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नंद गोपाल के स्वागत को तैयार मंदिरों का शहर, बाजारों में सजे रंग-बिरंगे झूले Jammu News

छोटी से लेकर बड़ी हर साइज और डिजाइन के झूले उनकी दुकान पर मौजूद हैं। जिनकी कीमत 120 रुपये से लेकर 1200 तक की है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 21 Aug 2019 11:50 AM (IST)Updated: Wed, 21 Aug 2019 11:50 AM (IST)
नंद गोपाल के स्वागत को तैयार मंदिरों का शहर, बाजारों में सजे रंग-बिरंगे झूले Jammu News
नंद गोपाल के स्वागत को तैयार मंदिरों का शहर, बाजारों में सजे रंग-बिरंगे झूले Jammu News

जम्मू, जागरण संवाददाता। भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को मनाए जाने वाले श्री श्रीकृष्ण जन्मोत्सव को लेकर मंदिरों के शहर जम्मू में तैयारी जोरशोर से शुरू हो गई है। इस बार यह त्योहार 24 अगस्त शनिवार को मनाया जा रहा है। इस अवसर पर श्रीकृष्ण की प्रतिमा को झूले पर बैठा झूलाने की परंपरा है। लिहाजा बाजार में दुकानों पर झूले आदि सजने और बिक्री होने शुरू हो गए है। दुकानों पर विभिन्न साइजों और कीमतों की झूले उपलब्ध हैं और लोग अपनी पसंद अनुसार बाल गोपाल को अपने घर ले जाने के लिए दुकानों पर खरीदारी करने पहुंच रहे हैं।

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श्री कृष्ण की मूर्तियों, उनके झूलों के अलावा रंग-बिरंगी पोशाकें व श्रृंगार का पूरा सामान बाजार में उपलब्ध है और शहर के कई इलाकों में इन दिनों दुकानें इस साजो-सामान से सजी हुई है। इन दुकानों पर हर साइज के नंद गोपाल, उनकी पोशाक व श्रृंगार सामग्री उपलब्ध करवाई गई है। पुराने शहर के मोती बाजार स्थित ऐसी ही एक दुकान के संचालक महेंद्र कुमार बताते है कि बाजार में विभिन्न प्रकार और साइजों के झूले आए हैं जिसकी कीमतें भी हर आम और खास को ध्यान में रखते हुए रखी गई हैं। वो बताते हैं कि छोटी से लेकर बड़ी, हर साइज और डिजाइन के झूले उनकी दुकान पर मौजूद हैं। जिनकी कीमत 120 रुपये से लेकर 1200 तक की है।

इसमें प्लास्टिक निर्मित से लेकर मेटल तक, हर प्रकार के झूले मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि हर साल जन्माष्टमी के अवसर पर बड़ी संख्या में लोग झूले समेत अन्य सजावटी सामान खरीदकर ले जाते हैं। अधिकतर रेडिमेड झूले आते हैं। इसके अलावा बाजार में कारीगर मिट्टी की मूर्तियां बनाने में भी व्यस्त हो गए है जिनकी आने वाले दिनों में खूब बिक्री होती है।

पतंगबाजी का भी रहेगा अंतिम अवसर

8 जन्माष्टमी शहर में पतंगबाजी का अंतिम अवसर होता है। ऐसे में इस दिन जमकर पतंगबाजी होती है। पतंगबाजी के इस अंतिम मौके को लेकर शहर का पतंग बाजार भी पूरी तरह से तैयार है। शहर के विभिन्न इलाकों में दुकानों पर रंग-बिरंगी पतंगें सज चुकी है और बच्चे-युवा इन दिनों खरीदारी में व्यस्त है। रेडीमेड मांङो के अलावा कारीगर मांझा तैयार करने में जुटे है।

सुरक्षा एजेंसियों की चुनौती

अनुच्छेद 370 व 35 ए हटाने के बाद उपजे हालात के बीच शहर में जन्माष्टमी की शोभायात्र को सफलतापूर्वक सम्पन्न करवाना सुरक्षा एजेंसियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी। पांच अगस्त के बाद यह पहला ऐसा मौका होगा, जब शहर में बड़े पैमाने पर कोई आयोजन होगा। जन्माष्टमी पर शहर के मंदिरों में मध्य रात्रि तक पूजा-अर्चना चलती है और काफी संख्या में लोग मंदिरों में पहुंचते है। मंदिरों में कलाकार कृष्ण लीला पेश करते है। काफी संख्या में अभिभावक अपने बच्चों को बाल गोपाल बनाकर मंदिर ले जाते हैं। आलम यह रहता है कि कई क्षेत्रों में देर रात तक ट्रैफिक जाम की स्थिति रहती है। ऐसे में यह चुनौती है।

23 को निकलेगी शोभायात्र

जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में शुक्रवार, 23 अगस्त को शहर में भगवान श्री कृष्ण की शोभायात्र निकाली जाएगी। शुक्रवार दोपहर चार बजे परेड के गीता भवन से यह शोभायात्र आरंभ होगी जिसमें भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न झांकियां शामिल होगी। शोभा यात्र यहां से रघुनाथ मंदिर पहुंचेगी और वहां पूजा-अर्चना के बाद रथ को झांकियों के साथ रवाना किया जाएगा। शहर के विभिन्न हिस्सों से होते हुए शोभायात्र दोबारा गीता भवन में सम्पन्न होगी। शोभायात्र के लिए अभी से तैयारी शुरू हो गई है। इसके लिए अलग-अलग जिम्मेदारी भी सौंपी गई है ताकि आयोजन सफल हो।

व्रत की तैयारियां भी शुरू

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा नगरी में असुरराज कंस के कारागार में हुआ था। इस अवसर पर जन्माष्टमी का व्रत करके पूजा पाठ की परंपरा है। जिससे व्यक्ति के सारे कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। पुराणों के अनुसार कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को मध्य रात्रि में कंस के कारागार में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस अवसर पर जहां व्रती स्त्री पुरुष व्रत रखते हैं वही महिलाएं झूला झुलाते हुए पारंपरिक गीतों को गाती हैं। व्रत के दौरान इस्तेमाल होने वाली सामग्री के लिए भी दुकानों पर खरीदारी शुरू हो गई है। शहर के मंदिरों को भी आकर्षक रूप से सजाया जा रहा है। अष्टमी पर कई मंदिरों में विशेष आयोजन भी होंगे।


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