अब उधार ली बिजली लौटाएगा जम्मू-कश्मीर, बढ़ेगी कटौती
जम्मू में तापमान हर दिन रिकार्ड तोड़ रहा है। हर रोज नई ऊंचाई छू रहे पारे के बीच बढ़ती बिजली कटौती लोगों के लिए परेशानी का सबब बन रही है।
जम्मू, राहुल शर्मा। मौसम की मार झेल रहे जम्मू-कश्मीर वासियों को आने वाले दिनों में भले प्रचंड गर्मी से कुछ हद तक राहत मिल जाए परंतु बिजली कटौती की मार कम होने के बजाय और अधिक बढ़ जाएगी। जैसा आप सोच रहे हैं वैसा नहीं है। कटौती में बढ़ोतरी का कारण ओवर लोड सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए बड़े स्तर पर मरम्मत कार्य शुरू करना नहीं है। कटौती इस वजह से बढ़ेगी क्योंकि 16 जून से बिजली विभाग सर्दियों में पड़ोसी राज्याें से ली गई उधार की बिजली वापिस करने की प्रक्रिया शुरू करेगा। इस प्रक्रिया को पावर बैंकिंग कहा जाता है।
देश भर में जम्मू-कश्मीर व हिमाचल प्रदेश ही एकमात्र ऐसे राज्य हैं जहां की पनबिजली परियोजनाओं में गर्मियों में बिजली उत्पादन क्षमता से अधिक होता है। यहां के हिमाश्रित दरियाओं में बर्फ पिघलने के बाद पानी का स्तर बढ़ जाता है। सर्दियों में जब दूसरे राज्यों में उत्पादन बढ़ता है तो पहाड़ों पर बर्फ पड़ने के बाद जम्मू-कश्मीर के दरियों में पानी का स्तर गिर जाता है जिसकी वजह से पनबिजली परियोजनाओं में उत्पादन क्षमता पचास प्रतिशत से भी कम हो जाती है। उस दौरान बिजली की मांग को पूरा करने के लिए जम्मू-कश्मीर पावर डेवलपमेंट डिपार्टमेंट पावर बैंकिंग के तहत दूसरे राज्यों को दी गई बिजली के साथ-साथ जरूरत पड़ने पर अधिक की खरीददारी करता है।
जम्मू में तापमान हर दिन रिकार्ड तोड़ रहा है। हर रोज नई ऊंचाई छू रहे पारे के बीच बढ़ती बिजली कटौती लोगों के लिए परेशानी का सबब बन रही है। ऐसे में जम्मू-कश्मीर में बिजली की मांग 2300 मेगावाट तक पहुंच गई है। जम्मू में जहां दिन में बिजली की मांग 1100 से 1200 मेगावाट रहती है वहीं शाम छह बजे से 12 बजे के बीच यह मांग 1500 मेगावाट पहुंच रही है। ऐसी ही स्थिति कश्मीर की है। यहां दिन में बिजली की मांग 1300 मेगावाट पहुंच रही है जबकि शाम को यह बढ़कर 1800 मेगावाट तक पहुंच रही है। जमीनी हकीकत यह है कि इस मांग के एवज में जम्मू-कश्मीर को मात्र 1800 मेगावाट बिजली ही मिल रही है। इसमें जम्मू के हिस्से करीब 1200 मेगावाट जबकि कश्मीर के हिस्से 1600 मेगावाट बिजली आ रही है। शाम के समय पीक आवर में 300 से 400 मेगावाट बिजली का शार्टफाल है। इसी कमी को पूरा करने के लिए कटौती का सहारा लेना पड़ रहा है।
16 जून से 450 मेगावाट बिजली पावर बैंकिंग के तहत दी जाएगी वापिस
तापमान में निरंतर हो रही बढ़ोतरी के बीच मांग और आपूर्ति में बढ़ते अंतर पर काबू पाने में बिजली विभाग अपने आप को असमर्थ पा रहा है। ऐसे में आने वाले दिनों में परेशानी कम होने के बजाय बढ़ने वाली है। बिजली विभाग 16 जून से पावर बैंकिंग शुरू करने जा रहा है। इसके तहत जम्मू-कश्मीर सरकार हर रोज अपनी पनबिजली परियोजनाओं में उत्पन्न होने वाली बिजली में से करीब 450 मेगावाट बिजली पावर बैंकिंग प्रक्रिया के तहत उन राज्यों को वापिस करेगा जिनसे उन्होंने सर्दियों में बिजली की मांग को पूरा करने के लिए उधार बिजली ली थी। ऐसे में राज्य के बिजली कोटे में बिजली कम होगी और लोगों को बिजली कटौती की अधिक मार झेलनी पड़ेगी।
