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Jammu Kashmir DDC results: जानिए क्‍यों लटक गए सुमैया सदफ और शाजिया के चुनाव परिणाम, गुलाम कश्‍मीर से आई थी दोनों बहुएं

कुपवाड़ा जिला की दग्रमुला और बांडीपोरा जिला की हाजिन ए सीट से दो महिला उम्मीदवारों की नागरिकता को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हुई। इसलिए आयोग ने मतगणना को स्थगित किया है। बैलेट बाक्स खोले ही नहीं गए हैं। राज्य चुनाव आयोग कानूनी सलाह लेगा और उचित फैसला करेगा।

By lokesh.mishraEdited By: Published: Wed, 23 Dec 2020 08:49 PM (IST)Updated: Fri, 25 Dec 2020 05:37 PM (IST)
Jammu Kashmir DDC results: जानिए क्‍यों लटक गए सुमैया सदफ और शाजिया के चुनाव परिणाम, गुलाम कश्‍मीर से आई थी दोनों बहुएं
राज्य चुनाव आयुक्त केके शर्मा ने बुधवार को पत्रकारों को संबोधित करते हुए

जम्मू, राज्य ब्यूरो : जम्मू कश्मीर में जिला विकास परिषद के चुनाव के बाद राज्य चुनाव आयोग ने दो सीटों की मतगणना को स्थगित कर दिया है। गुलाम कश्मीर से पुनर्वास नीति के तहत आई दो महिला उम्मीदवारों की नागरिकता की शिकायत को देखते हुए चुनाव आयोग ने यह फैसला किया है।

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बता दें कि दग्रमुला सीट से सुमैया सदफ (Sumaiya Sadaf) और हाजिन-ए सीट से शाजिया असलम (Shajia Aslam) ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। इन दोनों महिला उम्मीदवारों के खिलाफ पाकिस्तान का नागरिक होने की शिकायतें आई थी। चुनाव आयोग ने मतदान तो होने दिया, मगर मतगणना पर रोक लगा दी।

राज्य चुनाव आयुक्त केके शर्मा ने बुधवार को पत्रकार वार्ता में बताया कि जिला विकास परिषद की 280 सीटों के लिए हुए चुनाव में 278 के परिणाम की घोषणा कर दी गई है। कुपवाड़ा जिले की दग्रमुला और बांडीपोरा की हाजिन-ए सीट से दो महिला उम्मीदवारों की नागरिकता को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हुई। इसलिए आयोग ने मतगणना को स्थगित किया है। दोनों सीटों के बैलेट बाक्स ही खोले ही नहीं गए हैं।

उन्होंने कहा कि राज्य चुनाव आयोग मामले पर पूरी तरह से कानूनी सलाह लेगा और उचित फैसला करेगा। संबंधित उम्मीदवारों को अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाएगा। नागरिकता को लेकर स्थिति स्पष्ट न होने को लेकर शिकायतें आई थी।

केके शर्मा से पूछा गया कि देश की संसद में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित हो चुका है कि गुलाम कश्मीर भारत का हिस्सा है। उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली पूर्व नेकां-कांग्रेस गठबंधन सरकार के समय में एक पुनर्वास नीति बनाई गई थी, जिसके तहत नेपाल के रास्ते से गुलाम कश्मीर से लोगों को वापस लाया गया। 150 लोगों में यह दो महिलाएं भी शामिल थी, तो इन्हें चुनाव लडऩे से कैसे रोका जा सकता है। इसके जवाब में शर्मा ने कहा कि भारत सरकार के नागरिकता को लेकर नियमों और कानूनी पहलुओं पर विचार विमर्श करने के बाद फैसला होगा।

शायद उन्‍हें मेरी जीत से डर है

'मैं वर्ष 2010 में पुर्नवास नीति के तहत गुलाम कश्मीर से आई थी। मेरे पास आधार कार्ड, वोटर आई-कार्ड, इलेक्शन कार्ड भी है। मैं अब तक हुए तीन चुनावों में वोट डाल चुकी हूं। मैं सरकार के सहयोग से सेल्फ हेल्प ग्रुप भी चला रही हूं। फिर शिकायत का आधार समझ से परे है। मेरे नामंकन भरने के समय भी कोई आपत्ति नहीं जताई गई। मुझे नहीं लगता कि प्रशासन की ओर से यह रोक लगाई गई है। शिकायत करने वाले वही लोग होंगे, जिन्हें मेरी जीत से डर था। मैं इस मामले को लेकर आज जिला उपायुक्त से भी मिली।

-सुमैया सदफ, कुपवाड़ा जिले की दग्रमुला सीट से निर्दलीय उम्मीदवार

जानिए गुलाम कश्मीर से कैसे कश्मीर पहुंची सुमैया सदाफ

कुपवाड़ा के बतरगाम गांव का रहने वाला आतंकी नियंत्रण रेखा पार कर गुलाम कश्‍मीर में हथियारों की ट्रेनिंग के लिए चला गया था। वहीं उसकी शादी सुमैया सदाफ से हो गई। कुछ ही समय बाद सुमैया के पति को आतंक की डगर मुश्किल भरा लगने लगा। उसे एहसास हुआ कि वह गुमराह हो चुका है। वह कश्मीर लौट जाना चाह रहा था। जब तत्काली प्रदेश की सरकार ने पुनर्वास नीति के तहत गुमराह होकर आतंकी बने युवाओं को मुख्यधारा में लौट आने का अवसर दिया तो 2010 में सुमैया के पति ने कश्मीर घाटी लौट जाने का फैसला किया। सुमैया भी पति के साथ भारत आने को तैयार हो गई। सुमैया ने चुनाव लड़ने से पहले बताया था कि उसे जम्हूरियत पर हमेशा से भरोसा रहा है। इसलिए वह शांति का पैगाम लेकर चुनावी मैदान में उतरी है। सुमैया राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन का हिस्सा रह चुकी है। इसी तरह की कुछ कहानी शाजिया असलम की भी है।


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