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खुदा से मांगी मदद और मददगार पहुंच गए, सीआरपीएफ ने हृदयरोग से ग्रस्त नवजात का करवाया ऑपरेशन

मेरे एक दोस्त ने सीआरपीएफ की मददगार हेल्पलाइन पर संपर्क किया। सीआरपीएफ जवान आसिफ रहमान मेरे घर पहुंचा और उसने मुझे शेरे कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान में बेटे के साथ पहुंचाया।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 17 Apr 2020 10:01 AM (IST)Updated: Fri, 17 Apr 2020 10:01 AM (IST)
खुदा से मांगी मदद और मददगार पहुंच गए, सीआरपीएफ ने हृदयरोग से ग्रस्त नवजात का करवाया ऑपरेशन
खुदा से मांगी मदद और मददगार पहुंच गए, सीआरपीएफ ने हृदयरोग से ग्रस्त नवजात का करवाया ऑपरेशन

श्रीनगर, नवीन नवाज: जीबी पंत अस्पताल में ऑपरेशन थियेटर के बाहर बेसब्री और परेशानी में खड़े ताहिर अहमद डार को नर्स ने बाहर निकलते ही मुबारक देते हुए कहा, 'बेटा हुआ है'। ताहिर की खुशी क ठिकाना नहीं रहा। उसकी बीबी की पहली बार गोद भरी थी। कुछ ही देर में डॉक्टर बाहर आई और उसके कंधे पर हाथ रखकर बोली, तुम्हारी बीबी ने एक खूबसूरत बच्चे को जन्म दिया है, लेकिन उसे हृदयरोग है। उसका जल्द से जल्द ऑपरेशन करवाना होगा। यह सुनते ही ताहिर जमीन पर बैठ गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। उसने खुदा से मदद मांगी। इसी बीच, उसके एक दोस्त ने 'मददगार' (सीआरपीएफ की हेल्पलाइन सेवा) को फोन कर दिया। मानो, खुदा ने ही उसकी मदद के लिए मददगार भेज दिए। नवजात का पहला सफल ऑपरेशन होने के बाद अब कुछ दिनों बाद उसका दूसरा ऑपरेशन होगा।

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शेरे कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान (सौरा) में अपने नवजात बच्चे के साथ मौजूद ताहिर ने कहा कि आपको नहीं पता कि यह पांच दिन मेरे लिए कैसे गुजरे। हर पल कयामत लगता था। मेरी बीबी हुमैरा बेटे को जन्म देने पर जितनी खुश थी, उससे कहीं ज्यादा वह उसकी बीमारी का सुनकर गमजदा थी। डॉक्टरों ने मुझे कहा कि अगर बच्चे की जान बचानी है तो दिल्ली एम्स में जाना होगा, वहां उसका ऑपरेशन होगा। जितनी जल्दी करोगे, उतना ही अच्छा होगा।

श्रीनगर के डाउन-टाउन के रैनावारी के रहने वाले ताहिर ने कहा कि यह हमारी पहली संतान है। मैं दिहाड़ीदार हूं और लॉकडाउन में कोई काम नहीं मिल रहा है। न पैसे का बंदोबस्त हो रहा था और न दिल्ली जाने का जरिया मिल रहा था। यहां पूरा श्रीनगर ही बंद है। किसी रिश्तेदार के पास मदद के लिए भी नहीं जा सकता था। मैं बहुत परेशान था। इसी बीच, मेरे एक दोस्त ने सीआरपीएफ की मददगार हेल्पलाइन पर संपर्क किया। गत मंगलवार को सीआरपीएफ का एक जवान आसिफ रहमान मेरे घर पहुंचा और उसने मुझे यहां शेरे कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान में बेटे के साथ पहुंचाया।

सीआरपीएफ आसिफ उल रहमान ने कहा कि हमने सौरा में डॉक्टरों से बातचीत की। डॉक्टरों ने कहा कि बच्चे का ऑपरेशन जल्द होना चाहिए। हमने अपने अधिकारियों से संपर्क किया तो उन्होंने 30 हजार रुपये नकद व कुछ सामान ताहिर के लिए दिया। डाक्टरों ने तुरंत ऑपरेशन किया और आज यह बच्चा ठीक है। अभी यह वेंटीलेटर पर ही है।

ताहिर ने कहा कि मेरा बेटा आज वेंटीलेटर पर है। मैं उसे गोद में नहीं उठा सकता, लेकिन मैं और हुमैरा जानते हैं कि कल वह हमारी गोद में खेलेगा। डॉक्टरों ने उसके ऑपरेशन का खर्च पांच लाख रुपये बताया था। यह मेरे बस में नहीं था। डाक्टर कह रहे हैं कि वह जल्द ठीक हो जाएगा। हालात ठीक होने पर हम उसका दूसरा ऑपरेशन करेंगे। सीआरपीएफ के जवानों ने मेरी मदद कर मेरी दुनिया उजडऩे से बचा ली है।

लोगों की हर संभव मदद कर रही सीआरपीएफ: मददगार कश्मीर घाटी में स्थानीय लोगों की विभिन्न परिस्थितियों में मदद के लिए स्थापित एक हेल्पलाइन सेवा का नाम है। मददगार के जरिए सीआरपीएफ देशभर में कहीं भी अपने संसाधनों के साथ मुसीबत में फंसे लोगों की मदद करती है। मददगार को वर्ष 2017 में श्रीनगर में स्थापित किया था। कोविड-19 के संकट से जूझ रही कश्मीर घाटी में मददगार के जरिए सीआरपीएफ के जवान लोगों तक राशन, सेफ्टी किट, दवाएं इत्यादि पहुंचा रही है। 


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