बिजली कटौती के कारण पानी की आपूर्ति भी हो रही प्रभावित
जम्मू शहर में पानी की मांग बढ़कर 47 मिलियन गैलन डेली तक पहुंच चुकी है, जबकि उपलब्धता 42.5 मिलियन गैलन प्रतिदिन ही है। इसके अलावा पानी की आपूर्ति का पूरा सिस्टम बिजली पर निर्भर करता है। बिजली की सप्लाई सुचारु रहे तो ही पीएचई विभाग पंपिंग के माध्यम से पेयजल की आपूर्ति कर पाने में सक्षम है। बिजली कटौती बढ़ने से पेयजल आपूर्ति पर भी असर पड़ने लगा है। तपती गर्मी के साथ जारी अघोषित कटौती ने लोगों की परेशानियों को दोगुना कर दिया है। हर दो घंटे के बाद हो रही अघोषित कटौती के कारण अधिकतर क्षेत्रों में पानी की सप्लाई भी प्रभावित हो गई है। पीएचई विभाग के चीफ इंजीनियर विनोद गुप्ता का कहना है कि उनके पास सप्लाई के लिए पर्याप्त पानी तो है, लेकिन बिजली कटौती सप्लाई में बाधा बन रही है। निरंतर बढ़ रहा तापमान खतरे का सूचक साबित हो रहा है।
बढ़ते बिजली लोड ने अघोषित कटौती को किया मजबूर
बिजली विभाग जहां इस समस्या का मुख्य कारण दिन-प्रतिदिन बढ़ते तापमान को बता रहा है, वहीं पारा चढ़ने के साथ सिस्टम पर लगातार बढ़ रहे लोड से बड़ी क्षति को बचाने के लिए ही उन्हें अघोषित कटौती का सहारा लेना पड़ रहा है। बिजली विभाग बिना इलेक्ट्रानिक मीटर वाले इलाकों में रोजाना 10 से 12 घंटे की शेड्यूल कटौती कर रहा है। हालांकि उनका यह दावा है कि मीटरिंग वाले इलाकों में वह चौबीस घंटे सप्लाई दे रहे हैं।। अगर कहीं कटौती हो रही है तो वे अघोषित है। दोपहर व रात को एसी लगते ही ट्रांसफार्मर हीट करने लगते हैं, क्षति से बचने के लिए विभाग को अघोषित कटौती का सहारा लेना पड़ता है। मौसम में सुधार होते ही सप्लाई सुनिश्चित हो जाएगी। इसके अलावा विभाग सभी फीडरों पर लोड रिवाइज कर रहा है। लोड की समीक्षा होते ही कम क्षमता वाले ट्रांसफार्मरों को भी बदल दिया जाएगा।
बिजली विभाग ने बिजली चोरी के खिलाफ शुरू की मुहिम
बिजली विभाग ने बिजली सप्लाई व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए बिजली चोरों पर भी शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। चीफ इंजीनियर सुधीर गुप्ता के निर्देश पर डिवीजन स्तर पर छापामार टीमों का गठन भी किया गया है। डिवीजन-3 के इंचार्ज एग्जीक्यूटिव इंजीनियर संजय शर्मा ने 15 छापामार टीमों का गठन करते हुए औचक दौरों का सिलसिला भी शुरू कर दिया है। पहले ही दिन टीम ने 1500 घरों की जांच की और 350 से अधिक उपभोक्ताओं के खिलाफ बिजली का दुरुपयोग करने के मामले दर्ज किए। यानी 325 किलोवाट अतिरिक्त लोड कम हुआ। शर्मा ने कहा कि जांच का सिलसिला निरंतर जारी है। रोजाना इसी तरह के दौरे किए जाएंगे। प्राथमिकता उन इलाकों में दी जा रही है जहां ओवरलोड की शिकायतें मिल रही हैं। शुरूआत में बिजली चोरी में संलिप्त उपभोक्ताओं को जुर्माना किया जा रहा है। यदि इसके बाद भी वे बाज नहीं आएंगे तो अगली बार जुर्माने के साथ उनके खिलाफ पुलिस में एफआइआर भी दर्ज की जाएगी।
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