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Kashmir : एशिया की दूसरी सबसे बड़ी झील वुल्लर के संरक्षण से स्थानीय मछुआरों, व्यावसायिक उम्मीदें बढ़ी

झील के पार फैली गंदगी के कारण मछलियां काफी कम हो गई इस धंधे को करने की हिम्मत नहीं हुई। हमने इस झील पर निर्भर रहना भी उचित नहीं समझा। हर कोई हताश था। हमने तो यह उम्मीद छोड़ दी थी कि वुल्लर की हालत फिर सुधरेगी।

By rahul sharmaEdited By: Rahul SharmaPublished: Tue, 25 Oct 2022 08:55 AM (IST)Updated: Tue, 25 Oct 2022 09:32 AM (IST)
Kashmir : एशिया की दूसरी सबसे बड़ी झील वुल्लर के संरक्षण से स्थानीय मछुआरों, व्यावसायिक उम्मीदें बढ़ी
सरकार ने कुछ वर्षों में संरक्षण की प्रक्रिया से इसकी स्थिति में काफी बदलाव किया है।

श्रीनगर, जेएनएन : उत्तरी कश्मीर में एशिया की दूसरी सबसे बड़ी ताजे पानी की झील वुल्लर के संरक्षण के प्रयासों को देख स्थानीय मछुआरे, लोग व व्यवसायियों में एक बार फिर बेहतर भविष्य उम्मीद जगने लगी है। उनका पूरा कारोबार सीधे इस झील पर निर्भर करता है। पिछले दो वर्षों के दौरान झील के संरक्षण के लिए जो कार्य किया जा रहा है, स्थानीय लोगों में एक उम्मीद है कि यह झील एक बार फिर भविष्य में उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। पर्यटन के जरिए उनके जीवन को बेहतर के लिए बदल सकता है।

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आपको बता दें कि झील के जीर्णोद्धार के लिए अब तक 4.35 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को साफ किया जा चुका है। उन जगहों पर जहां पर्यटक पक्षी देखने के लिए जाते हैं, वहां पैदल मार्ग (गैर-मोटर योग्य) मार्ग का काम चल रहा है। वुल्लर झील के आसपास अल्पाइन स्विफ्ट और हिमालयन कठफोड़वा जैसी दुर्लभ प्रजातियों को देखा जा सकता है।

वर्तमान में झील का कुल क्षेत्रफल 130 वर्ग किलोमीटर है जिसमें 380 कनाल और 11 मरला पर अतिक्रमण किया गया है। इस वित्तीय वर्ष के अंत अतिक्रमण किए गए हिस्सों को खाली करवा दिया जाएगा। वुल्लर एक्शन प्लान के माध्यम से जल धारण क्षमता 2022-23 में पूरी होने की संभावना है। वुल्लर संरक्षण पर करीब 200 करोड़ खर्च किए जाएंगे।

दार-मोहल्ला गुरूरा में रहने वाले स्थानीय मछुआरे मंजूर अहमद ने कहा कि कुछ साल पहले यहां के अधिकतर लोगों ने अपना मछली पकड़ने का व्यवसाय छोड़ दिया। अब यह बहुत लाभदायक नहीं था। झील के पार फैली गंदगी के कारण मछलियां काफी कम हो गई, इस धंधे को करने की हिम्मत नहीं हुई। हमने इस झील पर निर्भर रहना भी उचित नहीं समझा। हर कोई हताश था। हमने तो यह उम्मीद छोड़ दी थी कि वुल्लर की हालत फिर सुधरेगी। सरकार ने कुछ वर्षों में संरक्षण की प्रक्रिया से इसकी स्थिति में काफी बदलाव किया है।

इसी तरह कुल्हामा में रहने वाले एक अन्य मछुआरे मोहम्मद सुल्तान ने कहा कि उनका परिवार पीढ़ियों से इस झील पर निर्भर है। लेकिन जिस तरह से झील में प्रदूषण बढ़ रहा था, इस पर निर्भर मेरे जैसे लोग हर कोई अगली पीढ़ियों के भविष्य के बारे में चिंतित था। हर किसी के पास एक ही सवाल था कि क्या वे इस व्यवसाय को आगे बढ़ा पाएंगे या नहीं। सरकार झील संरक्षण पर काम कर रही है। इसके बेहतर परिणाम भी सामने आ रहे हैं। मेरी इच्छा है कि मैं इस झील को पहले की तरह ही फिर से देखूं।


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