पुरानी गलतियों से सीख लेकर पंचायत चुनावों में भविष्य तलाश रही कांग्रेस
राज्य में हुए संसदीय व विधानसभा चुनाव में पार्टी की अंतरकलह उबरकर सामने आई जिसके कारण कांग्रेस को इन चुनावों में भारी नुकसान झेलना पड़ा।
जम्मू, राज्य ब्यूरो । जम्मू कश्मीर में संसदीय, विधानसभा चुनाव में कमजोर हुई प्रदेश कांग्रेस ने अब पंचायत चुनाव से बेहतर भविष्य की उम्मीदें लगाई हैं। राज्य में सत्ता से विपक्ष में आ गई इस पार्टी ने अपने कैडर को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि बेहतर भविष्य चाहते हैं आपसी मतभेदों को भुलाकर यह सुनश्चित करें कि ग्रामीण इलाकों में पार्टी के उम्मीदवार पंच, सरपंच बनें। पहले संसदीय व उसके बाद विधानसभा चुनाव में कामयाबी के लिए यह जरूरी है कि जमीनी सतह पर कांग्रेस सशक्त हो। राज्य में हुए संसदीय व विधानसभा चुनाव में पार्टी की अंतरकलह उबरकर सामने आई जिसके कारण कांग्रेस को इन चुनावों में भारी नुकसान झेलना पड़ा।
कांग्रेस के लिए इस समय राज्य में मुश्किल वक्त चला रहा है। भाजपा-पीडीपी सरकार बनने से पहले लगातार दस साल तक जम्मू कश्मीर में सरकार में रही पार्टी आधार कमजोर होने के बाद न सिर्फ विपक्ष में आ गई अपितु लोकसभा में भी इसका कोई प्रतिनिधि नहीं रहा। ऐसे में पार्टी की पूरजोर कोशिश है कि ग्रामीण स्तर पर आधार बढ़ाकर जम्मू संभाग की दो व लद्दाख की एक संसदीय सीट भाजपा से जीती जाए। वहीं कश्मीर संभाग की 3 संसदीय सीटों के लिए पीडीपी व नेशनल कांफ्रेंस में जोर आजमाइश है। वर्ष 2014 के संसदीय चुनाव में पीडीपी ने कश्मीर की तीनों सीटें जीतकर नेशनल कांफ्रेंस को जम्मू-कश्मीर तक सीमित कर दिया था।
ऐसे हालात में पंचायत चुनाव की सरगर्मियों में तेजी के चलते जम्मू में डेरा डालने वाले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीए मीर ने प्रदेश के वरिष्ठ नेताआें से बैठकें कर उन्हें पंचायत चुनाव में उम्मीदवारों को कामयाब बनाने के लिए लोगों के बीच जाने के लिए कहा है। जम्मू में बैठकें करने के बाद मीर श्रीनगर के लिए रवाना हो गए। पार्टी सूत्रों के अनुसार मीर बीस अक्टूबर को फिर जम्मू आकर स्थानीय निकाय चुनाव के परिणामों के बाद की रणनीति तय करने के साथ पंचायत चुनाव की तैयारियों को भी तेजी देंगे। हालांकि राज्य में पंचायत चुनाव गैर राजनीतिक आधार पर होने हैं लेकिन इसमें राजनीतिक पार्टियों की पूरी दखल रहेगी।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रवीन्द्र शर्मा का कहना है कि जम्मू कश्मीर में लोगों को ख्वाब दिखाकर सरकार बनाने वाली भाजपा का सच लोगों के सामने है। यह सच पंचायत चुनाव में इस पार्टी को महंगा पड़ेगा। पार्टी ने सत्ता हासिल करने के लिए लोगों के साथ शल किया। ऐसे हालात में कांग्रेस पूरी कोशिश करेगी कि अच्छे उम्मीदवार जीतकर सामने आएं। उन्होंने कहा कि विपक्ष में रहते हुए भाजपा संविधान के 73वें, 74वें संशोधन की मांग बुंलद करती थी। जब सत्ता मिली तो उसने यह वायदा पूरा करना तो दूर, उसने पीडीपी के साथ मिलकर लोगों से अपने सरपंच चुनने का अधिकार भी छीन लिया। यह अधिकार लोगों को राज्यपाल शासन में वापस मिला। अब कुर्सी जाने के बाद भाजपा ने फिर से 73वें, 74वें संशोधन का राग अलापना शुरू कर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि लोगों को गुमराह करने की रणनीति भाजपा को संसदीय, विधानसभा चुनाव में भारी पड़ेगी। उन्होंने जोर दिया कि राज्य सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि पंचायत चुनाव के लिए उचित सुरक्षा माहौल बनाया जा सके।