Jammu Kashmir: घातक बन रहा है कोरोना वायरस; विशेषज्ञ डाक्टरों को शक, बदल रहा है वायरस
वहीं कश्मीर मेंकश्मीर में फ्लू विशेषज्ञ और जीएमसी श्रीनगर में एसोसिएट प्रोफेसर डा. निसार-उल-हसन का कहना है कि पिछले कुछ सप्ताह से वायरस ने अपना बुरा रूप अख्तियार कर लिया है।
जम्मू, रोहित जंडियाल: जम्मू-कश्मीर में पिछले दो-तीन सप्ताह से कोरोना वायरस लगातार घातक हो रहा है। दो सप्ताह में ही सौ से अधिक कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हो चुकी है। विशेषज्ञ डाक्टर भी इससे चिंतित हैं। उन्हें यह शक है कि वायरस अपने आप को बदल रहा है। उन्होंने इंडियन काउंसिल फार मेडिकल रिसर्च से भी वायरस के बदल रहे स्वरूप की स्टड़ी करने को कहा है।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में कोरोना वायरस का पहला मामला आठ मार्च को आया था। इसके बाद जम्मू-कश्मीर में कोरोना संक्रमित पहले मरीज की मौत 23 मार्च को हुई थी जबकि श्रीनगर के एक व्यापारी की मौत हो गई थी। इसके बाद 93 दिनों में पहले सौ मरीजों की मौत हुई। तीस जून तक 101 कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हुई। लेकिन इसके बाद के पंद्रह दिनों में 110 मौतें हो गई। हर दिन औसतन सात लोगों की मौत हो रही है। इनमें 14 दिन का बच्चा, 24 साल की महिला के अलावा 25 साल, 37 साल, 28 साल, 40 साल, 45 साल का मरीज भी शामिल है। चिंतजनक तथ्य यह है कि मरने वाले मरीजों में पचास से साठ प्रतिशत को निमोनिया की शिकायत हुई। उनके फेफड़े बुरी तरह से प्रभावित हुए।
जम्मू में आरंभ से ही कोरोना मरीजों पर नजर रखने वाले राजकीय मेडिकल कालेज जम्मू के प्रीवेंटिव सोशल मेडिसीन विभाग के एचओडी डा. दिनेश कुमार का कहना है कि कुछ सप्ताह से लग रहा है कि वायरस में बदलाव आ रहा है। कुछ मरीजों के एक्स-रे देखने पर पता चला कि उनके फेफड़े बुरी तरह से प्रभावित हुए हें। उनका कहना है कि इंडियन काउंसिल फार मेडिकल रिसर्च को जेनेटिक टेस्ट से यह पता लगाना चाहिए कि क्या वायरस सच में बदल रहा है।
वहीं कश्मीर मेंकश्मीर में फ्लू विशेषज्ञ और जीएमसी श्रीनगर में एसोसिएट प्रोफेसर डा. निसार-उल-हसन का कहना है कि पिछले कुछ सप्ताह से वायरस ने अपना बुरा रूप अख्तियार कर लिया है। उन्हें लगता है कि वायरस बदल रहा है। यह पहली बार है कि कश्मीर में बाइलेटरल निमोनिया के इतने मामले आ रहे हैं। इनमें फेफड़े पूरी तरह से काम करना बंद कर रहे हैं और मरीज की मौत हो रही हे। उन्होंने कहा किि यह एक गंभीर स्थिति है और इसकी स्टडी होनी चाहिए। ऐसे मामले तेजी से बढ़ रहे हैं जहां पर मरीजों को तुरंत आक्सीजन और वेंटीलेटर की जरूरत थी। जब से संक्रमण फैला हुआ है, तब से ऐसा पहली बार हुआ हे।
अब लक्षण वाले मरीज अधिक: जम्मू-कश्मीर में अस्पतालों में पहले उन मरीजों की संख्या अधिक थी जिनमें कोरोना के लक्षण नहीं थे। लेकिन जांच के बाद उनमें संक्रमण की पुष्टि हुई। ऐसे मरीजों की संख्या 70 से 80 प्रतिशत थी। मगर अब हालात पूरी तरह से बदल गए हैं। विशेषज्ञ डा. निवासर का कहना है कि अब जो भी मरीज आ रहे हैं, उनमें कोरोना के लक्षण साफ दिखते हैं। अब मात्र बीस से तीस प्रतिशत मरीज ही ऐसे होंगे जहां पर मरीजों में लक्षण नहीं हैं। उनका यह भी कहना है कि बहुत से मरीज ऐसे हैं जिनकी मौत का पता ही नहीं चल पा रहा है। जितनी मौतें इस समय दर्ज हो रही हैं, उनकी संख्या इससे कहीं अधिक है।