India-China Border Issue: वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब सड़कें बनने से ही तिलमिलाया है चीन
पठानकोट से सूरल बटोरी तक हाईवे नंबर 154-ए पर बड़ी बस चल रही है। लद्दाख में पदम से लेह तक 27 किलोमीटर सड़क अभी पूरी नहीं हुई है। इसे बनाने का काम सीमा सड़क संगठन कर रहा है।
जम्मू, विवेक सिंह। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख पर बुरी नजर रखने वाले चीन और पाकिस्तान को घेरने के लिए क्षेत्र में नई सड़कें कारगर हथियार बन रही हैं। चीन पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब सड़कें बनने से ही तिलमिलाया हुआ है। ऐसे में हिमाचल प्रदेश को लद्दाख से जोड़ने वाली नीमो पदम-दारचा सड़क की तरह पठानकोट-सूरल बटोरी-पदम सड़क भी लेह व कारगिल जिलों में दुश्मन के मंसूबों को नाकाम बनाने के लिए भारतीय सेना की ताकत बन सकती है। नीमो पदम-दारचा सड़क लगभग पूरी हो चुकी है, जबकि पठानकोट-सूरल बटोरी-पदम सड़क का करीब 50 किलोमीटर का सर्वे होने के बाद इसे भी शुरू किया जा सकता है। चीन के नापाक मंसूबों से आशंकित लद्दाखी लोग भी चाहते हैं कि लद्दाख में सेना का बुनियादी ढांचा इतना मजबूत हो कि दुश्मन कुछ न कर पाए।
लद्दाख में पदम-दारचा की तर्ज पर पठानकोट-सूरल बटोरी-पदम सड़क को भी एक राष्ट्रीय प्रोजेक्ट का दर्जा देकर इसका निमार्ण करने की मांग की जा रही है। यह सड़क पठानकोट से डलहौजी होते हुए चंबा के गांव सूरल बटोरी तक बनी है। वहां से यह सड़क पदम जंस्कार व आगे लेह निकलेगी। पहले पदम तक पहुंचने के लिए 766 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था। नई सड़क बनने की स्थिति में पठानकोट से कारगिल जिले के जंस्कार इलाके के पदम तक का सफर 490 किलोमीटर रह जाएगा। इस सड़क के बनने से 276 किलोमीटर की दूरी कम होगी। यह मुद्दा लद्दाख के उपराज्यपाल आरके माथुर के समक्ष उठाने वाले लद्दाख ऑटोनामस हिल डेवलेपमेंट काउंसिल कारगिल के काउंसलर स्टेंजिन लाकपा का कहना है कि पुरानी सरकारें कोशिश करती तो सैन्य दृष्टि से अहम यह सड़क बन सकती थी। उन्होंने कहा, पदम-दारचा सड़क को भी पहले नजरअंदाज किया गया। अब मोदी सरकार इस सड़क को जल्द बनाने की दिशा में गंभीरता से कार्रवाई कर रही है।
सड़क बनने से सेना एक ही दिन में पठानकोट से पहुंच जाएगी लेह : पूर्वी लद्दाख में चीन की हरकतों से उपजे हालात में पठानकोट-सूरल बटोरी सड़क के निमार्ण को समय की जरूर करार देते हुए लाकपा ने कहा कि इसके बनने से सेना पठानकोट से एक ही दिन में लेह पहुंच सकती है। इस सड़क से लेह पहुंचने का सफर महज 350 किलोमीटर होगा। इस समय श्रीनगर और मनाली के रास्ते से लद्दाख पहुंचने में तीन दिन का समय लगता है। कारगिल युद्ध में दुश्मन ने राष्ट्रीय राजमार्ग को निशाना बनाया था। ऐसे में सुरक्षित नए राष्ट्रीय राजमार्ग बनाना भी समय की मांग है।
पठानकोट से सूरल बटोरी तक बना है हाईवेः स्टेंजिन लाकपा ने बताया कि पठानकोट-सूरल बटोरी सड़क के सपने को साकार करने के लिए शिव शंकर पास, छन्नी पास व तोतला पास में करीब पांच-पांच किलोमीटर के टनल बनाने की जरूरत है। पठानकोट से सूरल बटोरी तक हाईवे नंबर 154-ए पर बड़ी बस चल रही है। लद्दाख में पदम से लेह तक 27 किलोमीटर सड़क अभी पूरी नहीं हुई है। इसे बनाने का काम सीमा सड़क संगठन कर रहा है। पूरी सड़क बनाने के लिए अब बरदन-पदम से सूरल बटोरी के बीच की 50 किलोमीटर सड़क बनाया जाना बाकी है। इसका सवेर्ं करने की जरूरत है। यह सड़क बन जाने से सेना के साजो सामान को पूरा साल सड़क मार्ग से लद्दाख पहुंचाना संभव होगा। स्टेंजिन लाकपा का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगर पदम-दारचा की तरह इस सड़क के निमार्ण को भी अपनी निगरानी में ले लें तो लद्दाख में सेना भावी चुनौतियों का सामना करने को और भी मजबूत हो जाएगी।
पूरा होने के करीब है नीमो-पदम-दारचा सड़कः इस समय केंद्र सरकार नीमो-पदम-दारचा सड़क बनाने पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित कर रही है। दारचा-पदम-नीमो सड़क हिमाचल प्रदेश की लाहौल घाटी के दारचा को कारगिल जिले के जंस्कार के पदम इलाके को जोड़ेगी। दारचा से पदम की दूरी करीब 148 किलोमीटर है। पदम के बाद यह सड़क नीमो के रास्ते लेह मार्ग से जुड़ जाएगी। यह सड़क इस समय पूरा होने के करीब है।