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Jammu: खेतों को बंजर और लोगों को बीमार कर रहीं केमिकल फैक्ट्रियां

Chemical Factories in Jammu आरेंज जोन की फैक्टरियों के प्रदूषण से आसपास रहने वाले लोगों को प्रभावित न करें इसके लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने नियम तो सख्त बनाए हैं लेकिन सांबा जिले में इन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है।

By Edited By: Published: Sat, 24 Jul 2021 02:28 AM (IST)Updated: Sat, 24 Jul 2021 08:57 AM (IST)
Jammu: खेतों को बंजर और लोगों को बीमार कर रहीं केमिकल फैक्ट्रियां
औद्योगिक क्षेत्र के आसपास के इलाके में जल, भूमि व वायु प्रदूषण गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है।

निश्चंत सिंह, सांबा : औद्योगिक क्षेत्र सांबा में चल रही कीटनाशक, रसायन, दवा और सीमेंट की फैक्टरियां आसपास की कई एकड़ उपजाऊ भूमि को बंजर बना रही हैं। इतना ही नहीं, लोगों को आंख, सांस, चमड़ी संबंधी कई घातक बीमारियां भी दे रही हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के नियमों को ठेंगा दिखाने वाली इन औद्योगिक इकाइयों पर प्रदूषण नियंत्रण विभाग या प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। नतीजतन आसपास के रिहायशी इलाकों में रहने वाले लोगों का जीना दूभर हो रहा है।

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आरेंज जोन की फैक्टरियों के प्रदूषण से आसपास रहने वाले लोगों को प्रभावित न करें, इसके लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने नियम तो सख्त बनाए हैं, लेकिन सांबा जिले में इन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। हद तो यह है कि प्रदूषण नियंत्रण विभाग शिकायत मिलने का इंतजार कर रहा है। हालांकि सांबा में बढ़ते पर्यावरण के खतरे व जल स्त्रोतों के प्रदूषित के मामले का संज्ञान लेते हुए एनजीटी ने सांबा नगर परिषद और सिडको पर जुर्माना लगाकर पर्यावरण संरक्षण के तमाम उपाय करने की हिदायत भी दी थी। इसके बावजूद सांबा में कीटनाशक, रसायन, दवा और सीमेंट समेत कई फैक्टरियां प्रदूषण नियंत्रण मानकों का पालन नहीं कर रहीं हैं।

खुलेआम अपना कचरा व दूषित पानी नालियों के जरिये खुले इलाके में फेंका जा रहा है। इससे बसंतर नदी व औद्योगिक क्षेत्र के आसपास के इलाके में जल, भूमि व वायु प्रदूषण गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है। बसंतर नदी के पानी से किसान सिंचाई करते हैं। इससे उनके खेत की मिट्टी भी प्रदूषित हो रही है। मिट्टी बंजर होती जा रही है।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नहीं उठा रहा कदम : स्थानीय लोगों ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। स्थानीय निवासी राहुल कुमार, रमेश सिंह, राजीव सिंह, कपिल सिंह व देवेंद्र सिंह आदि ने कहा कि कीटनाशक, रसायन और सीमेंट फैक्ट्रियों की बदबू से रिहायशी में लोगों का रहना मुश्किल हो गया है। फैक्टरियां बेरोकटोक जहरीला धुंआ, दूषित पानी और कचरा उगल रहीं हैं। प्रदूषण के कारण घातक बीमारियों के लोग शिकार हो रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि सांबा में बसंतर नदी व पर्यावरण को हो रहे नुकसान पर सख्ती दिखाते हुए एनजीटी ने दो विभागों पर जुर्माना लगाया था और बसंतर नदी व पर्यावरण के संरक्षण के लिए कदम उठाने की बात कही थी, परंतु उस सब पर कोई अमल नहीं किया गया है।

क्या कहते हैं अधिकारी:  सांबा के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के जिला अधिकारी अंग्रेज सिंह कहते हैं कि वह समय-समय पर फैक्टरियों को हिदायत जारी कर मानकों का पालन करने को कहते हैं। दूषित पानी के लिए उपचार संयंत्र (ईटीपी) लगाया जा रहा है, जिससे जल्द इस समस्या का निदान हो जाएगा। अगर किसी को प्रदूषण से संबंधित कोई शिकायत है तो सांबा में विभाग के कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं। कार्रवाई अवश्य की जाएगी।


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