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बंदूक मेरे हाथ में भी थी, पर सामने मेरे देश के नौजवान थे

उत्तराखंड के रहने वाले सैन्यकर्मी राजेंद्र सिंह की जान पत्थरबाजों ने ले ली, लेकिन कोई चर्चा नहीं हो रही है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Fri, 26 Oct 2018 07:26 PM (IST)Updated: Sat, 27 Oct 2018 10:05 AM (IST)
बंदूक मेरे हाथ में भी थी, पर सामने मेरे देश के नौजवान थे
बंदूक मेरे हाथ में भी थी, पर सामने मेरे देश के नौजवान थे

श्रीनगर, नवीन नवाज। बंदूक मेरे हाथ में भी थी। निशाना मेरा भी पक्का था, पर क्या करता सामने हाथ में पत्थर लिए मेरे ही देश के नौजवान थे। पथराव की तीव्रता बढ़ती गई और मेरी बंदूक खामोश। मैं संयम बनाए केवल चेतावनी भर देता रहा। तभी एक पत्थर मेरे सिर को चीरता हुआ निकल गया। मैं पूरी तरह खामोश हो गया और भारत मां की गोद में सो गया।

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उत्तराखंड के बडेना, पिथौरागढ़ के रहने वाले सिपाही राजेंद्र सिंह ने अपनी शहादत देकर अलगाववादियों, तथाकथित मानवाधिकारवादी संगठनों और कश्मीर के उन राजनीतिक दलों को कड़ा जवाब दिया है, जो अक्सर घाटी में सेना पर अत्याधिक बल प्रयोग की दुहाई देते हैं।

शहीद राजेंद्र सिंह की शहादत पर अब ये सभी खामोश हैं, क्योंकि जवान की जान उन्हीं पत्थरबाजों ने ली, जिन्हें ये लोग मासूम कहते हैं। पथराव की यह घटना वीरवार शाम करीब छह बजे की है। सेना की क्विक रिएक्शन टीम (क्यूआरटी) को सीमा सड़क संगठन के अधिकारियों व कर्मियों के वाहनों के काफिले की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया था। सिपाही राजेंद्र सिंह सेना के इसी दस्ते का हिस्सा थे।

वाहनों का काफिल जब जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित अनंतनाग में टी-जंक्शन के पास पहुंचा तो आतंकियों व अलगाववादियों की समर्थक हिंसक भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया। सिपाही राजेंद्र सिंह व उनके साथियों ने अपने वाहन से नीचे आकर पथराव कर रही भीड़ को चेतावनी देते हुए रास्ता खाली करने को कहा, लेकिन किसी ने नहीं सुनी और पथराव की तीव्रता बढ़ गई। फिर भी जवानों ने संयम बरता और गोली नहीं चलाई।

इसी दौरान एक पत्थर सिपाही राजेंद्र सिंह के सिर पर लगा और वह गंभीर रूप से घायल हो गए। उनके अन्य साथियों ने तुरंत उन्हें वाहन में डाला और किसी तरह पथराव कर रही भीड़ में से सभी वाहनों को वहां से निकाला। राजेंद्र सिंह को उपचार के लिए श्रीनगर स्थित सेना के 92 बेस अस्पताल में दाखिल कराया गया। जहां उन्होंने दम तोड़ दिया।

चाहते तो गोली चला सकते थे जवान : रक्षा मंत्रालय

रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया ने कहा कि अगर सिपाही राजेंद्र सिंह और उनके साथ चाहते तो वे पथराव कर रही भीड़ पर गोली चला सकते थे और लाठियों का इस्तेमाल कर सकते थे, लेकिन सभी यही मानकर शांत रहे कि ये अपने ही बच्चे हैं। इन पर गोली चलाना या लाठी चलाना उचित नहीं है।

उन्होंने संयम बरता और सिपाही राजेंद्र सिंह शहीद हो गए।शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित, पार्थिव शरीर उत्तराखंड भेजा :शहीद राजेंद्र सिंह को शुक्रवार बादामी बाग स्थित चिनार कोर मुख्यालय में भावपूर्ण समारोह में अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एके बट, राज्य पुलिस के महानिदेशक दिलबाग सिंह समेत सेना और पुलिस के आलाधिकारियों व जवानों ने शहीद के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र और फूल मालाएं भेंट कीं। इसके बाद तिरंगे में लिपटा शहीद का पार्थिव शरीर पूरे सैन्य सम्मान के साथ उत्तराखंड उनके परिजनों के पास भेज दिया गया।


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