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Jammu: चिनाब के किनारे घैर गांव के 50 घरों पर मंडरा रहा डूबने का खतरा

चिनाब में बाढ़ आने पर इसका बहाव इतना तेज होता है कि वह सब कुछ अपने संग बहा ले जाता है। रात की खामोशी में चिनाब का शोर सुनकर सहम जाते हैं ग्रामीण ग्रामीणों का कहना था कि चिनाब में अवैध रूप से खनन सामग्री निकाली जाती है।

By Edited By: Published: Mon, 14 Jun 2021 08:00 AM (IST)Updated: Mon, 14 Jun 2021 08:01 AM (IST)
Jammu: चिनाब के किनारे घैर गांव के 50 घरों पर मंडरा रहा डूबने का खतरा
सरकार को दरिया की बाढ़ से उनकी भूमि का बचाने के लिए पक्का बांध बनाना चाहिए।

संवाद सहयोगी, ज्यौड़ियां : मानसून की दस्तक के पहले ही चिनाब दरिया उफनाने लगी है। पहाड़ी इलाकों में बीच-बीच में हो रही बारिश से चिनाब का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में दरिया के किनारे बसे घैर गांव (इंद्री) के 50 घरों के लोग डरे हुए हैं। उनका कहना है कि यदि दरिया का जलस्तर कुछ और बढ़ा तो उनके घर इसके तेज बहाव में बह जाएंगे। रविवार को घैर गांव के लोगों ने चिनाब की बाढ़ से बचाव के लिए अब तक कोई इंतजाम नहीं करने पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया।

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ग्रामीणों ने कहा कि उनके घर डूबने वाले हैं, लेकिन राज्य प्रशासन कुंभकरणी नींद में सो रहा है। ग्रामीणों का कहना था कि दरिया चिनाब हर साल उनकी उपजाऊ भूमि को निगल रहा है, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग से कई बार यह मुद्दा उठाया गया, लेकिन हालत ढाक के तीन पात जैसे ही हैं। प्रदर्शन में शामिल घैर गांव के हरिराम का कहना था कि हर साल बाढ़ नियंत्रण विभाग पत्थरों के क्रेट तो डालता है, ताकि बांध तोड़ कर पानी उनकी भूमि नहीं निगले, लेकिन बांधे गए क्रेट तीन माह भी तेज बहाव में नहीं टिक पा रहे हैं।

चिनाब में बाढ़ आने पर इसका बहाव इतना तेज होता है कि वह सब कुछ अपने संग बहा ले जाता है। रात की खामोशी में चिनाब का शोर सुनकर सहम जाते हैं ग्रामीण ग्रामीणों का कहना था कि चिनाब में अवैध रूप से खनन सामग्री निकाली जाती है। इससे चिनाब का पानी किनारे आकर उनकी भूमि को काटता है। धीरे-धीरे दरिया का बहाव गांव की तरफ हो गया है। गांव के निवासी सोंखू राम का कहना था इसी वजह से अब चिनाब का बहाव उनके घरों के पास तक पहुंच गया है। इस समय चिनाब का पानी घैर गांव से 100 फुट की दूरी पर बहने लगा है।

रात में जब हर तरफ खामोशी होती है और दरिया ठाठे मारता है तो ग्रामीणों की सांस रुक जाती है। उनको लगता है कि न जाने वे अगली सुबह देख पाएंगे कि नहीं। उन्होंने कहा कि अब दरिया का पानी गांव के इतने नजदीक आ गया है कि लगता है इस बार गांव के 50 घरों का नामोनिशान मिट जाएगा। चुनाव के समय ही दलितों की बस्ती में दर्शन देते हैं नेता खैर गांव के पंच सुरेंद्र कुमार, किसान रतनलाल और अशोक कुमार ने बताया कि वे खेतीबाड़ी से ही अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। ऐसे में सरकार को दरिया की बाढ़ से उनकी भूमि का बचाने के लिए पक्का बांध बनाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि सिंचाई विभाग ने पत्थरों के जो क्रेट डाले थे, उनमें से आधे से ज्यादा बह गए हैं। वर्ष 1999 में चिनाब में भयंकर बाढ़ आई थी, उसके बाद भी सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। ग्रामीणों ने कहा कि चिनाव के किनारे जिस जिस ठेकेदार ने क्रेट डालने का काम किया वह करोड़पति बन गया, जबकि दरिया किनारे बसे ग्रामीण आज भी अपनी जान बचाने की गुहार लगाने को मजबूर हैं। रतनलाल का यह भी आरोप था कि उनकी बस्ती दलितों की है, इसलिए कोई भी नेता यहां नहीं आता है। चुनाव के बाद उनके दर्शन नहीं होते हैं।


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