रमजान और अमरनाथ यात्रा से पहले कश्मीर में एकतरफा संघर्ष विराम करे केंद्र: महबूबा
महबूबा ने कहा कि आगे पाक रमजान महीना, श्री अमरनाथ यात्रा और ईद भी आने वाली है, इसलिए केंद्र को एकतरफा संघर्ष विराम के विकल्प पर विचार करना चाहिए।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को कश्मीर में जारी आतंकरोधी अभियानों की ओर इशारा करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को वादी में लोगों को राहत देने के लिए ठीक उसी तरह एकतरफा संघर्ष विराम का एलान करना चाहिए, जैसे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 2000 में किया था।
उन्होंने कहा कि रोज-रोज की मुठभेड़ों, प्रदर्शनों और तलाशी अभियानों से आम आदमी को बहुत परेशानी हो रही है। कुछ ऐसे कदम उठाएं जाएं, जिनसे यहां सुरक्षा-विश्वास का माहौल बने और आम लोगों को राहत मिले। महबूबा ने कहा कि आगे पाक रमजान महीना, श्री अमरनाथ यात्रा और ईद भी आने वाली है, इसलिए केंद्र को एकतरफा संघर्ष विराम के विकल्प पर विचार करना चाहिए।
श्रीनगर के शेरे कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआइसीसी) में राज्य विशेषकर कश्मीर के मौजूदा हालात पर चर्चा और शांति व कानून व्यवस्था बनाए रखने के मुद्दे पर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री महबूबा ने कहा कि बैठक में सभी दल शामिल हुए। सभी ने मौजूदा हालात पर ¨चता जताई।
बीते कुछ दिनों से राज्य में जो हालात हैं, जिस तरह से हमारे जवान बच्चे बंदूक की तरफ जा रहे हैं, पत्थर उठा रहे हैं और गत दिनों जो तमिलनाडु के एक पर्यटक की मौत हुई है, इन सभी मुद्दों पर खुलकर बातचीत हुई है। उन्होंने कहा कि बैठक में सभी दल इस बात पर सहमत थे कि हमें केंद्र सरकार से अपील करनी चाहिए कि कश्मीर में एकतरफा संघर्ष विराम के विकल्प पर विचार हो, ताकि ईद और श्री अमरनाथ यात्रा अच्छी रहे। इसके साथ ही महबूबा ने कहा कि यहां सभी का मानना है भाजपा-पीडीपी गठबंधन सरकार के एजेंडा ऑफ एलांयस पर अमल से राज्य के हालात बदल सकते हैं।
प्रधानमंत्री से मिलेगा सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल :
मुख्यमंत्री महबूबा ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में सभी दलों ने प्रधानमंत्री से मुलाकात कर राज्य के मौजूदा हालात से उन्हें अपनी ¨चताओं से अवगत कराने के लिए एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने का भी सुझाव दिया है। नेशनल कांफ्रेंस अपने नेतृत्व से इस विषय में बात करेगा। यह सर्वदलीय प्रतिनिधमंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हालात सामान्य बनाने के लिए विभिन्न कदम उठाने का आग्रह करेगा। साथ ही उन्हें बताया जाएग कि 15 अगस्त के अपने भाषण में उन्होंने जम्मू कश्मीर के लोगों विशेषकर युवाओं को गले लगाने की बात की थी, उसे कैसे प्रभावी तरीके से लागू कर सकते हैं।
महबूबा ने शांति के लिए सभी दलों से मांगा सहयोग :
इससे पूर्व सर्वदलीय बैठक को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री महबूबा ने सभी राजनीतिक दलों से दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राज्य को ¨हसा और खून खराबे के दौर से बाहर लाने में सहयोग की अपील की। उन्होंने कहा कि राज्य का प्रत्येक वर्ग यहां शांति, स्थिरता, सुरक्षा और विश्वास का माहौल चाहता है। उन्होंने कहा कि हम सभी को अपने राजनीतिक मतभेदों को भुलाकर राज्य के युवाओं को एक सुरक्षित और सुखद भविष्य देने में अपनी भूमिका निभानी होगी। अमन में समाज के हर वर्ग का हित निहित है और इसके लिए हम सभी को संयुक्त रूप से प्रयास करना होगा।
महबूबा ने राष्ट्रीय नेतृत्व और देश के लोगों को राज्य के लोगों तक पहुंचने और उनकी दर्द और पीड़ा को समझने की तत्काल आवश्यकता का जिक्र करते हुए कहा कि इसके लिए हम सभी को मिलकर प्रधानमंत्री के पास एक सर्वदलीय दल भी भेजना चाहिए। उनके इस सुझाव पर बैठक मे मौजूद सभी दलों के प्रतिनिधियों ने अपनी सहमति जताई। उपमुख्यमंत्री क¨वद्र गुप्ता ने भी बैठक को संबोधित किया और राज्य के सामने आने वाले मुद्दों से निपटने में सरकार और विपक्ष के बीच घनिष्ठ सहयोग पर जोर दिया। बैठक में मंत्री सैयद बशरत बुखारी, नईम अख्तर, सत शर्मा और राज्य में सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने भाग लिया।
ऐसा था एकतरफा संघर्ष विराम
कश्मीर में हालात सामान्य बनाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 19 नवंबर 2000 को एकतरफा संघर्ष विराम का एलान किया था। उस समय रमजान का मुबारक महीना चल रहा था। इसलिए इसे रमजान सीजफायर भी कहते हैं। यह सीजफायर सिर्फ वादी के भीतरी इलाकों तक सीमित था और सुरक्षाबलों को अपनी तरफ से आतंकियों पर किसी तरह की कार्रवाई न करने को कहा गया था।
अगर आतंकी कहीं हमला करते तो उन पर जवाबी कार्रवाई की छूट थी। शुरू में यह सिर्फ एक माह के लिए था, लेकिन बाद में इसे समय-समय पर विस्तार देते हुए 31 मई 2001 तक बढ़ाया गया था।