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Coronavirus in Jammu: जम्मू के अस्पतालों में कोरोना की जांच और उपचार भी बढ़ा रही संक्रमण का खतरा

यहां रिपोर्ट लेने के लिए घंटों कतारों में खड़ा रहना पड़ता है। ऐसे में अगर कतार में एक संक्रमित हो तो सबके लिए खतरा बन जाता है। अस्पतालों में भी यहीं खतरा रोजाना बना हुआ है और जंबूलोचन हॉल में भी सब इस खतरे से अनजान दिखाई दे रहे हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 07 May 2021 08:25 AM (IST)Updated: Fri, 07 May 2021 08:25 AM (IST)
Coronavirus in Jammu: जम्मू के अस्पतालों में कोरोना की जांच और उपचार भी बढ़ा रही संक्रमण का खतरा
रिपोर्ट में देरी के कारण उपचार में भी देरी हो रही है जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है।

जम्मू, जागरण संवाददाता: जम्मू जिले में कोरोना महामारी की दूसरी लहर लगातार भवायक रूप धारण कर रही है। संक्रमित लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जम्मू जिला पिछले आठ दिनों से लॉकडाउन में है लेकिन इस लॉकडाउन का कहीं कोई असर नहीं दिख रहा। न मौतों के आंकड़ों में कोई कमी आ रही है और न मरीजों की संख्या। आलम यह है कि वीरवार को बख्शी नगर के सीडी अस्पताल में मरीज ऑक्सीजन सिलेंडर लगाए पार्क व सीढ़ियों पर बैठे नजर आए। इन गंभीर परिस्थितियों के बीच जम्मू के अस्पतालों में एसओपी का कहीं कोई पालन होता नजर नहीं आ रहा। अस्पतालों में कोविड-19 की जांच करवाने से लेकर उपचार कराने के दौरान संक्रमण का खतरा लगातार बढ़ रहा है।

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जम्मू शहर में इस समय गवर्नमेंट मेडिकल कालेज बख्शी नगर, गांधी नगर अस्पताल व मनोरोग अस्पताल अंबफला में आरटीपीसीआर टेस्ट हो रहे हैं। रैट टेस्ट के लिए तो प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की ओर से जगह-जगह शिविर लगाकर टेस्ट करवाए जा रहे हैं लेकिन ज्यादतर डाक्टर व लोग आरटीपीसीआर पर विश्वास कर रहे हैं, लिहाजा ये टेस्ट करवाने के लिए अस्पतालों में भीड़ उमड़ रही है। आलम यह है कि अस्पताल में ये टेस्ट करवाने के लिए तीन से चार घंटे का समय लग रहा है।

ऐसे में लोग कतारों में खड़ा रहते है और इस दौरान शारीरिक दूरी का भी पालन नहीं करवाया जाता। जम्मू में कोरोना जांच की रिपोर्ट हासिल करने के लिए जंबूलोचन हॉल में केंद्र बनाया गया है और यहां के हालात भी काफी खराब है। यहां रिपोर्ट लेने के लिए घंटों कतारों में खड़ा रहना पड़ता है। ऐसे में अगर कतार में एक संक्रमित हो तो सबके लिए खतरा बन जाता है। अस्पतालों में भी यहीं खतरा रोजाना बना हुआ है और जंबूलोचन हॉल में भी सब इस खतरे से अनजान दिखाई दे रहे हैं।

रिपोर्ट आने में लग रहे तीन से चार दिन: कोरोना संक्रमितों की जांच में तेजी के चलते अस्पतालों के लेबोरेटरियों पर भी बोझ बढ़ा है। स्टाफ की कमी के चलते अब टेस्ट रिपोर्ट आने में लंबा समय लग रहा है। हालत यह है कि आरटीपीसीआर की जो रिपोर्ट पहले 24 घंटे में मिल जाती थी, वो रिपोर्ट मिलने में अब तीन से चार दिन भी लग रहे हैं। ऐसे में अगर कोई संक्रमित हो तो उसकी रिपोर्ट आने तक उसकी हालत बिगड़ जाती है। रिपोर्ट में देरी के कारण उपचार में भी देरी हो रही है जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है।

मरीजों के साथ तीमारदार फर्श पर सोने को मजबूर: गवर्नमेंट मेडिकल कालेज अस्पताल बख्शी नगर समेत अन्य अस्पतालों के कोविड वार्डों में जो मरीज भर्ती हैं, उनके साथ कई वाडों में तीमारदार भी हैं। कुछ मरीजों को तो वार्ड में फर्श पर बैठे हुए भी देखा जा सकता है। एक ही बेड पर मरीज के साथ जब तीमारदार भी बैठेगा, वार्ड में चक्कर भी लगाएगा और उसके बाद दवाई या अन्य सामान लेने वार्ड के बाहर भी आएगा। इससे संक्रमण फैलने की आशंका और बढ़ जाती है। इस तरह के दृश्य अस्पतालों के कुछ कोविड वाडों में साफ देखे जा सकते हैं।


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