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समान काम, समान वेतन की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे कांट्रेक्च्युअल टीचर, घंटों जाम में फंसे रहे लोग

कांट्रेक्च्युअल टीचरों ने कहा यदि जल्द ही उनके हक में फैसला नहीं लिया गया तो वे आने वाले दिनों में उग्र आंदोलन की शुरूआत करेंगे। इससे कालेजों में शिक्षा भी प्रभावित होगी।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 13 Nov 2019 01:40 PM (IST)Updated: Wed, 13 Nov 2019 01:40 PM (IST)
समान काम, समान वेतन की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे कांट्रेक्च्युअल टीचर, घंटों जाम में फंसे रहे लोग
समान काम, समान वेतन की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे कांट्रेक्च्युअल टीचर, घंटों जाम में फंसे रहे लोग

जम्मू, जेएनएन। समान काम, समान वेतन की मांग को लेकर आज बुधवार को कांट्रेक्च्युअल टीचर सड़कों पर उतर आए। उच्च शिक्षा विभाग के आर्डर नंबर 472 को वापिस लेने की मांग कर रहे ये अध्यापक महिला कालेज गांधी नगर के सामने मुख्य मार्ग पर धरने पर बैठ गए और मांगों के समर्थन में नारे लगाने लगे। इन अध्यापकों के अचानक सड़कों पर उतर आने के कारण गांधी नगर क्षेत्र में ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई और शहर की ओर जाने वाले मार्ग पर वाहनों का लंबा जाम लग गया। माैके पर पहुंचे पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने धरने पर बैठे अध्यापकों को समझाने का प्रयास किया परंतु वे कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थे।

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उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी किया गया यह आदेश हालांकि नया नहीं है। करीब ढाई महीने पहले विभाग ने आदेश जारी किया था कि कालेजों में पढ़ा रहे कांट्रेक्च्युअल अध्यापकों को अब घंटों के हिसाब से वेतन दिया जाएगा। पहले इन अध्यापकों को मासिक वेतन दिया जाता था। अध्यापकों ने इस आदेश को नामंजूर कर दिया। उनका कहना था कि वे जब दूसरे अध्यापकों की तरह समान ड्यूटी दे रहे हैं तो उन्हें वेतन घंटों के हिसाब से क्यों दिया जा रहा है। कई बार विरोध जाहिर करने के बाद भी जब उच्च शिक्षा विभाग ने आदेश पर पुनर्विचार नहीं किया तो आज ये अध्यापक सड़कों पर उतर आए।

दो से तीन घंटे तक चले इस धरना-प्रदर्शन के कारण वाहनों का लंबा जाम लग गया। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने अध्यापकों को इस बात आश्वासन दिलाया कि वे उनकी बात प्रशासन के उच्चाधिकारियों तक पहुंचाएंगे। अधिकारियों के इस आश्वासन के बाद अध्यापकों ने इस चेतावनी के साथ धरना समाप्त किया कि यदि जल्द ही उनके हक में फैसला नहीं लिया गया तो वे आने वाले दिनों में उग्र आंदोलन की शुरूआत करेंगे। इससे कालेजों में शिक्षा भी प्रभावित होगी।


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