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Jammu : कोरोना महामारी में नियुक्त 1600 स्वास्थ्य कर्मियों की सेवाएं समाप्त, विरोध में प्रदर्शन

जीएमसी में देर रात इससे आक्रोष में आए नेशनल हेल्थ मिशन के तहत एक साल के लिए नियुक्त स्टाफ नर्सेस और एनेस्थिया असिस्टेंट काम छोड़कर प्रदर्शन पर उतर आए। इससे अस्पताल और अन्य वार्ड में जारी स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होकर रह गईं।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Published: Thu, 30 Sep 2021 09:54 AM (IST)Updated: Thu, 30 Sep 2021 09:54 AM (IST)
Jammu : कोरोना महामारी में नियुक्त 1600 स्वास्थ्य कर्मियों की सेवाएं समाप्त, विरोध में प्रदर्शन
करीब दो साल पहले इन नर्सिंग स्टाफ को कोविड महामारी की रोकथाम के लिए कांट्रेक्ट पर नियुक्त किया था।

जम्मू, जागरण संवाददाता : स्वास्थ्य विभाग ने बुधवार रात एक आदेश जारी कर सरकारी मेडिकल कालेज (जीएससी) जम्मू और सहायक अस्पतालों में कांट्रेक्ट पर नियुक्त करीब 1600 स्वास्थ्य कर्मियों की पहली अक्टूबर से सेवाएं समाप्त कर दीं। जीएमसी में देर रात इससे आक्रोष में आए नेशनल हेल्थ मिशन के तहत एक साल के लिए नियुक्त स्टाफ नर्सेस और एनेस्थिया असिस्टेंट काम छोड़कर प्रदर्शन पर उतर आए। इससे अस्पताल और अन्य वार्ड में जारी स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होकर रह गईं।

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प्रशासन ने करीब दो साल पहले इन नर्सिंग स्टाफ को कोविड महामारी की रोकथाम के लिए कांट्रेक्ट पर नियुक्त किया था। हेल्थ मिशन के डायरेक्टर के आदेश पर जम्मू राजकीय मेडिकल कालेज की प्रिंसिपल डाक्टर शशि सूदन शर्मा ने स्टाफ नर्सेस और एनेस्थिया असिस्टेंट की सेवाएं को समाप्त कर दिया। वहीं, नेशनल हेल्थ मिशन की लक्ष्य योजना के तहत प्रसूति विभाग, आइसीयू और एचडीयू के तहत जम्मू के जच्चा बच्चा एसएमजीएस अस्पताल में सेवाएं देने वाली स्टाफ नॢसस को स्वास्थ्य विभाग ने राहत देते हुए उनकी सेवाओं को जारी रखा है।

इस बीच, पहली अक्टूबर से सेवाएं समाप्त होने के आदेश की जानकारी जब कोविड मैनेजमेंट के तहत कांट्रेक्ट पर लगे स्वास्थ्य कर्मियों को लगी तो वे जीएमसी के विभिन्न वार्ड और इमरजेंसी में सेवाएं बीच में छोड़ अस्पताल परिसर में एकत्र होने लगे। इससे वार्ड और इमरजेंसी में नर्सिंग सेवाएं प्रभावित होकर रह गई। बहरहाल, सीनियर और स्थायी नर्सों ने डाक्टरों के साथ मिलकर मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाईं।

कहा-कोरोना में जान पर खेलकर दी सेवाएं : स्टाफ नर्सेस ने आरोप लगाया कि उपराज्यपाल प्रशासन ने उन्हेंं कोविड-19 की महामारी को देखते हुए एक साल के लिए नियुक्त किया था। उनका यह अनुबंध कोरोना की पहली और दूसरी लहर में भी जारी रहा।नर्सों ने कहा कि उन्होंने कोरोना काल में अपनी जान पर खेलकर स्वास्थ विभाग को अपनी सेवाएं दीं। लेकिन उप राज्यपाल प्रशासन ने उनकी सेवाओं को भुलाकर बेदखल कर उनसे अन्याय किया है।

प्रदर्शन कर रही नर्सों ने कहा कि उन्हेंं आश्वासन दिया गया था कि उनके कांट्रेक्ट को बढ़ा दिया जाएगा। इस संबध में उन्होंने मेडिकल सुपरिंटेंडेंट से भी बात की और एक हफ्ते पहले एनएचएम के डायरेक्टर को एमएस ने पत्र लिख कर उनके कांट्रेक्ट को बढ़ाए जाने की बात कही थी, लेकिन एनएएचएम के डायरेक्टर ने उन्हेंं उन्हीं के हाल पर छोड़ दिया।नर्सिंग स्टाफ का कहना है कि अगर उपराज्यपाल प्रशासन ने उनकी सेवाओं को बहाल नहीं किया तो वे सड़कों पर उतर कर न्याय के लिए गुहार लगाएंगी। इन नर्सों में अधिकतर नर्सिंग की डिग्री और डिप्लोमा होल्डर हैं।


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