Jammu: खतरनाक कांग्रेस घास की बढ़ रही जकड़, प्रशासन बना मूकदर्शक
कृषि विशेषज्ञ सागर शर्मा का कहना है कि संयुक्त तौर पर विभिन्न विभागों को प्रयास करने होंगे ताकि इस जड़ी की बढ़ती जकड़ से मुक्ति मिल सके।
जम्मू, जागरण संवाददाता। चर्म रोग का कारक मानी जानीे वाली कांग्रेस घास (घास गाजर घास) की जकड़ खेत खलिहान में तो है ही वहीं सड़क किनारे, शहर में खाली जगह तक यह घास पहुंच चुकी है और लोगों के लिए खतरे बना रही है। अरनिया, आरएस पुरा, सांबा, रामगढ़, विजयपुर, मढ़, अखनूर, खौड, जम्मू आदि क्षेत्र में सफेद रंग के फूल लिए यह घास अपनी जकड़ बना चुकी है।
यह जानते हुए भी कि इस घास के छूने से लोगों को चर्म रोग हो सकते हैंं। त्वचा रोग,एलर्जी, बुखार, दमा,आंख को छूने पर मोतियाबिंद रोग होने का खतरा बना रहता है। माल मवेशी यह घास खा ले तो उनकी जान पर बन आती है। लेकिन इसके बाद भी प्रशासन मौन बना हुआ है। बरसात के इन दिनों में यह घास पूरी तरह से फैल जाती है और इसके बीज फिर जमीन पर गिर जाते हैं और अगले साल इन्ही बाजों से फिर से घास उग आती है। हैरानी इस बात की है कि अधिकांश लोग इस घास के बारे में ज्यादा जानते नही है। कई बार तो किसान हाथ से इस घास को उखाड़ते हुए नजर आता है।
रूरल यूथ फोरम के प्रधान देवेंद्र सिंह का कहना है कि कई बरसों से कांग्रेस घास जम्मू के मैदानी क्षेत्रों में फैल रही है लेकिन इस पर नियंत्रण करने के लिए कोई उपाय नही किए गए हैं। समझ नही आ रहा कि प्रशासन इतना लापरवाह क्यों बना हुआ है। प्रशासन को मामले पर अपनी गंभीरता दिखानी चाहिए। हालांकि 1995 में कृषि वैज्ञानिकों ने मक्सिकन बीटल कीट वातावरण में छोड़ कर इस घास पर नियंत्रण पाने का प्रयास किया। यह कीट कांग्रेस घास के फूल से रस को चट कर जाते थे जिससे बीज नही बन पाते थे। लेकिन यह योजना भी कोई कारगर साबित नही हुई।
ऐसे में कांग्रेस घास की जकड़ लगातार बढ़ती ही गई। कृषि विशेषज्ञ सागर शर्मा का कहना है कि संयुक्त तौर पर विभिन्न विभागों को प्रयास करने होंगे ताकि इस जड़ी की बढ़ती जकड़ से मुक्ति मिल सके। वहीं प्रशासन को अपनी गंभीरता दिखानी होगी।