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अफगानिस्तान से अमेरिकी फौज की वापसी पर छिड़ी बहस

अफगानिस्तान से अमेरिकी फौज की वापसी से जम्मू कश्मीर के हालात पर होने वाले असर को लेकर राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक के राजेंद्रा की चेतावनी ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है।

By Edited By: Published: Thu, 27 Dec 2018 08:46 AM (IST)Updated: Thu, 27 Dec 2018 10:01 AM (IST)
अफगानिस्तान से अमेरिकी फौज की वापसी पर छिड़ी बहस
अफगानिस्तान से अमेरिकी फौज की वापसी पर छिड़ी बहस

राज्य ब्यूरो, जम्मू । अफगानिस्तान से अमेरिकी फौज की वापसी से जम्मू कश्मीर के हालात पर होने वाले असर को लेकर राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक के राजेंद्रा की चेतावनी ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है। इसे लेकर कश्मीर मामलों के जानकार और सुरक्षा विशेषज्ञ प्रत्यक्ष रूप से बंटे नजर आते हैं, लेकिन सभी इस बात पर सहमत हैं कि अफगानिस्तान के असर से बचने के लिए केंद्र सरकार को एक ठोस और व्यावहारिक कश्मीर नीति अपनानी होगी। कश्मीर और इस्लामिक आतंकवाद संबधी मामलों के विशेषज्ञ डॉ. अजय चुरंगु ने कहा कि के राजेंद्रा ने जो कहा है, बहुत कम कहा है, लेकिन सही कहा है।

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अफगानिस्तान से अमेरिकी फौजों की वापसी के बाद वहां क्या होगा। वहां से कितने आतंकी कश्मीर आएंगे, यह बाद की बात है, लेकिन इसका वैश्विक इस्लामिक आतंकवाद और कश्मीर के हालात पर सीधा असर होगा। जिहादी संगठन अफगानिस्तान से अमेरिकी फौज की वापसी को इस्लाम की जीत करार देते हुए पूरी दुनिया में निजाम ए मुस्तफा की तरफ एक बड़ा कदम बताएंगे। इससे दुनियाभर में जहां भी इस्लाम के नाम पर आतंकवाद है, आतंकी और उनके समर्थकों का मनोबल बढ़ेगा।

कश्मीर में भी जिहादी तत्व इससे मजबूत होंगे। अल-कायदा के ओसामा बिन लादेन और आइएसआइएस के सरगना अबु बकर अल बगदादी को कश्मीर में हीरो मानने वालों की कोई कमी नहीं है। आइएसआइएस का अफगानिस्तान या पाकिस्तान में कोई मजबूत आधार न हो, लेकिन अल-कायदा का तो है। कश्मीर में जाकिर मूसा तो अल-कायदा की ही आवाज बना हुआ है। जिहादियों के निशाने पर कश्मीर और ¨हदोस्तान ही है, इसलिए हमें अफगानिस्तान से अमेरिकी फौजों की वापसी को हल्के में नहीं लेना चाहिए। केंद्र सरकार को इस बारे में आज ही कोई स्पष्ट रोडमैप तैयार कर उस पर अमल शुरू करना चाहिए।

राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक के राजेंद्रा से पहले जम्मू कश्मीर पुलिस की कमान संभाल चुके पूर्व महानिदेशक कुलदीप खुड्डा ने कहा कि अफगानिस्तान से अमेरिकी फौजों की वापसी का कोई ज्यादा असर जम्मू कश्मीर में नहीं होगा। यह कहना गलत होगा कि अमेरिकी फौजों के हटते ही अफगानिस्तान में आइएसआइएस या अल-कायदा हावी हो जाएगा। आइएसआइएस को पाकिस्तान की तरफ से कोई समर्थन नहीं है। कश्मीर में सक्रिय आतंकी व अलगाववादी संगठन भी आइएसआइएस और अल-कायदा के साथ खड़े होना पसंद नहीं करते। इसके अलावा आइएसआइएस जो कुछ समय पहले तक इराक और सीरिया में एक बड़ी ताकत के रूप में उभरा था, दुनियाभर से धर्माध जिहादी उसकी विचारधारा से प्रभावित होकर सीरिया मे जमा हो रहे थे, अब उसकी हार से घबराए हुए हैं। कश्मीर में भी जो लोग उसके समर्थन में कहीं न कहीं खड़े थे, अब निराश हैं, लेकिन हम हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठ सकते। हमें स्थानीय युवकों को आतंकवाद की तरफ जाने से रोकने के लिए ठोस नीति अपनानी होगी। भारत सरकार को युवाओं में धर्माध जिहादी मानसिकता की प्रवृत्ति को रोकने के लिए एक समावेशी नीति अपनानी होगी। जो सरेंडर मिलिटेंट हैं, उन्हें भी व्यावहारिक तरीके से पुनर्वासित किए जाने की जरूरत है।आतंकरोधी अभियानों में उल्लेखनीय भूमिका निभा चुके और जम्मू कश्मीर में सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञ पूर्व आइजीपी अशकूर वानी ने कहा कि मेरी राय में अफगानिस्तान से अमेरिकी फौजों के हटने का कश्मीर के हालात पर कोई बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला। अफगानिस्तान में सक्रिय कई आतंकी संगठन जो पहले पाकिस्तान के नियंत्रण में थे, अब अपने स्तर पर सक्रिय हैं और पाकिस्तान के खिलाफ भी कार्रवाई करते हैं। इसलिए कश्मीर से ज्यादा पाकिस्तान पर अफगानिस्तान से अमेरिकी फौजों के हटने का असर हो सकता है। इसके अलावा अफगानिस्तान और कश्मीर के बीच बहुत दूरी है।

अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा को पार कर घुसपैठ करना भी पहले की तरह आसान नहीं है। आइएसआइएस और अल-कायदा से पाकिस्तान भी तंग है। हां, आतंकी संगठन अपने कैडर को जमा करने के लिए, उसका मनोबल बढ़ाने के लिए यह जरूर कह सकते हैं कि देखो अफगानिस्तान से अमेरिका को हमने भगाया है। कश्मीर से हिंदुस्‍तान को भी भगा देंगे, लेकिन कश्मीर और अफगानिस्तान के हालात व इतिहास में बहुत फर्क है। यहां अफगानिस्तान जैसी स्थिति की कभी भविष्य में नौबत ही नहीं आए, इसके लिए हमें आज ही प्रयास करने होंगे।


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