Jammu Kashmir: कोआपरेटिव बैंक के चेयरमैन मोहम्मद शफी डार की जमानत अर्जी खारिज
केस के मुताबिक बैंक के पास अधिकतम एक करोड़ रुपये ऋण देने का अधिकार था लेकिन इसका उल्लंघन करते हुए बैंक ने एक फर्जी सोसायटी को 223 करोड़ रुपये ऋण दिया।
जम्मू, जेएनएफ : जम्मू कश्मीर स्टेट कोआपरेटिव बैंक लिमिटेड में 223 करोड़ रुपये के ऋण घोटाले में हाईकोर्ट ने बैंक के तत्कालीन चेयरमैन की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है।
प्रदेश सरकार ने इस घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद इसी साल 17 मई को बैंक के बोर्ड को भंग करते हुए प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया था। इसके बाद एंटी करप्शन ब्यूरो ने तत्कालीन चेयरमैन मोहम्मद शफी डार के खिलाफ केस दर्ज किया था। डार पर आरोप है कि उनकी अध्यक्षता वाले बोर्ड ने हिलाल अहमद मीर की रीवर ङोलम कोआपरेटिव हाउस बिल्डिंग सोसायटी को 223 करोड़ रुपये का ऋण मंजूर किया, जबकि ऐसी कोई सोसायटी जमीन पर नहीं थी। सरकार ने मीर की ओर से ऋण राशि से श्रीनगर के धारबाग, शिवपोरा में खरीदी गई 257 कनाल जमीन अटैच की है।
रजिस्ट्रार कोआपरेटिव सोसायटी के साथ नहीं थी पंजीकृत : प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ कि सोसायटी के चेयरमैन ने बैंक में 300 करोड़ रुपये के ऋण का आवेदन देते हुए कहा था कि सोसायटी को कॉलोनी बनाने के लिए श्रीनगर में 300 कनाल जमीन खरीदनी है, जिसके लिए ऋण चाहिए। यह सोसायटी रजिस्ट्रार कोआपरेटिव सोसायटी के साथ पंजीकृत भी नहीं थी।
बैंक के पास अधिकतम एक करोड़ ऋण देने का था अधिकारः केस के मुताबिक बैंक के पास अधिकतम एक करोड़ रुपये ऋण देने का अधिकार था, लेकिन इसका उल्लंघन करते हुए बैंक ने एक फर्जी सोसायटी को 223 करोड़ रुपये ऋण दिया। इससे भी बड़ा फर्जीवाड़ा यह रहा कि ऋण देते समय बैंक ने सोसायटी की बैलेंस शीट, मुनाफे-घाटे, पैन नंबर, आयकर रिटर्न व बोर्ड सदस्यों समेत अन्य जानकारियां लेना भी जरूरी नहीं समझा। बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के इस फर्जीवाड़े का पता चलने पर नाबार्ड, एंटी करप्शन ब्यूरो व रजिस्ट्रार कोआपरेटिव सोसायटीज की ओर से अपने-अपने स्तर पर इस मामले की जांच शुरू की गई थी।