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Coronavirus Impact: अपनों से दूर बहनों की तरह प्यार दे रहीं सिस्टर, नर्सिग स्टाफ वाकई में सलामी का है हकदार

वह अस्पताल में बाहर से आने वालों से लेकर भर्ती मरीजों और डाक्टरों के बीच की कड़ी है। कोरोना से लड़नेवाली ऐसी योद्धा जो मरीजों सामान्य लोगों के संपर्क में सबसे अधिक समय तक रहती हैं

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 13 Apr 2020 08:56 AM (IST)Updated: Mon, 13 Apr 2020 08:56 AM (IST)
Coronavirus Impact: अपनों से दूर बहनों की तरह प्यार दे रहीं सिस्टर, नर्सिग स्टाफ वाकई में सलामी का है हकदार
Coronavirus Impact: अपनों से दूर बहनों की तरह प्यार दे रहीं सिस्टर, नर्सिग स्टाफ वाकई में सलामी का है हकदार

जम्मू, राज्य ब्यूरो। वह अस्पताल में बाहर से आने वालों से लेकर वार्डो में भर्ती मरीजों और डाक्टरों के बीच की कड़ी है। कोरोना वायरस से लड़ने वाली ये ऐसी योद्धा हैं जो मरीजों और सामान्य लोगों के संपर्क में सबसे अधिक समय तक रहती हैं। इलाज के लिए डाक्टरों की जरूरतों और मरीजों की देखभाल तक का जिम्मा इन्हीं के पास है। डाक्टर के बाद यह ऐसा वर्ग है जो लोगों के बीमार होने से ठीक होने तक उनके साथ रहता है। इन्हें हम नर्स या सिस्टर कहकर बुलाते हैं।

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इन्हें पुकारने के नाम में ही अपनापन है और शायद इसीलिए ही महामारी से लोगों को बचाने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी इनके कंधों पर दी गई है। एसएमजीएस अस्पताल का यह नर्सिग और पैरामेडिकल स्टाफ इसीलिए भी अहम है कि यहां पर कोरोना वायरस के संक्रमित महिलाओं और बच्चे तो भर्ती होते ही हैं, साथ ही सामान्य मरीज भी आ रहे हैं।

हालांकि, इस स्टाफ को सुरक्षा का जरूरी सामान दिया गया है, फिर भी इनके संक्रमित होने की पूरी आशंका रहती है। दरअसल, ये गंभीर और सामान्य मरीजों से सीधे और अधिक समय तक संपर्क में रहते हैं। इसके बावजूद नर्सिग स्टाफ का हौसला किसी भी स्तर पर कम नहीं हुआ है। अपनी जिम्मेदारी पर गर्व से यह स्टाफ कहता है कि इस समय काम को लेकर उनमें जोश है, लेकिन होश रखने की भी जरूरत है। होश खोना नहीं है।

आइसोलेशन वार्ड में नर्स ही माता-पिता

कोरोना संक्रमित मरीजों के पास जाने से रिश्तेदार तो दूर उनके माता-पिता भी हजार बार सोचते हैं, लेकिन यहां की नर्से एसएमजीएस अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती हर बच्चे का अभिभावक की तरह देखभाल कर रही हैं। हालांकि, किसी भी परिजन को आइसोलेशन वार्ड में जाने की इजाजत नहीं है। ऐसे में नर्सिंग स्टाफ की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है।

बच्चों को संभालना उनके लिए कठिन परीक्षा भी है। यहां बच्चों समेत पांच लोग आइसोलेशन में थे, जिन्हें रविवार की शाम को कोविड अस्पताल गांधीनगर में शिफ्ट कर दिया गया है। खुद से अधिक दूसरों की परवाहकई स्टाफ सदस्य अपनी परवाह न करते हुए न सिर्फ मरीजों की देखभाल में जुटे हुए हैं बल्कि वे अपने साथियों की भी पल-पल की खबर ले रहे हैं। अस्पताल से लेकर होटल और आइसोलेशन वार्ड तक में नियुक्त स्टाफ के रहने, खाने की व्यवस्था जुटा रहे हैं।

आइसोलेशन वार्ड में भर्ती मरीजों की हर सुविधा का ख्याल रख रहे हैं। बच्चे तो बच्चे हैं, कुछ भी खाने की मांग कर देते हैंआइसोलेशन वार्ड में भर्ती कोरोना संक्रमितों की जरूरतों का पूरा ख्याल रखने का जिम्मा संभाल रही सिस्टर पवनजीत कौर का कहना है कि उनका काम मरीजों को जरूरी सामान समेत देखभाल में जुटे स्टाफ सदस्यों की सुरक्षा के लिए जरूरी किट व अन्य सामान भी उपलब्ध करवाना है। कई बार संक्रमित बच्चे कोई भी चीज खाने की मांग कर देते हैं। अगर डाक्टर वह देने पर सहमति दें तो हर चीज उन्हें मुहैया करवाई जाती है। उनका कहना है कि यह समय उन सभी के इम्तिहान का है। इस समय अस्पताल प्रबंधन को सहयोग देने की जरूरत है। उनका प्रयास है कि किसी मरीज को कोई परेशनी न हो।

बिना थके काम जारी, परिजनों की भी चिंताए

सएमजीएस अस्पताल के डाक्टरों से लेकर नर्सिंग स्टाफ तक के कुछ सदस्य अस्पताल में ड्यूटी देकर सीधे होटलों में चले जाते हैं। इसका मकसद अपने परिजनों को भी सुरक्षित रखना है। इन स्टाफ सदस्यों को होटल में सुविधाएं उपलब्ध करवाने का जिम्मा भी सिस्टर पवनजीत को सौंपा गया है। उनका कहना है कि इस समय ड्यूटी का कोई समय नहीं है। सुबह दस बजे से लेकर रात को आठ बजे तक भी कई बार अस्पताल में रुकना पड़ता है। 12 डाक्टरों सहित 18 लोग क्वारंटाइन मेंएसएमजीएस अस्पताल में एक महिला के पाजिटिव आने के बाद यहां के 12 डाक्टरों सहित 18 कर्मचारियों को अलग-अलग जगह क्वारंटाइन में रखा गया है। ऐसे में नर्सिग स्टाफ की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है।


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