आरटीओ लेह में तैनात क्लर्क को 10 वर्ष की कैद
जागरण संवाददाता, जम्मू : रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (आरटीओ) लेह में तैनात क्लर्क को धोखाधड़ी
जागरण संवाददाता, जम्मू : रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (आरटीओ) लेह में तैनात क्लर्क को धोखाधड़ी के मामले में अदालत ने 10 वर्ष कैद के अलावा 30 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। आरोपित क्लर्क पर करीब 17 वर्ष पूर्व क्राइम ब्रांच कश्मीर ने मामला दर्ज किया था।
कोर्ट में दायर मामले में क्राइम ब्रांच ने बताया कि उन्हें वर्ष 2000 में शिकायत मिली कि एक ही नंबर जेके03-4020 से दो कारें चल रही हैं। क्राइम ब्रांच ने इसकी प्राथमिक जांच की। इस दौरान आरटीओ लेह के रिकॉर्ड को खंगाला गया। जांच से पता चला कि यह नंबर असल में एक स्कूटर का है। स्कूटर शौकत अहमद निवासी अनंतनाग के नाम से रजिस्टर्ड है। क्राइम ब्रांच की जांच में आरटीओ में तैनात कर्मचारियों की भूमिका संदेह के घेरे में आई। जांच में क्लर्क तुनदुप लहसुन निवासी लेह का नाम सामने आया। जांच जैसे ही आगे बढ़ी तो क्लर्क के अलावा कारों के फर्जी दस्तावेज बनाने में दो और लोगों की भूमिका सामने आई।
दोनों आरोपितों की पहचान इरशाद अहमद खान निवासी श्रीनगर और मेहरूम अहमद निवासी कोठी बाग, श्रीनगर के रूप में हुई। आरोपितों के विरुद्ध पुख्ता सुबूत जुटाने के लिए क्राइम ब्रांच ने आरटीओ के रिकॉर्ड को हैंडराइ¨टग एक्सपर्ट के पास फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी भेजा। रिपोर्ट में छेड़छाड़ की बात सामने आई। इस मामले में क्राइम ब्रांच ने 24 गवाहों को कोर्ट में पेश किए ताकि क्लर्क के विरुद्ध आरोप साबित हो पाए।
कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान सेकेंड एडिशनल सेशन जज श्रीनगर ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद तुनदुप लहसुन को दोषी करार दिया। कोर्ट ने धोखाधड़ी के मामले में उसे 10 वर्ष कैद के साथ बीस हजार रुपये जुर्माना देने को कहा। इसके अलावा सरकारी दस्तावेजों से छेड़छाड़ के आरोप में पांच वर्ष कैद के साथ 10 हजार रुपये जुर्माना चुकाने को कहा। दोषी कैद की सजा एक साथ काटेगा।