National Tourism Day 2021: जम्मू की छोटी काशी का 50 करोड़ की 'प्रसाद' योजना से होगा कायाकल्प, यहां लगी है 4200 किलो की घंटी
जम्मू में छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध देविका किनारे बसे भगवान शिव के धाम पुरमंडल व इसके साथ लगते प्रसिद्ध धार्मिक स्थल उत्तरवाहिनी का कायाकल्प करने के लिए केंद्र सरकार ने इसे पिलग्रिमेज रेजुवेनेशन एंड स्प्रीच्युअल हेरिटेज आगमेंटेशन ड्राइव(प्रसाद) से जोड़ने का फैसला लिया है।
जम्मू, जागरण संवाददाता । छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध देविका किनारे बसे भगवान शिव के धाम पुरमंडल व इसके साथ लगते प्रसिद्ध धार्मिक स्थल उत्तरवाहिनी का कायाकल्प करने के लिए केंद्र सरकार ने इसे पिलग्रिमेज रेजुवेनेशन एंड स्प्रीच्युअल हेरिटेज आगमेंटेशन ड्राइव(प्रसाद) से जोड़ने का फैसला लिया है। प्रसाद योजना के तहत 50 करोड़ की अनुमानित लागत से इन दोनों तीर्थ स्थलों का कायाकल्प करते हुए यहां मंदिरों के जीर्णोद्धार के साथ श्रद्धालुओं के लिए ढांचा विकसित किया जाएगा। पर्यटन विभाग जम्मू ने इस परियोजना को केंद्र के पास अनुमोदन व वित्तीय पोषण के लिए भेजा है और उम्मीद है कि अगले वित्तीय वर्ष के बजट में इसके तहत राशि मंजूर होते ही जमीनी स्तर पर काम शुरू हो जाएगा।
पुरमंडल-उत्तरवाहिनी में इस समय सालाना करीब पांच लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं
पुरमंडल-उत्तरवाहिनी में इस समय सालाना करीब पांच लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं और पर्यटन विभाग का प्रयास है कि इस संख्या को कम से कम दोगुना किया जाए। इसके लिए पुरमंडल-उत्तरवाहिनी को ऊधमपुर की देविका व मानसर-सुरुईंसर को इसके साथ जोड़कर धार्मिक पर्यटन सर्किट तैयार करने की योजना पर भी काम हो रहा है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत उत्तरवाहिनी तक सड़क को चौड़ा किया जा रहा है ताकि श्रद्धालुओं को यहां तक पहुंचने में कोई दिक्कत न हो। मनरेगा के तहत पुरमंडल व उत्तरवाहिनी में मंदिर तक जाने से लिए ट्रैक का निर्माण कराने की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है और प्रसाद योजना के तहत पर्यटन विभाग की ओर से केंद्र के समक्ष पेश की गई डीपीआर को मंजूरी मिलते ही अन्य विकास कार्य भी आरंभ हो जाएंगे।
पुरमंडल-उत्तरवाहिनी का महत्व
जम्मू शहर की पूर्व दिशा में करीब 39 किलोमीटर दूरी पर स्थित पुरमंडल को छोटी काशी के नाम से जाना जाता है। भूमिगत दरिया देविका किनारे बस पुरमंडल को शिवधाम कहा जाता है और यहां से चार किलोमीटर दूरी पर उत्तरवाहिनी स्थित है जहां से देविका उत्तर की तरफ मुड़ती है जोकि हिमालयन क्षेत्रों में बहने वाले दरियाओं में नहीं होता। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव के कहने पर माता पार्वती यहां गुप्ता गंगा "देविका''' के रूप में प्रकट हुई थी। महाराजा गुलाब सिंह ने 1912 में यहां के प्राचीन मंदिरों में शिवलिंग की स्थापना की और गदाधर मंदिर का निर्माण करवाया जिससे इसका नाम छोटी काशी पड़ा। महाराजा गुलाब सिंह ने यहां पर 108 मंदिरों का निर्माण करवाया और प्रत्येक मंदिर में 11 शिवलिंग स्थापित किए गए। देविका के दूसरी ओर महाराजा ने अभिमुकतेश्वर मंदिर का निर्माण करवाते हुए यहां छह फुट के शिवलिंग की स्थापना करवाई। पुरमंडल मंदिर चट्टान के दोहरे तहखाने के कटआउट पर बनाया गया है और केंद्रीय मंदिर में चट्टा में गढ्ढा धार्मिक आस्था का केंद्र है। हजारों श्रद्धालु यहां नाग देवता का जलाभिषेक करते है और हजारों-लाखों लीटर पानी जाने के बावजूद यह हमेशा आधा भरा रहता है।
यहां लगी है 4200 किलो की घंटी
देविका किनारे बने अभिमुकटेश्वर मंदिर में भगवान शिव की अराधना करने हजारों श्रद्धालु पहुंचते है और मंदिर के मुख्य द्वार पर लगी विशाल घंटी को देख अचंभित होते है। यह घंटी महाराजा रणबीर सिंह ने तिब्बत से मंगवाई थी और 4200 किलो की इस घंटी की मंदिर में स्थापना करवाई। आज भी यह घंटी मंदिर में मुख्य आकर्षण है।
प्रसाद याेजना के तहत सराय व स्कूल का होगा जीर्णोद्धार-पुरमंडल में प्राचीन संस्कृत स्कूल है जिसकी स्थापना महाराजा रणबीर सिंह ने की थी। बीरपुर स्कूल के नाम से प्रख्यात इस संस्कृत स्कूल को प्रसाद योजना के तहत विकसित करने का फैसला लिया गया है। इसके अलावा श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए यहां दो मंजिला सराय है जिसकी हालत काफी खस्ता हो चुकी है और अब पर्यटन विभाग ने इस सराय की मरम्मत करवाकर यहां श्रद्धालुओं के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाने का फैसला लिया है। पुरमंडल में एक और आकर्षण प्राचीन इमारतों पर बड़े पैमाने पर की गई दीवार की पेंटिंग है जिसे जीवंत करने का फैसला लिया गया है।