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Jammu : औपचारिकताओं के झमेले से आसान नहीं दूसरे राज्यों से दूधारू पशु लाना

मवेशियों की जांच होती है व टीकाकरण किया जाता है। मवेशियों की टै¨गग होती है। उसके बाद ही पुलिस मवेशियों को आगे बढ़ने देने की इजाजत देती है। इस प्रक्रिया के दौरान किसानों को दस्तावेजों की फोटो प्रतियां करानी होती है लेकिन आसपास कहीं सुविधा नजर नहीं आती।

By Edited By: Published: Sat, 18 Sep 2021 07:06 AM (IST)Updated: Sat, 18 Sep 2021 07:20 AM (IST)
Jammu : औपचारिकताओं के झमेले से आसान नहीं दूसरे राज्यों से दूधारू पशु लाना
पूरे मामले को किसान सलाहकार बोर्ड की बैठक में भी उठाया जाएगा।

जागरण संवाददाता, जम्मू : जम्मू कश्मीर में दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयास कहर रही है। यहां डेयरी स्थापित करने के लिए कई योजना चलाई जा रही है। इसके लिए लोग अच्छी नस्ल के दूधारू पशु दूसरे राज्यों से मंगवा कर डेयरी स्थापित करने का प्रयास करते हैंस लेकन दूसरे राज्यों से मवेशियों के लोन जटिल औपचारिकताओं के कारण उन्हें परेशान होना पड़ रहा है।

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पशुपालकों का कहना है कि एकल खिड़की पर सभी औपचारिकताएं पूरी हो जाएं, तो उन्हें समस्या का सामना न करना पड़े। पशुपालकों का कहना है कि पंजाब से वाहन में मवेशी जम्मू लाने में 16 घंटे से अधिक का समय लग रहा है। इस दौरान किागजी कार्यवाही पूरी करते करते ही किसान थक जाता है। जम्मू कश्मीर के प्रवेश द्वार लखनपुर में अंदर आने की इजाजत आसानी से नहीं मिलती। हर नाके पर मवेशी वाहनों को जांच पड़ताल के लिए अलग से रुकना पड़ता है।

पूरे मामले को लेकर किसानों का दल अब पशुपालन विभाग के उच्च अधिकारियों से भी मुलाकात करने का मन बना रहा है। डेयरी संचालित करने वालों का कहना है कि दूसरे राज्यों से दुधारू पशु मंगाना इतना आसान नहीं है। डेयरी फार्मर कुलभूषण खजूरिया ने कहा कि पंजाब से गायें लानी है तो उसकी पक्की रसीद साथ होनी चाहिए। उसके बाद लखनपुर में पशुपालन विभाग की टीम के समक्ष पेश होना पड़ता है।

मवेशियों की जांच होती है व टीकाकरण किया जाता है। मवेशियों की टै¨गग होती है। उसके बाद ही पुलिस मवेशियों को आगे बढ़ने देने की इजाजत देती है। इस प्रक्रिया के दौरान किसानों को दस्तावेजों की फोटो प्रतियां करानी होती है, लेकिन आसपास कहीं सुविधा नजर नहीं आती। किसान पैदल दौड़-दौड़ कर ही हांफने लगता है। तहरीक -ए-किसान जम्मू कश्मीर के प्रधान किशोर कुमार का कहना है कि एक जगह से दूसरी जगह लाई जा रही गायों को लंबे समय तक गाड़ी में रखना ठीक नहीं होता। मवेशी को समय-समय पर चारा देना होता है। इसलिए एकल खिड़की व्यवस्था बने, ताकि किसान एक ही जगह सारी औपचारिकताएं पूरी हों।

पूरे मामले को किसान सलाहकार बोर्ड की बैठक में भी उठाया जाएगा। किसान सलाहकार बोर्ड के सचिव हमीद वानी का कहना है कि मवेशी लाने में किसानों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। अगर किसान परेशान हो रहा है तो इस बारे में सोचना होगा। हम मसले का हल निकालने की दिशा में काम करेंगे।


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