Pulwama Terror Attack: दस थाना क्षेत्राधिकार में कर्फ्यू लगा, पथराव में डीआईजी भी घायल, सेना बुलार्इ
मुस्लिम बहुल इलाके गुज्जर नगर, रेजीडेंसी रोड पर प्रदर्शन के दौरान फैली हिंसा में उपद्रवियों ने 15 वाहनों को आग के हवाले कर दिया।
जम्मू, जेएनएन। दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिला में सीआरपीएफ की बस को आत्मघाती हमले में उड़ाए जाने के विरोध में जम्मू में भड़की हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए प्रशासन ने दस थाना क्षेत्राधिकारों में कर्फ्यू लगा दिया है। लेकिन मुस्लिम बहुल इलाके गुज्जर नगर में तोड़-फोड़, आगजनी की घटनाओं को देखते हुए वहां सेना बुला ली गई है। सड़कों पर फ्लेग मार्च किया जा रहा है। प्रशासन ने जिन पुलिस थाना क्षेत्राधिकारों में कर्फ्यू लगाया है उनमें जम्मू बस स्टेंड, दोमाना, पीर मिट्ठा, पक्का डंगा, छन्नी हिम्मत, जानीपुर, बख्शी नगर, नावाबाद, बाग-ए-बाहु और त्रिकुटा नगर शामिल हैं।
इससे पहले शहर में धारा 144 लागू की थी लेकिन इस धारा का कोई असर होते न देख प्रशासन, पुलिस और सेना के अधिकारियों की उच्चस्तरीय बैठक हुई जिसमें शहर के संवेदनशील इलाके जो मुस्लिम बहुल इलाकों के साथ लगते हैं, में कर्फ्यू लगाने का निर्णय लिया गया।
मुस्लिम बहुल इलाके गुज्जर नगर, रेजीडेंसी रोड पर प्रदर्शन के दौरान फैली हिंसा में उपद्रवियों ने 15 वाहनों को आग के हवाले कर दिया। दोनों ओर से हुए पथराव के दौरान जम्मू-कठुआ रेंज के डीआईजी विवेक गुप्ता समेत चालीस के करीब लोग घायल हो गए। गुज्जर नगर पहुंचे पूर्व विधायक राजेश गुप्ता व शिव सेना डोगरा फ्रंट के प्रधान राजेश गुप्ता से हाथापाई किए जाने की सूचना भी है। सांप्रदायिक माहौल को बिगड़ता देख प्रशासन ने इलाके में सेना को तैनात कर दिया है। सेना ने स्थानीय लोगों को शांति बनाए रखने की अपील करते हुए फ्लेग मार्च भी किया।
पुलिस शहर में वाहनों के जरिए लाउड स्पीकरों के जरिए कर्फ्यू लगाए जाने की सूचना दे रही है लेकिन युवा वर्ग जिसमें युवतियां भी शामिल हैं, इसकी परवाह न करते हुए जम्मू को जोड़ने वाले तवी पुल पर प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं। अधिकतर युवाओं ने हाथों में तिरंगा झंडा लिया हुआ है और भारत माता की जय के नारों के बीच देश विरोधी तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं। इतनी संख्या में युवाओं के सड़कों पर आ जाने से पुलिस प्रशासन को काफी दिक्कत महसूस हो रही है। शहर में पूरा माहौल देश भक्ति से ओतप्रोत है। एक बार फिर वर्ष 2008 में हुए अमरनाथ भूमि आंदोलन का मंजर सामने दिख रहा है। लोग भी दलगत राजनीति से ऊपर उठकर घरों से बाहर आए हैं। उस समय भी महिलाएं, बच्चे सड़कों पर थे। आज भी भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है। सुरक्षा बल भी हाथों में तिरंगा व देशभक्ति के जज्जबात देखकर उन्हें केवल शांति बनाए रखने को कह रहे हैं।
बहरहाल, सुरक्षाबलों के वाहनों, एम्बुलेंस अौर बच्चों के वाहनों को यह देशभक्त युवा नहीं रोक रहे हैं। कुछ लोग प्रदर्शनकारियों के पानी और भोजन की भी व्यवस्था कर रहे हैं।