंद्र शासित प्रदेश के वित्त पर अपनी नवीनतम ऑडिट रिपोर्ट में कहा कि साल 2019 और 2022 के बीच विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा इनमें से 378 परियोजनाओं को शुरू किया गया है। सीएजी ने कहा, "1,518.66 करोड़ रुपये की मूल अनुमानित लागत वाले सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग, जम्मू (61 कार्य) और जल शक्ति (पीएचई) विभाग, कश्मीर (216 कार्य), जल शक्ति (पीएचई) विभाग, जम्मू (119) और मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग (एक) द्वारा 2012-13 से 2014-15 और 2017-18 से 2021-22 की अवधि के दौरान पूरा किए जाने वाले 397 कार्य अधूरे थे।

2017 से 2022 तक दी गई थी कई परियोजनाओं को मंजूरी

सीएजी ने अपने रिपोर्ट में कहा कि रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2012-13 में एक परियोजना को मंजूरी दी गई थी, जबकि वर्ष 2013-14 में दो, वर्ष 2014-15 में नौ, वर्ष 2017-18 में दो, वर्ष 2018-19 में पांच, वर्ष 2020-21 में 203 और वर्ष 2021-22 में 1,518.66 करोड़ रुपये की संचयी लागत से 90 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी।

इससे पहले सीएजी ने जम्मू-कश्मीर में जलविद्युत परियोजनाओं के विकास की धीमी गति को लेकर चिंता जताई थी। कुल 1,725.53 मेगावॉट क्षमता की 374 चिन्हित परियोजना स्थलों में से 79.75 मेगावॉट क्षमता की केवल 10 परियोजनाएं चार से सात साल की देरी से चालू हो पायी हैं।


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