Jammu: हवा में मौत बनकर उड़ रही है ड्रैगन की डोर, प्रतिबंध के बावजूद भी धड़ल्ले से बिक्र रही
पुलिस के ढिलमुल रवैये का ही नतीजा था कि अब भी ये डोर धड़ल्ले से बिक रही है और जन्माष्टमी तक इस डोर को बेचने वाले खूब पैसे कमा रहे हैं।
जम्मू, जागरण संवाददाता: गलवन घाटी में भारतीय सैनिकों पर हमले के बाद चाहे ही पूरे देश में चाइनीज सामान के बहिष्कार को लेकर मुहमि चली हो लेकिन इस मुहिम का असर शहर में डोर बेचने वालों पर नहीं दिख रहा है। आज भी जम्मू शहर के आसामान पर ड्रैगन डोर मौत बनकर मंडरा रही है और इस डोर ने शुक्रवार को एक कैटरर की जान भी ले ली।
ड्रैगन की यह डोर जो जम्मू शहर में गट्टू डोर के नाम से मशहूर है, पर प्रशासन की ओर से लगभग पांच वर्ष पहले पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया था। इस डोर को बेचने वालों पर पुलिस को कार्रवाई के भी निर्देश जारी किए गए हैं लेकिन कार्रवाई के नाम पर अब तक सिर्फ खानापूर्ति ही हुई है। रक्षा बंधन के दिन भी गट्टृ डोर से शहर में खूब पेच लड़े। आसामान पर यह डोर मौत बनकर मंडराती रही लेकिन पुलिस ने न तो डोर बेचने वालों को दबोचा और न ही इस डोर से पेच लड़ाने वालों को पकड़ा।
पुलिस के ढिलमुल रवैये का ही नतीजा था कि अब भी ये डोर धड़ल्ले से बिक रही है और जन्माष्टमी तक इस डोर को बेचने वाले खूब पैसे कमा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार पचास से सौ रुपये में गट्टू डोर का एक बंडल बाहर से लाकर दुकानदार चार से छह सौ रुपये तक बेच रहे हैं। इस डोर की सारी बिक्री चोरी-छिपे व गाेपनीय तरीके से हो रही है। इस डोर को दुकानों पर नहीं बल्कि बाहर किसी अज्ञात जगह रखा जाता है और वहीं से इसकी सप्लाई होती है।
फोन पर होता है साैदा तय : पुलिस और प्रशासन से बचने के लिए गट्टू डोर बेचने वाले दुकानदारों ने भी नया तरीका निकाला लिया है। इस डाेर को ग्राहक तक पहुंचाने से पहला उसका सौदा फोन पर तय होता है। कुछ चुनिंदा लोगों के माध्यम से दुकानदार सौदा तय करते हैं। फिर एक निश्चित जगह पर ग्राहक को बुलाकर डोर दी जाती है और बाद में दुकानदार या उसका करिंदा वहां से खिसक जाते हैं। अगर इन दुकानदारों की दुकानों पर पुलिस छापा भी मारे तो वहां पर पुलिस को कुछ भी नहीं मिलेगा। इतना ही नहीं दुकानदारों ने नेटवर्क भी बना रखा है। अगर किसी एक दुकानदार पर टीम जांच के लिए पहुंचती है तो वहां से दूसरे दुकानदार को भी अलर्ट कर दिया जाता है। छोटे से छोटा दुकानदार भी रक्षाबंधन से लेकर जन्माष्टमी तक एक से डेढ़ लाख रुपया कमा लेता है।
- गट्टू डोर बेचने की किसी भी दुकानदार को इजाजत नहीं है। पुलिस ने पूरे शहर में डोर बिक्रेताओं पर नजर रखी है। अगर किसी को इस डोर की बिक्री बारे जानकारी हो तो वह पुलिस से संपर्क कर सकता है। पुलिस जरूर कार्रवाई करेगी। -एसएसपी जम्मू, श्रीधर पाटिल